मप्र विधानसभा में ओवैसी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित, पीआईएल भी दायर
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मप्र विधानसभा में ओवैसी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित, पीआईएल भी दायर

‘भारत माता की जय’ का नारा लगाने से इनकार करने की अपनी टिप्पणी को लेकर एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी की शुक्रवार को और आलोचना हुई। दरअसल, मध्य प्रदेश विधानसभा ने आमराय से उनके खिलाफ एक निंदा प्रस्ताव पारित किया जबकि उनपर कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए बंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई।

मप्र विधानसभा में ओवैसी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित, पीआईएल भी दायर

भोपाल/मुंबई : ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाने से इनकार करने की अपनी टिप्पणी को लेकर एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी की शुक्रवार को और आलोचना हुई। दरअसल, मध्य प्रदेश विधानसभा ने आमराय से उनके खिलाफ एक निंदा प्रस्ताव पारित किया जबकि उनपर कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए बंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई।

कांग्रेस सदस्य जीतू पटवारी भोपाल में मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में शून्य काल के दौरान ओवैसी की आलोचना करते हुए उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाये। राज्य के विधायी मामलों के मंत्री और भाजपा नेता नरोत्तम मिश्रा ने पटवारी के निंदा प्रस्ताव का समर्थन किया और ओवैसी की निंदा करते हुए कहा कि राष्ट्र विरोधी मानसिकता का ऐसा प्रदर्शन पिछले डेढ़ साल से देखा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत ने समान रूप से राम और रहीम दोनों को ही प्यार किया है और सम्मान दिया है। उन्होंने विभाजनकारी ताकतों से सहानुभूति रखने वाले लोगों की आलोचना की। पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव भी ओवैसी की निंदा में शामिल हुए और कांग्रेस को आड़े हाथ लेने की कोशिश की।

लेकिन स्पीकर सीतासरन शर्मा ने सत्तापक्ष और विपक्षी कांग्रेस के बीच तकरार को भांपते हुए एआईएमआईएम नेता के खिलाफ आमराय से निंदा प्रस्ताव जारी करने की घोषणा कर दी जबकि उस दौरान कांग्रेस के पटवारी और हरदीप सिंह डांग सहित अन्य सदस्यों ने ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए।

पुणे के सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत पाटिल ने जनहित याचिका दायर कर भारत माता की जय का नारा नहीं लगाने को लेकर बंबई उच्च न्यायालय से ओवैसी और एआईएमआईएम विधायक वारिस पठान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।

याचिका में दलील दी गई है कि उनके भाषण साम्प्रदायिक सौहार्द के खिलाफ और देश की राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाले हैं। पाटिल ने कहा कि ऐसी टिप्पणियां राष्ट्र विरोधी हैं और इनमें सामाजिक ताने बाने को तोड़ने और धर्म के आधार पर लोगों की बांटने की प्रवृत्ति है।

याचिका में एआईएमआईएम ने कहा कि दोनों लोगों की टिप्पणियां जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन करती हैं और यह संविधान के मूल सिद्धांत के खिलाफ हैं।

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