'शराब की महक आने का मतलब यह नहीं कि वह व्यक्ति नशे में था', HC का फैसला
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'शराब की महक आने का मतलब यह नहीं कि वह व्यक्ति नशे में था', HC का फैसला

Kerala HC on Liquor: केरल हाईकोर्ट ने कहा, 'निजी स्थानों पर शराब का सेवन करना तब तक अपराध नहीं है, जब तक इससे जनता को कोई परेशानी न हो. कोर्ट ने ये भी कहा कि शराब की महक (Alcohol Breath Smell) आने का मतलब यह नहीं कि वो शख्स नशे में था.'

सांकेतिक तस्वीर

नई दिल्ली: केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) का हाल ही में आया एक फैसला 'जाम छलकाने' वालों को राहत देगा. दरअसल हाई कोर्ट की तरफ से एक आदेश में कहा गया कि निजी स्थानों पर शराब का सेवन करना तब तक अपराध नहीं है, जब तक इससे जनता को कोई परेशानी न हो.

  1. केरल हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी
  2. आठ साल पुराने मामले में फैसला
  3. 'महक आने का मतलब नशे में होना नहीं'

खारिज हुआ केस

केरल हाई कोर्ट की तरफ से एक सरकारी कर्मचारी के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की गई. अदालत ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि शराब की महक आने का मतलब यह नहीं कि वह व्यक्ति नशे में था या किसी प्रकार से शराब के प्रभाव में था.

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8 साल पुराना मामला

दरअसल, केरल पुलिस ने सरकारी कर्मचारी के खिलाफ यह मामला 2013 में दर्ज किया था. पुलिस की तरफ से दायर चार्जशीट में आरोप लगाया गया था कि जब उसे एक आरोपी की शिनाख्त के लिए पुलिस स्टेशन बुलाया गया था तो वह शराब के नशे में था.

अपने आदेश के बाद न्यायमूर्ति सोफी थॉमस ने 38 वर्षीय सलीम कुमार के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने का आदेश दिया. साथ ही कहा कि दूसरे लोगों को परेशान किए बिना प्राइवेट जगह पर शराब पीना किसी तरह के अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा.

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