भारत प्राचीन काल में राजे-रजवाड़ों का देश रहा है. जिन्होंने अपनी शानो-शौकत दिखाने और सुरक्षा के लिए कई किलों का निर्माण करवाया.
यह किला बिहार के रोहतास जिले में है. इसे 'शेरगढ़ का किला' कहा जाता है. कहा जाता है कि इस किले को अफ़गान शासक शेरशाह सूरी ने बनवाया था. इस किले की खास बात ये है कि इसे पहाड़ की चोटी को काटकर अंदर बनाया गया है. इसमें सैकड़ों सुरंगें और तहखाने हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि आज तक कोई भी उनका राज नहीं खोल पाया है. इस किले से जुड़ी कई रहस्यमयी कहानियां भी प्रचलित हैं.
यह किला शेरशाह सूरी ने अपने दुश्मनों से बचने के लिए बनवाया था. वह अपने परिवार और करीब 10 हजार सैनिकों के साथ यहां रहता था. यहां उनके लिए सुरक्षा से लेकर हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध थीं. इस किले को इस तरह से बनाया गया है कि अगर दुश्मन किसी भी दिशा में 10 किलोमीटर दूर हो, तब भी उसे किले से स्पष्ट देखा जा सकता था.
कैमूर की पहाड़ियों पर बने इस किले की संरचना अन्य किलों से बिल्कुल अलग है. यह किला तीन तरफ से जंगलों से घिरा हुआ है, जबकि दुर्गावती नदी इसके एक तरफ बहती है. इस किले को इस तरह से बनाया गया है कि कोई भी इसे बाहर से नहीं देख सकता है.
यह किला 1540 और 1545 के बीच बनाया गया था. यहां सैकड़ों सुरंगें बनाई गई थीं ताकि मुसीबत के समय उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला जा सके. इन सुरंगों का रहस्य केवल शेरशाह सूरी और उनके विश्वस्त सैनिकों को पता था. जमीन के अंदर बने इस किले में प्रवेश करने के लिए एक सुरंग से होकर गुजरना पड़ता है. कहा जाता है कि अगर ये सुरंगें बंद हो जाती हैं तो किला किसी को दिखाई नहीं देगा.
वर्ष 1945 में शेर शाह सूरी का निधन हो गया. कहा जाता है कि वर्ष 1576 में मुगलों ने इस किले पर हमला करके वहां रह रहे शेर शाह सूरी के परिजनों और सैकड़ों सैनिकों को बेरहमी से मारकर किले पर कब्जा जमा लिया था. शेरशाह का बेशकीमती खजाना भी इस किले में छिपा है लेकिन आज तक कोई भी उसे ढूंढ नहीं पाया है. यहां पर सुरंगों और तहखानों का जाल इस रहस्यमयी तरीके फैला है कि लोग अब भी उसके अंदर जाने से डरते हैं. जिसकी वजह से यह किला आज भी लोगों में डरावना बना हुआ है.
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