अनुच्छेद 370 से मुक्ति के बाद बदल रही जम्मू-कश्मीर की तस्वीर, पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट
Advertisement

अनुच्छेद 370 से मुक्ति के बाद बदल रही जम्मू-कश्मीर की तस्वीर, पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट

जम्मू कश्मीर (jammu kashmir) से अनुच्छेद 370 (article 370) की समाप्ति को 5 अगस्त को एक साल पूरा हो जाएगा. इस एक साल में प्रदेश ने तरक्की पर चलने की लंबी राह पकड़ ली है. 

कश्मीर में फुटबॉल के गुर सीखने के लिए स्टेडियम में पहुंचे हुए बच्चे

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर (jammu kashmir) से अनुच्छेद 370 (article 370) की समाप्ति को 5 अगस्त को एक साल पूरा हो जाएगा. इस एक साल में प्रदेश ने तरक्की पर चलने की लंबी राह पकड़ ली है. आलम ये है कि पिछले साल तक जहां हाथों में पत्थर लिए बच्चों और युवाओं के फोटो मीडिया की सुर्खियां बनती थी. वहीं अब फुटबॉल खेलते बच्चे जम्मू कश्मीर की पहचान बनने लगे हैं.

  1. रियल कश्मीर फुटबॉल क्लब ने लगा दिए बच्चों के सपनों को पंख
  2. कश्मीरी युवक संदीप मट्टू ने 2016 में क्लब की स्थापना की थी
  3. अब क्लब से जुड़कर अपना भविष्य संवार रहे हैं उभरते खिलाड़ी 
  4.  

बदलाव देखने कश्मीर पहुंची जी न्यूज की टीम
अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में आए बदलावों को देखने के लिए जी न्यूज की टीम सूबे में पहुंची है. इस दौरान जी न्यूज की टीम श्रीनगर के स्टेडियम में पहुंची. कुछ अर्सा पहले तक यह स्टेडियम अमूमन सुनसान पड़ा रहता था. लेकिन अब वहां पर चहल पहल दिखाई देती है. यह कारनामा कर दिखाया है एक कश्मीरी युवक संदीप मट्टू ने. 

संदीप मट्टू ने 2016 में बनाया रियल कश्मीर फुटबॉल क्लब
संदीप मट्टू ने यहां के युवाओं में छिपी खेल प्रतिभा को पहचाना और अपने शहर को एक पॉजिटिव पहचान देने में लग गए. इसके लिए संदीप मट्टू ने 2016 में रियल कश्मीर फुटबॉल क्लब की स्थापना की. ये कोई आम फुटबॉल क्लब नहीं है. इस क्लब के जरिए वे देश के भविष्य के खिलाड़ी तो तैयार कर ही रहे हैं. साथ ही नए कश्मीर की इबारत भी लिख रहे हैं. 

'कश्मीरी बच्चों का संघर्ष और मुश्किलें दूसरे बच्चों से अलग'
संदीप मट्टू की ये मेहनत रंग ला रही है और अब उनके क्लब के खिलाड़ियों की मांग हर ओर है. हालांकि संदीप मट्टू का कहना है कि इन खिलाड़ियों की देश के किसी दूसरे खिलाड़ी से तुलना नहीं की जा सकती. इनके संघर्ष और मुश्किलें बिल्कुल अलग हैं।

मुसीबतों के बावजूद बच्चों ने प्रैक्टिस रूकने नहीं दी
संदीप बताते हैं कि आए दिन कश्मीर में होने वाले बंद, कभी पत्थरबाज़ी तो कभी कर्फ्यू के बावजूद इन लड़कों ने अपनी प्रैक्टिस कभी रूकने नहीं दी. उन्होंने बताया कि पिछले साल श्रीनगर में एक फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन किया था. उस समय पूरा स्टेडियम दर्शकों से खचाखच भरा था. आस पास के सैंकड़ों लड़के अब उन्हें अपना रोल मॉडल मानते हैं और फुटबॉल से जुड़ रहे हैं.

बच्चों के खेल से मां- बाप के चेहरों पर गर्व की मुस्कान
उनके क्लब में ट्रेनिंग लेने वाला श्रीनगर के डाउन टाउन का रहने वाला दानिश अब इलाके में उभरता हुआ फुटबॉल स्टार है. उसका घर ट्रॉफियों से भरा है और घरवालों के चेहरों पर गर्व भरी मुस्कराहट है. हैदर, फरहान और न भी न जाने कितने खिलाड़ी हैं. जो इस क्लब से जुड़े हैं. ये सभी श्रीनगर के उस इलाके से आते हैं. जो कभी पत्थरबाज़ी के लिए बदनाम थे. यहां के युवाओं की तस्वीर पहले गुस्से और आक्रोश वाली थी. लेकिन अब फुटबाल पीछे दौड़ लगाते बच्चों की तस्वीर है. 

ये भी देखें-

ये भी देखे

Trending news