कोरोना से रिकवरी के बाद भी अस्पताल के चक्कर लगा रहे लोग, दिखे साइड इफेक्ट
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कोरोना से रिकवरी के बाद भी अस्पताल के चक्कर लगा रहे लोग, दिखे साइड इफेक्ट

देश में 67 लाख से ज्यादा लोग कोरोना वायरस महामारी को हराकर ठीक हो चुके हैं. लेकिन इन मरीजों में से बहुत से ऐसे हैं जिनका अस्पतालों में लौट कर आने का सिलसिला जारी है. वे कोरोना से रिकवर होने के बाद भी ठीक नहीं हो पाए हैं.

कोरोना से रिकवरी के बाद भी अस्पताल के चक्कर लगा रहे लोग, दिखे साइड इफेक्ट

नई दिल्ली: देश में 67 लाख से ज्यादा लोग कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी को हराकर ठीक हो चुके हैं. लेकिन इन मरीजों में से बहुत से ऐसे हैं जिनका अस्पतालों में लौट कर आने का सिलसिला जारी है. वे कोरोना से रिकवर होने के बाद भी ठीक नहीं हो पाए हैं. आज भी वे विभिन्न परेशानियों के चलते या तो घरों में कैद हैं या अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं.

विनीत ने बताई कहानी
कुछ ऐसी ही कहानी 27 वर्षीय विनीत की भी है. 14 अगस्त को कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव देख विनीत ने राहत की सांस जरूर ली थी. लेकिन उनकी परेशानियां खत्म नहीं हुईं थीं. उन्हें अभी भी कमजोरी के साथ सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, या बुखार जैसी अलग-अलग परेशानियों हो रही हैं. जिस कारण वे घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. 

डॉक्टरों ने बताई इसकी वजह
डॉक्टरों के अनुसार, कोरोना संक्रमण से रिकवर होने के बाद कई मरीजों में खून में थक्के यानी ब्लड क्लाट जमने लगते हैं. जिससे ऑक्सीजन का स्तर तेजी से गिरने लगता है. ह्रदय को खून की सप्लाई करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है. ऊपर से वायरस का संक्रमण ह्रदय की मांसपेशियों की सूजन बढ़ा देता है. इन मरीजों की एंजियोग्राफी में हार्ट की धमनियां सामान्य होती हैं, लेकिन लक्षण हार्ट अटैक के होते हैं. इतना कुछ सहने के बाद शरीर वापस पुराने स्थिति में पहुंचने में काफी लम्बा समय लग सकता हैं.

15 दिन से 3 महीनों के बीच दिखे साइड इफेक्ट
दिल्ली के राजीव गांधी सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल में कोविड सेंटर के नोडल अधिकारी डॉ अजीत जैन बताते हैं कि सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों में तेजी से पोस्ट कोविड केयर सेंटर खुले हैं. किसी को 15 दिन बाद तो किसी को 3 महीने बाद फिर से बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना के साइड इफेक्ट के अलावा कई लोगों को दोबारा कोरोना संक्रमण ने अपना शिकार बनाया है. ऐसे मामलों को लेकर सरकार भी सतर्क हो गई है.

रिकवरी के बाद भी एहतियात जरूरी
आईसीएमआर के निदेशक डॉ बलराम भार्गव ने बताया कि कोरोना के संक्रमण के बाद एंटीबॉडी शरीर में डिवेलप होती है. यह एंटीबॉडी कब तक last रहेगी इस पर कई स्टडीज आई हैं. किसी ने कहा है 3 महीने रहती है किसी ने कहा है 4 महीने रहती है और किसी में कहा गया 5 महीने रहती है. यह नई बीमारी है. और यदि 5 महीने तक रहती है यह 5 महीने तक लास्ट रहते हैं और यदि किसी कि एंटीबॉडी कम हो गई तो फिर से इंफेक्शन हो सकता है इसलिए एहतियात बरतना बेहद जरूरी है.

'बेहतर इम्युनिटी' कोरोना के खिलाफ आपका सबसे घातक हथियार
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि कोरोना से लड़ने में आपकी इम्युनिटी आपका हथियार है. इसलिए किसी को कोरोना कम परेशान करता है तो किसी को जिंदगी भर. इसलिए अपनी इम्युनिटी यानी रोगों से लड़ने की ताकत को मजबूत कीजिए. ताजा गरम खाना खाइए. गुनगुना पानी लेते रहिए. जंक फूड और ठंडे पदार्थों से दूर रहिए. एयरकंडीशंड का इस्तेमाल कम कीजिए और स्वस्थ रहने के लिए योग और एक्सरसाइज कीजिए. अभी तक कोरोना के खिलाफ यही सबसे कारगर वैक्सीन साबित हुई है.

महामारी ने शारीरिक के साथ आर्थिक तौर पर तोड़ी कमर
कोरोना वायरस ने लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप से ही बीमारी नहीं किया, आर्थिक तौर पर भी कमर तोड़ दी है. सरकारी अस्पतालों की बदहाली से परेशान कई मरीजों ने प्राइवेट अस्पतालों में एडमिशन लिया. रिकवर होकर घर लौटने तक खुद के साथ साथ बैंक बैलेंस भी कमजोर पड़ चुका था. हालांकि कई राज्यों ने बिलों पर लगाम लगाने की कोशिश की थी. दिल्ली और उत्तर प्रदेश में साधारण वॉर्ड के लिए 10 हजार, आईसीयू बेड के लिए 15 हजार और वेंटिलेटर वाले आईसीयू बेड के लिए 18 हजार प्रतिदिन से ज्यादा नहीं लिए जा सकते लेकिन मरीजों की शिकायतें कम नहीं हुई.

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