डॉक्टर्स को यूं नहीं कहा जाता धरती का दूसरा 'भगवान', ऊफनाई नदी में तैर कर मरीजों की बचा रहे जान
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डॉक्टर्स को यूं नहीं कहा जाता धरती का दूसरा 'भगवान', ऊफनाई नदी में तैर कर मरीजों की बचा रहे जान

Odisha floods: डॉक्टर को धरती पर भगवान का दूसरा रूप ऐसा ही नहीं कहा जाता है, इसकी एक बानगी ‌ओडिशा के मलकानगिरी जिले में देखने को मिली है. जब दो डॉक्टरों ने नदी में तैर कर अपने मरीजों की जान बचाई है. आइए जानते हैं पूरी कहानी.

 

डॉक्टर्स को यूं नहीं कहा जाता धरती का दूसरा 'भगवान', ऊफनाई नदी में तैर कर मरीजों की बचा रहे जान

Doctor swim river to treat patients: बंगाल की खाड़ी में बने गहरे दबाव ने ओडिशा राज्य में बाढ़ के हालात ला दिए हैं. पूरे राज्य में बारिश ने जिंदगी बेहाल कर दिया है. लगातार हो रही वर्षा के कारण जहां पूरा ओडिशा बेहाल है, वहीं कोरापुट एवं मालकानगिरी जिले में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है. कई इलाको में पानी भरा है. कई ऐसी जगहें हैं जो सड़कों के लिंक से टूट गई हैं. लोगों की आवाजाही रुक गई है. लोग के पास खाने तक नहीं बचा है, बाढ़ में बीमारियों ने और भी बुरा हाल कर रखा है, लोग अपना इलाज कराने भी कहीं नहीं आ जा सकते हैं. ऐसे में धरती के कहे जाने वाले 'भगवान' ने जो किया, उससे पूरे गांव के लोग उनके जज्‍बे को सलाम कर रहे हैं. जानें पूरा मामला. 

नदी  तैरकर किया इलाज
सरकारी डॉक्टर अनंत कुमार दारली और सुजीत कुमार पुजारी इन दोनों डॉक्‍टरों की खूब चर्चा हो रही है, इन दोनों डॉक्टरों ने बाढ़ में भी अपने कर्तव्य को पूरा करने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी, समर्पण का असाधारण परिचय देते हुए दोनों ने शुक्रवार को बाढ़ प्रभावित मलकानगिरी जिले में मरीजों के इलाज के लिए ऊफनाई नदी भी उतर गए. बाढ़ से भरी नदी को तैरकर पार किया और जलजनित बीमारियों से पीड़ित मरीजों तक पहुंचकर इलाज किया.

एक फोन, नदी में कूद गए डॉक्टर
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, मथिली ब्लॉक के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की टीम (डॉक्टर दारली और पुजारी) को सूचना मिली कि बारा गांव के कई निवासी बाढ़ के पानी से बीमार हो गए हैं. बाढ़ में ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं पहुंच पाएंगे, दोनों डॉक्टरों ने सोचा‌ कि हम ही मरीज के पास चलते हैं. लेकिन जब वे बाढ़ से भरी किआंग नदी पर पहुंचे, तो उन्होंने पाया कि नदी का बहाव इतना तेज था कि वे सुरक्षित नदी पार नहीं कर सकते थे. कोई दूसरा विकल्प न होने के कारण, दोनों ने नदी में जान जोखिम में डाला और तैरकर पार किया.

डॉक्टर दारली ने क्या कहा?
बाद में दारली ने कहा,चूंकि ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं पहुंच पा रहे थे और मरीजों को इलाज की जरूरत थी, इसलिए हमने नदी को तैरकर पार करने से पहले दो बार नहीं सोचा. बारा में दोनों ने एक दर्जन से अधिक मरीजों का इलाज किया और दवाइयां वितरित कीं.

लोगों ने जज्बे को किया सलाम
मलकानगिरी के सामाजिक कार्यकर्ता राम पटनायक ने कहा, "यह साहसी कार्य बताता है कि दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य कार्यकर्ता खतरनाक परिस्थितियों का सामना करते हुए समुदायों की सेवा करने के लिए किस हद तक जा सकते हैं." 

धरती के भगवान
भगवान ने तो हमें एक बार जीवन दिया है, लेकिन वह डॉक्टर ही है जो भगवान के दिए इस जीवन पर संकट आने की स्थिति में हमारे जीवन की रक्षा करते हैं. दुनिया में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां डॉक्टरों ने भगवान से भी बढ़कर काम किया है और मरणासन्न स्थिति में पहुंच चुके लोगों की जान बचाई है. कई विपरीत परिस्थितियों में डॉक्टरों को भी अग्निपरीक्षा देनी पड़ती है. मगर अभी भी उनका एक ही ध्येय है कि वे लोगों की जान बचा सकें.

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