समुद्र में डूब चुके Dwarka का अब चलेगा पता, मरीन आर्कियोलॉजिकल रिसर्च से खुलेंगे कई राज
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समुद्र में डूब चुके Dwarka का अब चलेगा पता, मरीन आर्कियोलॉजिकल रिसर्च से खुलेंगे कई राज

संसद की एक समिति ने सरकार को समुद्र में विलीन द्वारका की जानकारी जुटाने के लिये मरीन आर्कियोलॉजिकल रिसर्च (Marine Archaeological Research) कराए जाने का सुझाव दिया है.

 

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने सरकार को गुजरात में समुद्र में विलीन हुए शहर द्वारका (Dwarka) को 'खोजने' की सलाह दी है. संसदीय समिति ने सरकार से कहा है, द्वारका की जानकारी जुटाने के लिये मरीन आर्कियोलॉजिकल रिसर्च (Marine Archaeological Research) की जाए.

'आर्कियोलॉजिकल प्लेस खोजे जाएं'

संसद में पेश 2021-22 के लिये संस्कृति मंत्रालय की डिमांड्स फॉर ग्रांट्स पर स्थायी समिति की रिपोर्ट में समुद्र में विलीन हुए शहर द्वारका (Dwarka) को लेकर सुझाव दिया गया है. इसमें कहा गया है, ‘समिति चाहती है कि मंत्रालय गुजरात के विलुप्त (समुद्र में विलीन) शहर द्वारका में व्यापक मरीन आर्कियोलॉजिकल रिसर्च करे.’ समिति ने कहा है कि इसी प्रकार से देश में ऐसे कई आर्कियोलॉजिकल स्थान हो सकते हैं जो अब तक नहीं खोजे गए हों और जहां मॉडर्न टेक्नोलॉजी का प्रयोग आर्कियोलॉजिकल रिसर्च (Archaeological Research)और खुदाई के लिये किया जा सकता है.

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ASI CSR के जरिए कराए इन्वेस्टमेंट

समिति ने कहा है कि ऐसे अभियान से पुरातात्विक महत्व की कलाकृतियों की बड़ी खोज हो सकती है. रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने यह भी कहा है कि एएसआई (ASI) का बजट एलोकेशन 2020-21 में 1246.75 करोड़ रूपये से घटाकर 2021-22 में 1042.63 करोड़ रूपये कर दिया गया. समिति ने कहा कि भारत एक सीमित संसाधनों वाला देश है और बेहतर नतीजों के लिये यह जरूरी है कि संसाधनों के आवंटन में कंपटीशन को ध्यान में रखा जाए और जो भी बजट है उसे सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए. समिति ने यह सिफारिश की कि एएसआई को सीएसआर (CSR) के जरिए इन्वेस्टमेंट की संभावनाएं तलाशनी चाहिए.

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