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1 हजार किलो सब्जी, 1 हजार किलो मछली, 250 किलो झींगे, 250 किलो मिठाई, 50 मुर्गे; पिता ने नवविवाहिता बेटी को भेजे अनोखे गिफ्ट

हर मां-बाप की चाहत होती है कि अपनी बेटी की शादी में अपनी हैसियत से बढ़कर उपहार दे. जिससे उनकी बेटी की शादी यादगार बन जाए. 

तेलुगु परंपरा में शुभ माना जाता है असाढ़ महीना

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तेलुगु परंपरा में शुभ माना जाता है असाढ़ महीना

तेलुगु परंपरा में असाढ़ का महीना काफी शुभ माना जाता है. कारोबारी बतुला बलराम कृष्ण (Battula Balarama Krishna) ने हाल में अपनी बेटी प्रत्युषा (Pratyusha) की शादी पवन कुमार से की है. पवन कुमार पुडुचेरी के यनम में रहने वाले एक बिजनेसमैन के बेटे हैं. बलराम कृष्ण और उनकी पत्नी की शुरू से ही चाहत थी कि वे अपनी बेटी की शादी धूमधाम से करें. वे बेटी की शादी को यादगार बनाने के लिए स्पेशल गिफ्ट उपहार में देना चाहते थे लेकिन कोरोना महामारी की वजह से वे यह नहीं कर पाए.

पिता ने बेटी को भेजे कई ट्रक भरकर उपहार

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पिता ने बेटी को भेजे कई ट्रक भरकर उपहार

बतुला बलराम कृष्ण (Battula Balarama Krishna) अपनी चाहत पूरा करने के लिए सही समय का इंतजार कर रहे थे. उन्हें यह मौका असाढ़ महीना (Ashadha Masam) शुरू होने पर मिल गया. उन्होंने अपनी बेटी के शादी के पहले असाढ़ को यादगार बनाने के लिए अनोखे उपहार भेजने का फैसला किया. उन्होंने 1000 किलो मछली, 1000 किलो सब्जी, 250 किलो झींगे, 250 किलो ग्रॉसरी आइटम, अचार से भरे हुए 250 जार, 250 किलो मिठाई, 50 मुर्गे और 10 बकरी उपहार में भेज दी.

उपहारों को देखकर ससुराली रह गए हैरान

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उपहारों को देखकर ससुराली रह गए हैरान

सहयोगी वेबसाइट इंडिया डॉट कॉम के मुताबिक ट्रक भरकर जब ये अनोखे उपहार पुडुचेरी के यनम में पहुंचे तो सब लोग हैरान रह गए. इतना उपहार आज तक किसी बेटी के पिता ने उसकी ससुराल में नहीं भेजा था. ससुराल वाले भी इतने उपहारों को देखकर दंग थे. जल्द ही यह बात यनम इलाके से होते हुए पूरे पुडुचेरी में फैल गई और चर्चा का विषय बन गई. लोग इन उपहारों को लेकर तरह- तरह से मजेदार कमेंट कर रहे हैं.

अनोखे गिफ्ट मिलने से बेटी हो गई खुश

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अनोखे गिफ्ट मिलने से बेटी हो गई खुश

बलराम कृष्ण की बेटी प्रत्युषा भी अपने पिता के इन अनोखे उपहारों से बहुत खुश है. हालांकि उसे एक दिक्कत भी हो गई है. उसे समझ नहीं आ रहा है कि वह इन भारी भरकम उपहारों को संभालेंगी कैसे. मछली, मुर्गे, बकरी, झींगे रखने के लिए खास इंतजाम करने होते हैं. जो अभी उसके घर में नहीं है. वह अब इन्हें रखने के लिए पति से कहकर सुविधाएं बनवा रही है. 

हाथों में मेहंदी रचाती हैं नविवाहित दुल्हन

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हाथों में मेहंदी रचाती हैं नविवाहित दुल्हन

जानकारी के मुताबिक तेलुगु (Telugu) परंपरा में असाढ़ का महीना नवविवाहितों खासकर  दुल्हन के लिए बहुत खास माना जाता है. इस महीने में दुल्हन अपने हाथों में मेहंदी रचाती है. माना जाता है कि उसकी मेहंदी का रंग जितना गाढ़ा होगा, उसे पति और ससुराल वालों का उतना ही प्यार मिलेगा. इस महीने में दुल्हन के मां-बाप की ओर से उसकी ससुराल में उपहार भेजे जाते हैं. 

 

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