पीएम मोदी ने 'भारत रत्न' नानाजी देशमुख को यूं किया याद, बताया जेपी का सच्चा अनुयायी
Advertisement
trendingNow1763585

पीएम मोदी ने 'भारत रत्न' नानाजी देशमुख को यूं किया याद, बताया जेपी का सच्चा अनुयायी

पीएम नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक और भारत रत्न से सम्मानित नानाजी देशमुख की 104वीं जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक और भारत रत्न  से सम्मानित नानाजी देशमुख की 104वीं जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है. पीएम ने उन्हें लोकनायक जयप्रकाश नारायण का सच्चा अनुयायी बताया.

  1. घोर गरीबी और संघर्षों में बीता नानाजी का बचपन
  2. आरएसएस के समर्पित स्वयंसेवक थे नानाजी
  3. जेपी आंदोलन में सक्रियता से भाग लिया

पीएम ने ट्वीट करके कहा है कि नानाजी देशमुख लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सर्वश्रेष्ठ अनुनायी थे. जयप्रकाश नारायण के विचारों को जनता में लोकप्रिय बनाने के लिए कठोर मेहनत की. उन्होंने गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पूरा जीवन अर्पित कर दिया.

 

घोर गरीबी और संघर्षों में बीता नानाजी का बचपन
बता दें कि नानाजी देशमुख का जन्म 11 अक्टूबर 1916 को महाराष्ट्र के हिंगोली जिले के कडोली कस्बे में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनका जीवन घोर गरीबी और संघर्षों में बीता. उन्होंने छोटी उम्र में ही अपने माता-पिता को खो दिया. मामा ने उनका लालन-पालन किया. बचपन अभावों में बीता. उनके पास शुल्क देने और पुस्तकें खरीदने तक के लिये पैसे नहीं थे किन्तु उनके अन्दर शिक्षा और ज्ञानप्राप्ति की उत्कट अभिलाषा थी. अत: इस कार्य के लिये उन्होने सब्जी बेचकर पैसे जुटाये. वे मन्दिरों में रहे और पिलानी के बिरला इंस्टीट्यूट से उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की. 

आरएसएस के समर्पित स्वयंसेवक थे नानाजी
नानाजी देशमुख बाद में आरएसएस में शामिल हो गए. उनकी श्रद्धा देखकर आर.एस.एस. सरसंघचालक श्री गुरू जी ने उन्हें प्रचारक के रूप में गोरखपुर भेजा. बाद में उन्हें बड़ा दायित्व सौंपा गया और वे उत्तरप्रदेश के प्रान्त प्रचारक बने.उनका कार्यक्षेत्र राजस्थान और उत्तरप्रदेश ही रहा. नानाजी ने शिक्षा पर बहुत जोर दिया. उन्होंने पहले सरस्वती शिशु मन्दिर की स्थापना गोरखपुर में की.

जेपी आंदोलन में सक्रियता से भाग लिया
वे विनोबा भावे के भूदान आन्दोलन में सक्रिय रूप से शामिल हुए. दो महीनों तक वे विनोबाजी के साथ रहे.जेपी आन्दोलन में जब जयप्रकाश नारायण पर पुलिस ने लाठियाँ बरसाई, तब नानाजी ने जयप्रकाश को सुरक्षित निकाल लिया. इस दुस्साहसिक कार्य में नानाजी को चोटें आई और उनका एक हाथ टूट गया. जयप्रकाश नारायण और मोरारजी देसाई ने नानाजी के साहस की भूरि-भूरि प्रशंसा की. जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर उन्होंने सम्पूर्ण क्रान्ति को पूरा समर्थन दिया. 

भगवान राम से प्रेरणा लेकर चित्रकूट में बसे
भगवान राम ने वनवास-काल में चित्रकूट में रहकर दलित जनों के उत्थान का कार्य किया था. यहीं पर श्री राम ने अपने वनवास के चौदह में से बारह वर्ष गरीबों की सेवा में बिताए थे. इसलिए नानाजी देशमुख को राजा राम से वनवासी राम अधिक प्रिय लगते थे. भगवान राम से प्रेरणा पाकर वे 1989 में पहली बार चित्रकूट आए. उन्होंने भगवान श्रीराम की कर्मभूमि चित्रकूट की दुर्दशा देखी. वे मंदाकिनी के तट पर बैठ गये और अपने जीवन काल में चित्रकूट को बदलने का फैसला किया. उन्होंने प्रण लिया कि वे अपना बचा हुआ जीवन अब चित्रकूट के लोगों की सेवा में बिताएंगे. उन्होंने इस प्रण का अंत समय तक पालन किया 27 फरवरी 2010 को उनका चित्रकूट में ही निधन हो गया. 

वर्ष 2019 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित
नानाजी देशमुख भारतीय जनसंघ पार्टी के संस्थापकों में से एक थे. नानाजी ने 60 साल की उम्र में राजनीति से संन्यास ले लिया. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया था. उन्हीं की सरकार के कार्यकाल में पद्म विभूषण सम्मान प्रदान किया गया. वर्ष 2019 में उन्हें मोदी सरकार ने मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारतरत्न से सम्मानित करके देश की ओर से श्रद्धांजलि दी. 

VIDEO

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news