पिछले महीने भी ओले के रूप में आसमान से आफत किसानों पर कहर बनकर टूटी थी.
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नैनीताल: उत्तराखंड (Uttarakhand) में नैनीताल जिले के धारी और ओखलकांडा ब्लॉक में एक बार फिर से भारी ओलावृष्टि से फलों और सब्जियों को काफी नुकसान पहुंचा हैं. पिछले महीने भी ओले के रूप में आसमान से आफत किसानों पर कहर बनकर टूटी थी. जिसमें आड़ू, पुलम, मटर, आलू की फसल बर्बाद हो गई थी. एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में ओलावृष्टि से किसानों को काफी नुकसान हुआ है.
ओलावृष्टि से फसलों और सब्जियों को हुआ था काफी नुकसान
नैनीताल जिले में 13 मार्च को भी भारी ओलावृष्टि से फलों और सब्जियों को काफी नुकसान पहुंचा था. उस समय आड़ू और पुलम के फूल खिले हुए थे. जो ओलावृष्टि के कारण टूटकर नीचे गिर गए थे. इसके अलावा मटर और आलू की सब्जी को भी काफी नुकसान हुआ था. उद्यान विभाग ने जैसे ही सर्वे का कार्य शुरू किया उसी दौरान देश में कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन हो गया और सर्वे भी अधूरा रह गया. इस बीच जो थोड़ी मटर की फसल किसानों ने निकाली भी लेकिन उसका भी उन्हें लागत मूल्य नहीं मिल पाया.
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टफरीना बीमारी ने भी आड़ू की फसल को बर्बाद किया
किसानों की दिक्कतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. मार्च के महीने में लगातार ओलावृष्टि और उसके बाद अप्रैल के महीने में आड़ू और पुलम के पौधों में टफरीना बीमारी ने भी किसानों की मुश्किलें बढ़ा दीं. रामगढ़, धारी ब्लॉक में तो कई गांव में टफरीना बीमारी ने आड़ू के पौधों को पूरी तरह अपनी चपेट में ले लिया. जो थोड़ी-बहुत आड़ू की पैदावार की उम्मीद थी, वह भी इस बीमारी के कारण खत्म होती दिख रही है.
इस बीच किसानों ने मटर और आलू की फसलों को बोना शुरु किया लेकिन मंगलवार को अचानक मौसम ने करवट बदली और ओखलकांडा, धारी और भीमताल ब्लॉक में ओलावृष्टि से रही सही फसल भी बर्बाद हो गई. जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में जहां से नुकसान की खबरें आ रही हैं वहां सचल मोबाइल यूनिट को भेज दिया गया है ताकि नुकसान का वास्तविक आकलन किया जा सके.
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