चारधाम खुलते ही श्रद्धालुओं का तांता, संख्या पहुंची दो लाख के पार
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चारधाम खुलते ही श्रद्धालुओं का तांता, संख्या पहुंची दो लाख के पार

उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में स्थित विश्व प्रसिद्ध चारों धामों के कपाट खुलते ही वहां देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लग गया है और शुरूआती दिनों में ही यह आंकड़ा ढ़ाई लाख के करीब पहुंच चुका है.

चारधाम खुलते ही श्रद्धालुओं का तांता, संख्या पहुंची दो लाख के पार

देहरादून : उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में स्थित विश्व प्रसिद्ध चारों धामों के कपाट खुलते ही वहां देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लग गया है और शुरूआती दिनों में ही यह आंकड़ा ढ़ाई लाख के करीब पहुंच चुका है.

वर्ष 2013 में भीषण प्राकृतिक आपदा के कारण पटरी से उतर गयी चारधाम यात्रा के इस बार शुरू से ही रफ्तार पकड़ने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बदरीनाथ दौरे का प्रभाव भी माना जा रहा है.

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने भी किए दर्शन

प्रधानमंत्री तीन मई को केदारनाथ के कपाट खुलने वाले दिन भगवान शिव के दर्शनों को आये थे, वहीं राष्ट्रपति छह मई को बदरीनाथ के कपाट उद्घाटन के मौके पर वहां पहुंचे थे. चमोली जिले में उच्च हिमालयी क्षेत्र में दस हजार फुट से ज्यादा की उंचाई पर स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने वाले दिन ही 32,700 श्रद्धालुओं ने भगवान विष्णु के दर्शन किये.

यहां जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 10 मई तक केवल पहले पांच दिनों में ही 80,931 तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम पहुंचकर भगवान के दर्शनों का लाभ ले चुके हैं.इसी प्रकार, तीन मई को रूद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मंदिर में भी शुरूआती आठ दिनों में 54,639 श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन कर चुके हैं.

उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर 28 अप्रैल को खोले गये थे और पहले 13 दिनों में वहां क्रमश: 42709 और 57707 श्रद्धालुओं की आमद दर्ज की जा चुकी है.

चारों धामों में 10 मई तक दर्ज किये गये आंकड़ों के अनुसार, तीर्थयात्रियों की यह संख्या 2,35,986 तक पहुंच चुकी है और आने वाले दिनों में इसके और तेजी से बढ़ने की संभावना है.

चमोली के जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन ने कहा कि इस वर्ष तीर्थयात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं उत्साह को देखते हुए इस संख्या के दस लाख से उपर जाने की उम्मीद है.

हिमालय की उंची पहाड़ियों पर स्थित सभी धामों को सर्दियों में भारी बर्फवारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने के कारण श्रद्धालुओं के लिये बंद कर दिये जाते हैं जो अगले साल गर्मियों में दोबारा खुलते हैं.

 

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