मैंने (ज़ी न्यूज़ के एडिटर-इन-चीफ सुधीर चौधरी) कभी नहीं सोचा था कि मैं भी माउंट एवरेस्ट को करीब से देख पाऊंगा लेकिन ऐसा हुआ और शायद राधानाथ सिकदर से मुझे इसकी प्रेरणा मिली.
राधानाथ सिकदर भारत के महान गणितज्ञ थे, जिन्होंने वर्ष 1852 में पहली बार दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत की ऊंचाई को मापा था. लेकिन अंग्रेजों ने उन्हें इसका श्रेय नहीं दिया और इस पर्वत चोटी का नामकरण जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर कर दिया गया, जिन्होंने न तो माउंट एवरेस्ट कभी देखा था और न ही उन्हें इसकी कोई जानकारी थी. इसलिए आज हम ये मांग भी करते हैं कि क्यों न माउंट एवरेस्ट का नाम माउंट सिकदर कर देना चाहिए.
असल में माउंट एवरेस्ट सिर्फ एक पर्वत चोटी नहीं है, ये उससे भी विराट और महान है, जिसका महत्व इसकी ऊंचाई में छिपा है.
हम माउंट सिकदर के विचार के साथ आज आपको हिमालय के उस स्वभाव के बारे में भी बताना चाहते हैं, जिसका उल्लेख पुराणों में भी मिलता है. कहते हैं कि हिमालय दुनिया की सबसे युवा पर्वत श्रृंखला है. प्राचीनकाल से ही ऋषि और मुनि हिमालय में तपस्या करने के लिए आते जाते रहे. ये हिमालय की खूबी ही है कि यहां से ज्ञान और गंगा दोनों की धारा बहती है और माउंट एवरेस्ट हिमालय का गौरव है.
ये दुनिया का सबसे ऊंचा स्थान है. हम सब अपने जीवन में ऊंचाइयों पर पहुंचना चाहते हैं और आप कह सकते हैं कि हमारी इच्छाओं और सपनों का एक माउंट एवरेस्ट हमारे मन में हमेशा जीवित रहता है.
आज की हमारी ये रिपोर्ट आपको राष्ट्रवादी भावना का अनुभव भी कराएगी. इसलिए आज हम चाहते हैं कि आप अपने परिवार के लोगों के साथ इसे पूरे ध्यान से देखें.
हमें पूरी उम्मीद है कि हमारी इस यात्रा से आपको माउंट एवरेस्ट का सही अर्थ और महत्व समझेंगे और अब आप भी माउंट एवरेस्ट को माउंट सिकदर का नाम देने की हमारी इस मुहिम में शामिल होंगे.
आप भी जब ऐसी किसी यात्रा पर गए होंगे तो आपने कुछ तस्वीरें अपने जानने वालों के साथ जरूर शेयर की होंगी. मैं भी अपनी इस अद्भुत यात्रा की कुछ तस्वीरें आपको दिखाना चाहता हूं. इन तस्वीरों को मैंने आपके साथ शेयर करने का फैसला इसलिए किया, ताकि मैं आपको ये बता सकूं कि माउंट एवरेस्ट कैसे आपको छोटे होने का अहसास कराए बिना मन की ऊंचाइयों पर ले जाता है.
अब हम आपको आज जल्दी से माउंट एवरेस्ट से जुड़ी कुछ रोचक बातें भी बताना चाहते हैं. नेपाल और तिब्बत की सीमा पर मौजूद माउंट एवरेस्ट का नाम तिब्बती भाषा में चोमो-लुंगमा है. नेपाल के लोग इसे सागर-माथा के नाम से जानते हैं. लेकिन पूरी दुनिया में ये माउंट एवरेस्ट के नाम से प्रसिद्ध है. हालांकि इसके नामकरण से पहले इसे पीक 15 कहा जाता था.
माउंट एवरेस्ट को वैसे तो दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत कहा जाता है. पर्वतों की ऊंचाई का आकलन समुद्र की सतह से उसकी ऊंचाई के आधार पर किया जाता है. लेकिन अगर किसी पर्वत के आधार से उसके शिखर तक की ऊंचाई मापी जाए तो माउंट एवरेस्ट सबसे ऊंचा पर्वत नहीं है. Base यानी आधार से चोटी तक की ऊंचाई के नजरिए से अमेरिका के Hawai का 'माउना किया' दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत है. माउना किया की ऊंचाई 10 हजार 210 मीटर है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि हिमालय दुनिया की सबसे युवा पर्वत श्रृंखला है जिसकी ऊंचाई अब भी लगातार बढ़ रही है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई हर साल 4 मिलीमीटर बढ़ जाती है. यानी 100 वर्षों में इसकी ऊंचाई 16 इंच तक बढ़ जाती है.
8 हजार मीटर की ऊंचाई पर माउंट एवरेस्ट का डेथ जोन शुरू होता है क्योंकि, खराब मौसम और ऑक्सीजन की कमी की वजह से सबसे ज्यादा मौतें यहीं होती हैं. हालांकि तकनीक के विकास की वजह से एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान होने वाली मौतों में हर साल 2 प्रतिशत की कमी आ रही है.
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