मनी लॉन्ड्रिंग: डीके शिवकुमार को नहीं मिली जमानत, ED की कस्टडी में 13 सितंबर तक रहेंगे
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मनी लॉन्ड्रिंग: डीके शिवकुमार को नहीं मिली जमानत, ED की कस्टडी में 13 सितंबर तक रहेंगे

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी डीके शिवकुमार (DK shivakumar) की जमानत पर अब 13 सितंबर के बाद ही सुनवाई हो सकती है. बुधवार को सुनवाई के दौरान ही शिवकुमार के वकीलों ने जमानत की याचिका भी लगाई. हालांकि कोर्ट ने इस पर सुनवाई नहीं की.

कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार की मुश्किलें बढ़ी.

नई दिल्ली: दिल्ली की रॉउज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार (DK shivakumar) को 13 सितंबर तक ईडी (Enforcement directorate) की कस्टडी में भेज दिया है. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी डीके शिवकुमार (DK shivakumar) की जमानत पर अब 13 सितंबर के बाद ही सुनवाई हो सकती है. बुधवार को सुनवाई के दौरान ही शिवकुमार के वकीलों ने जमानत की याचिका भी लगाई. हालांकि कोर्ट ने इस पर सुनवाई नहीं की.

सुनवाई के दौरान शिवकुमार के वकीलों का कहना था कि लगातार उनको परेशान किया जा रहा है. कभी कहा जाता है कि 12 बजे आरोपी को लेकर आएंगे. कभी 2 बजे और अभी तीन से ज्यादा हो रहा है. ASG केस के आईओ नहीं हैं. लीगल कागजात कोर्ट को आईओ देगा. कार्रवाई तो शुरू करें.

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कोर्ट ने ईडी से सवाल पूछा कि और कितना समय लगेगा. ईडी के वकील ने कहा अभी पूछकर बताता हूं. इसके तुरंत बाद एडिशनल सॉलिसिटर जनरल कोर्ट में पहुंचते हैं. ASG के एम नटराज पहुंचते ही सुनवाई शुरू हो जाती है.

ईडी ने 14 दिन की कस्टडी मांगी और कहा कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को जांच के दौरान कई अहम दस्तावेज मिले हैं. कई अलग-अलग जगहों से पैसे भी मिले हैं. साथ ही इडी का कहना था कि शिवकुमार को मनी लॉन्ड्रिंग के केस में गिरफ्तार किया गया है. 

कैश जिस तरीके से मिले हैं उससे साफ जाहिर होता है कि इन्होंने अपने पोजिशन का फायदा उठाया. इनके रिश्तेदार का भी बयान लिया गया. इनकी संपत्ति में बेहिसाब बढ़ोत्तरी हुई है. जांच अभी नाजुक मोड़ पर है, लिहाजा आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ जरूरी है. आरोपी को अन्य लोगों से आमना सामना कराना है. ताकि हम निष्कर्ष पर पहुंच सकें.

आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहा है. इसके अलावा जांच को भटकाने की कोशिश कर रहा है. जांच के दौरान मिला कैश के बारे में जब पूछा जा रहा है तब ये गोल मटोल जवाब देते हैं. इसलिए हमें 14 दिन की कस्टडी चाहिए. जो बहुत जरूरी है.

शिवकुमार की तरफ से कहा गया कि आईओ के पास इस केस में अपने सवाल नही होते. उन्हें दिए सवाल दिए जाते है. 4 दिन लगातार कई घंटे  पूछताछ की गई है. 30 अगस्त, 31 अगस्त, 2 सितम्बर, 3 सितंबर को कुल मिलाकर 33 से 34 घंटे पूछताछ हुए. हम जांच में शामिल हुए, भागे नहीं. कैश जो मिला था वो आईटी डिपार्टमेंट के रेड में मिला था. आईटी डिपार्टमेंट को ही अहम दस्तावेज मिले थे. आईटी के रेड पर ये जांच आधारित है और रिमांड पेपर में भी लिखा हुआ है.

रेड के बाद आईटी ने शिकायत दी और उसके बाद ये जांच हुई है. रिमांड एप्लीकेशन में केवल इनकम टैक्स लिखा हुआ है. इस शिकायत को कोर्ट में चुनौती दी गयी है. निचली अदालत से हमे झटका लगा और फिर हम हाई कोर्ट गए. और हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले पर रोक लगा दी. 20 अगस्त को हाई कोर्ट ने पूरे मामले में स्टे कर दिया था. जिसका जिक्र रिमांड पेपर में नहीं है. 20 अगस्त से हाई कोर्ट ने रिलीफ दिया था और ये प्रोटेक्शन अभी भी जारी है.

शिवकुमार के वकील ने आरोप लगाते हुए कहा कि आजकल एजेंसी हर मामले में ऐसा कर रही है. रिमांड पेपर में कहते है कि सहयोग नही कर रहे है. वो ईडी के दफ्तर में ऐसे ही चले जाते है. 33 घंटे से ज्यादा का पूछताछ हो चुकी है. आप उनका स्टेटमेंट मंगा लीजिए. ईडी कहती है कि किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे रहे है शिवकुमार. सच्चाई क्या है, आईओ ही बता पायेगा.

रिमांड का विरोध करते हुए शिवकुमार की तरफ से कहा गया की हमें जमानत दी जाए क्योंकि हमने जांच में हमेशा आरोपी ने सहयोग किया है. आरोपी को किसी भी शर्त पर जमानत मिलना चाहिए. आरोपी के न्यायिक हिरासत का कोई मतलब नही है. अस्पताल में आरोपी को रखा गया, ब्लड प्रेसर की, शुगर और थायरायड की बीमारी है आरोपी को. एक डॉक्टर ने अस्पताल में रहने की सलाह दिया तो दूसरा ले जाने को कह रहा था.

ईडी के तरफ से कहा गया कि आरोपी पक्ष कह रहा है कि कोई गुनाह नही किया है. लेकिन रिमांड एप्लीकेशन में सब साफ़ है. 

सुनवाई पूरी होने बाद कोर्ट रिमांड देने के मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रखा और तकरीबन 1 घंटे के बाद अपना फैसला सुनते हुए डी के शिवकुमार को 13 सितम्बर तक के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया. साथ ही कोर्ट ने आधा घंटे रोजाना आरोपी के वकील और परिवार के लोगो मिलने की इजाजत भी दी. अगली सुनवाई 13 सितम्बर को होगी.

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