WEF: जब पीएम नरेंद्र मोदी ने दावोस में ओसामा बिन लादेन और हैरी पॉटर का जिक्र किया...
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WEF: जब पीएम नरेंद्र मोदी ने दावोस में ओसामा बिन लादेन और हैरी पॉटर का जिक्र किया...

पीएम मोदी ने कहा कि 1997 में चिडि़या ट्वीट करती थी और अब मनुष्‍य ऐसा करता है.

पीएम मोदी ने वर्ल्‍ड इकोनॉमिक फोरम के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया(फोटो: ANI)

पीएम नरेंद्र मोदी ने दावोस में अपने संबोधन के दौरान कहा कि भारत इस वैश्विक आर्थिक फोरम पर 1997 के बाद शिरकत कर रहा है. उस दौर को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उस वक्‍त आतंकी संगठन ओसामा बिन लादेन को दुनिया नहीं जानती थी. अमेजन का आशय नदी, जंगल और पहाड़ थे. उस वक्‍त विश्‍व अमेजन डॉट काम को नहीं जानता था. हैरी पॉर्टर से भी दुनिया परिचित नहीं थी. 1997 में चिडि़या ट्वीट करती थी और अब मनुष्‍य ऐसा करता है.

  1. पीएम मोदी ने भारतीय लोकतंत्र को जीवन दर्शन बताया
  2. तीन चुनौतियां दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा
  3. 1997 में इससे पहले एचडी देवगौड़ा दावोस गए थे

इसके साथ ही पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि WEF की 48वीं बैठक में शामिल होते हुए मुझे बहुत खुशी हुई है. पीएम मोदी ने कहा कि इससे पहले 1997 में तत्‍कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा भारत आए थे. उसके बाद से दुनिया में बहुत बदलाव आया है. पीएम मोदी ने कहा मेरे लिए इस फोरम का विषय जितना समकालीन है उतना ही समयातीत भी है. क्योंकि भारत में अनादि काल से हम मानव को जोड़ने में विश्वास करते आए हैं. उसे तोड़ने या बांटने में नहीं. पीएम मोदी ने कहा कि हजारों साल पहले हमारे चिंतकों ने कहा है कि वसुधैव कुटुंबकम यानि पूरी दुनिया एक परिवार है. हमारी नियतियों में एक साझा सूत्र हमें जोड़ता है. यह धारा निश्चित तौर पर दरारों और दूरियों को मिटाने के लिए और भी सार्थक है. चिंता का विषय है कि हमारी दूरियों ने इन चुनौतियों और भी कठिन बना दिया है. तीन प्रमुख चुनौतियां मानव सभ्यता के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं.

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क्लाइमेट चेंज पहली चुनौती
पीएम मोदी ने कहा कि ग्लेशियर पीछे हटते जा रहे है. आकर्टिक की बर्फ पिघलती जा रही है. बहुत गर्मी, बेहद बारिश, बहुत ठंड. पीएम मोदी ने कहा कि आज मानव और प्रकृति की जंग क्यों है. दूसरे की संपत्ति का लालच क्यों है? हमें चुनौतियों के खिलाफ एकजुट होना होगा. भारत में शास्त्रों में कहा गया है कि हम सभी पृथ्वी की संतान है. अगर पृथ्वी हमारी माता है तो यह अतंर क्यों है. वातावरण को बचाने के लिए भारत सरकार ने बहुत बड़ा लक्ष्य रखा है. 2022 तक भारत में 175 गीगावॉट रिन्युअल एनर्जी के उत्पादन का लक्ष्य है.

दूसरी बड़ी चुनौती है आतंकवाद
इस संबंध में भारत की चिंताओं और विश्वभर में इस गंभीर खतरे से दुनिया के सभी देश चिंतित है. मैं इससे जुड़े दो आयामों पर आपका ध्यान खींचना चाहता हूं. आतंकवाद से ज्यादा खतरनाक है अच्छा आतंकवाद और बुरा आतंकवाद का भेद करना. दूसरा है पढ़े लिखे युवाओं का आतंक के प्रति आकर्षित होना.

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तीसरी चुनौती है आत्म केंद्रित होना
बहुत से देश आत्म केंद्रीत होते जा रहे है. ग्लोब्लाइजेशन अपने नाम के विपरीत सिकुड़ता जा रहा है. ग्लोब्लाइजेशन की चमक धीरे-धीरे कम होती जा रही है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद बने संगठनों की संरचना क्या आज के मानव की आकांक्षाओं को परिलिक्षित करते है? इन संस्थानों की पुरानी व्यवस्था और बहुताय विकासशील देशों के बीच बहुत बड़ी खाई है. ग्लाब्लाइजेशन के विपरीत प्रोटेक्शनिजम की ताकत बढ़ रही है. एक परिणाम यह है कि नए-नए प्रकार के टैरिफ देखने को मिल रहे है. द्विपक्षीय समझौते रुक गए. ट्रांस बोर्डर वित्तीय निवेश में कमी आई है. ग्लोबल सप्लाई चेन भी रुकती दिख रही है. इसका समाधान अलगाव में नहीं है.

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बदलते हुए समय के साथ चुस्त और नई नीतियों को बनाने में है उन्हें स्वीकार करने में है. पीएम मोदी ने महात्मा गांधी की कही बात का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि गांधी जी ने कहा था कि मेरे घर की खिड़कियां बंद नहींं होनी चाहिए. आज का भारत इसी विचार के साथ आगे बढ़ रहा है. भारत विश्व भर से जीवनदायिनी तरंगों का स्वागत कर रहा है.

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