हम चाहते हैं कि आज आप हमारे इस विश्लेषण के लिए समय ज़रूर निकालें क्योंकि, आज अगर आपने इस युद्ध को नहीं समझा तो ये कल आपके दरवाज़े पर खड़ा होगा और आपको इसमें लड़ना ही पड़ेगा. हमारे इस विश्लेषण का आधार है. पिछले साल 12 अक्टूबर को हुई एक घटना, जब पूरे मुंबई शहर में बिजली नहीं थी और इसकी वजह थी, मुंबई पर साढ़े तीन हजार किलोमीटर दूर चीन से हुआ साइबर अटैक. चीन ने मुंबई की बिजली सुविधाओं को निशाना बनाते हुए को फेल कर दिया था. सोचिए, चीन ने न कोई हथियार उठाया, न ही उसने गोलियां चलाईं और भारत पर इतना बड़ा हमला कर दिया. उस दिन मुंबई में स्टॉक मार्केट बंद हो गए थे. घरों में बिजली नहीं थी और अस्पतालों में भी अफरा तफरी का माहौल था. यही नहीं, मुंबई के ट्रैफिक सिग्नल भी बंद हो गए थे और ट्रेन सेवा भी ठप हो गई थी. उस समय ये स्थिति 2 घंटे तक बनी रही और कई इलाक़ों में बिजली आने में इससे भी ज्यादा समय लगा और ऐसा अनुमान है कि हर घंटे मुंबई को इससे 248 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
तब किसी ने ये सोचा भी नहीं था कि इसके पीछे चीन हो सकता है, लेकिन अमेरिका की साइबर सिक्योरिटी कंपनी Recorded Future, जो सरकारी एजेंसियों के साथ इंटरनेट के इस्तेमाल का अध्ययन करती है, उसका दावा है कि 12 अक्टूबर को मुंबई पर चीन ने साइबर अटैक किया था. चीन के हैकर्स ने मुबई में पावर ग्रिड को फेल कर दिया था और इसी वजह से उस दिन मुंबई में सुबह करीब 10 बजे से लेकर दोपहर 12 से साढ़े 12 बजे तक बिजली नहीं थी और इस रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने तब ये हमला भारत को अपनी ताकत बताने के लिए किया था और सबसे अहम बात ये कि जब ये सब हुआ, उस समय लद्दाख में सीमा पर भारत और चीन के बीच हालात काफ़ी तनावपूर्ण थे. हालांकि आज इस मामले में महाराष्ट्र सरकार का भी जवाब आया, जिसने इस तरह के किसी भी हमले से साफ़ इनकार कर दिया है. लेकिन अमेरिका की इस कंपनी का दावा है कि ऐसा हुआ था और उसने इस पर एक रिपोर्ट भी जारी की है.
सबसे पहले आपको इस रिपोर्ट की 10 बड़ी बातें बताते हैं. पहली बात 14 जून को जब गलवान घाटी में सीमा पर भारत और चीन के बीच खूनी संघर्ष हुआ, उसके बाद से ही भारत की बिजली सुविधाएं चीन के निशाने पर थी और इस संघर्ष के बाद ही चीन ने भारत में पावर ग्रिड को फेल करने के लिए मालवेयर भेजना शुरू कर दिया था, जिसे सरल शब्दों में वायरस कहा जाता है.
दूसरी बात हैकर्स ने पिछले साल अक्टूबर में मात्र पांच दिनों के अंदर भारत के पावर ग्रिड सिस्टम, IT कंपनियों और बैंकिंग सेक्टर पर 40 हज़ार से ज़्यादा बार साइबर अटैक किए. यानी हर मिनट भारत पर 5 से 6 हमले हो रहे थे. ये दावा भी इस रिपोर्ट में किया गया है.
तीसरी बात चीन के निशाने पर भारत के 10 बड़े पावर स्टेशन थे, जहां से आपके घर तक बिजली पहुंचती है. यहां ध्यान देने वाली बात ये भी है कि इन 10 पावर स्टेशंस में भारत के आधे से ज़्यादा राज्य आते हैं और अगर उस दिन इन राज्यों में बत्ती गुल होती तो भारत का एक बड़ा हिस्सा अंधेरे में डूब जाता.
चौथी बात चीन ने हमला सिर्फ़ एक ही स्टेशन पर किया और ऐसा करने के पीछे उसके तीन बड़े मक़सद थे. पहला मक़सद ये कि वो भारत को अपनी ताक़त का अहसास कराना चाहता था. दूसरा मकसद था भारत के लोगों के बीच ये संदेश भेजना कि सरकार इस मामले को सम्भाल नहीं पा रही है और तीसरा मक़सद था, भारत सरकार को ये बताना कि अगर सरकार नहीं झुकी तो चीन साइबर अटैक जैसी रणनीति भी अपना सकता है.
इस रिपोर्ट की पांचवी बात मुंबई पर हुए साइबर अटैक के पीछे रेड इको नाम का ग्रुप था, जो चीन की सरकार के लिए काम करता है और इसे साइबर हमलों के लिए बहुत ख़तरनाक माना जाता है.
छठी बात इस साइबर हमले के लिए चीन के हैकर्स ने भारत की सबसे बड़ी बिजली कंपनी National Thermal Power Corporation Limited को भी निशाना बनाया. इसके लिए इंटरनेट पर इस कंपनी के नाम जैसा डोमेन बनाया गया. असल में डोमेन नेम किसी भी कंपनी का इंटरनेट एड्रेस होता है, जो लोगों को उस तक पहुंचाने में मदद करता है और इसके जैसा फर्जी डोमेन हैकर्स ने बना लिया था.
सातवीं बात इस फर्जी डोमेन की मदद से भारत के पावर सप्लाई सिस्टम में घुसपैठ की गई और कुछ ही सेकंड में मुंबई की बिजली बंदकर दी गई.
आठवीं बात जो वायरस चीन से भारत के पावर स्टेशनों में भेजे गए, उन्हें पहले कम्प्यूटर्स में लोड किया गया और बाद में एक्टीवेट कर दिया गया. अनुमान है कि चीन ने ऐसा करके भारत को दो घंटों में लगभग 500 करोड़ रुपये का नुक़सान पहुंचाया.
नौवीं बात ये कि इस रिपोर्ट के मुताबिक़, साइबर अटैक की योजना जुलाई 2019 में तैयार की गई थी.
और आख़िरी बात ये कि इस कंपनी ने ये रिपोर्ट अब भारत सरकार को भेज दी है.
हालांकि जैसा कि हमने आपको बताया, महाराष्ट्र सरकार ने किसी भी तरह के साइबर अटैक की बात से इनकार कर दिया है. हमारा मानना है कि भले मुंबई में साइबर अटैक की वजह से बिजली नहीं गई हो लेकिन भारत को इस तरह के हमलों से बचने के लिए तैयारी कर लेनी चाहिए क्योंकि, ऐसा नहीं है कि दो देशों के बीच इस तरह के साइबर अटैक पहले कभी नहीं हुए. रूस यूरोप के देश यूक्रेन के Power Grid System पर कई बार हमले कर चुका है. आज से 5 वर्ष पहले 23 दिसम्बर 2015 को यूक्रेन में तीन घंटे तक बिजली गायब रही थी और इससे 2 लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए थे. पिछले वर्ष अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी ये दावा किया था कि अमेरिका का Power Grid system रूस के निशाने पर है और अब अमेरिका की ही एक कंपनी ने ये दावा किया है कि भारत पर चीन ने साइबर अटैक किया था और ये दावा काफ़ी चौंकाने वाला है. मौजूदा समय में भारत में कुल 5 पावर ग्रिड हैं, Northern, Eastern, North Eastern, Southern और Western Grid. सबसे अहम ये कि ये सभी ग्रिड आपस में जुड़े हुए हैं और इनमें ज़्यादातर तो एक ही सर्वर पर काम करते हैं. पावर ग्रिड असल में एक तरह का सिस्टम होता है, जो बिजली के उत्पादन से उसकी सप्लाई तक की कड़ियों को जोड़ कर इसे व्यवस्थित बनाता है. आप इन 5 पावर ग्रिड्स को साइबर अटैक का नया हॉटस्पॉट भी कह सकते हैं, जिनका संचालन राज्य सरकारों के पास है.
इस खतरे को समझने के लिए अब हम आपको कुछ आंकड़े बताते हैं.भारत में पिछले वर्ष 17 हज़ार 560 साइबर हमले हुए. यानी हर दिन 71 वेबसाइट्स को हैक किया गया. भारत में हर 10 मिनट में एक साइबर अटैक होता है और 75 प्रतिशत मामलों में ये हमले दूसरे देशों से होते हैं. 2019 में भारत को साइबर हमलों की वजह से एक लाख 25 हज़ार करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ था. भारत में 24 प्रतिशत वित्तीय संस्थान, स्वास्थ्य से जुड़ी 15 प्रतिशत कंपनियां, सार्वजनिक क्षेत्र से जुड़ी 12 प्रतिशत और 15 प्रतिशत रिटेल कंपनियां हर साल साइबर हमलों का शिकार होती हैं. यही नहीं जुलाई 2016 में Union Bank Of India का पूरा सिस्टम हैक कर लिया गया था और बैंक खातों से लगभग 17 करोड़ डॉलर चुराने की कोशिश हुई थी. ये राशि आज की तारीख़ में 1200 करोड़ रुपये बनती है. हालांकि तब बैंक ने ये सारा पैसा रिकवर कर लिया था. अगर पूरी दुनिया की बात करें तो साइबर अटैक की वजह से हर मिनट पूरी दुनिया को 84 करोड़ रुपये का नुक़सान होता है. एक स्टडी के मुताबिक़, दुनिया में हर 11 सेकंड में एक साइबर हमला होता है. ये 2019 के मुक़ाबले दो गुना ज़्यादा है और पांच साल पहले से चार गुना ज़्यादा है.यही नहीं एक अनुमान है कि साइबर हमलों से दुनिया को हर साल 6.1 ट्रिलियन डॉलर यानी भारतीय रुपये में 449 लाख करोड़ रुपये का नुक़सान होता है. आप कह सकते हैं कि साइबर हमलों की इकोनॉमी अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी है और भारत की GDP की तुलना में ये दोगुना ज़्यादा है. भारत की GDP 210 लाख करोड़ रुपये है. अब आप समझ गए होंगे कि क्यों भारत को युद्ध के इस नए वर्जन से सावधान हो जाना चाहिए.
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