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नई दिल्लीः प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक को केन्द्र सरकार ने बहुत गम्भीरता से लिया है. सरकार ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यों की उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन कर दिया है. आने वाले दिनों में मोदी सरकार इस मामले में सख़्त कदम उठा सकती है. गुरुवार को इस मामले से जुड़े पूरे घटनाक्रम इसके संकेत भी देते हैं.
गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मुलाकात हुई. जिसमें प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति को इस घटना की एक-एक जानकारी दी. जब प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को किसी घटना के बारे में जानकारी देते हैं, तो ये सामान्य बात बिल्कुल नहीं होती. प्रधानमंत्री ने गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में भी इस घटना का ज़िक्र किया. इस बैठक में मौजूद मंत्रियों ने पंजाब सरकार के रवैये को लेकर नाराज़गी जताई है और कुछ मंत्रियों ने कड़े फैसले लेने के सुझाव दिए हैं. ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया है और अदालत 7 जनवरी यानी आज शुक्रवार को इस पर सुनवाई करेगी. अदालत में दायर हुई याचिका में ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की गई है.
पंजाब सरकार ने भी दबाव के बाद मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर दिया है, जो 3 दिनों के अन्दर अपनी रिपोर्ट पंजाब सरकार को सौंपेगी. इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से फोन पर बात की है और इस घटना पर चिंता जताई है. सोनिया गांधी ने मुख्यमंत्री चन्नी से ज़िम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने के लिए भी कहा है. वहीं, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी कहा कि इस घटना पर कड़े और बड़े निर्णय लिए जाएंगे. ये बयान अपने आप में काफ़ी कुछ इशारा कर रहा है. हो सकता है कि आने वाले दिनों में मोदी सरकार इस घटना पर सख्त कदम उठाए.
हमें ऐसे सबूत मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि प्रधानमंत्री मोदी को फिरोज़पुर में Flyover पर घेरने की साज़िश सुनियोजित थी. और ये साज़िश 1 जनवरी को ही बना ली गई थी. 1 जनवरी को पंजाब के फिरोज़पुर में अलग-अलग जगहों पर बैठकें हुईं, जिनमें प्रधानमंत्री के काफिले को घेरने की रणनीति बनाई गई. इसके बाद 5 जनवरी को सुबह फिरोज़पुर में अलग-अलग रास्तों पर भीड़ को इकट्ठा किया गया. जिस रूट से प्रधानमंत्री आ रहे थे, वहां पहले किसान नहीं थे. लेकिन हमें पता चला है कि जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी का काफिला सड़क मार्ग से फिरोज़पुर के लिए निकला, उसी समय किसी ने उग्र भीड़ को इसकी जानकारी दी और 50 से 100 लोगों का एक जत्था पुलिस द्वारा की गई नाकेबंदी को तोड़ते हुए Flyover के पास पहुंच गया. जब प्रधानमंत्री का काफिला Flyover के पास था और उग्र भीड़ हर उस गाड़ी और बस पर हमला कर रही थी, जिस पर प्रधानमंत्री के पोस्टर्स थे. सोचिए, अगर प्रधानमंत्री का काफिला इस भीड़ के बीच फंस जाता तो ये लोग क्या करते? ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री की जान को ख़तरा हो सकता था.
आपको ये समझना चाहिए कि इस घटना को गम्भीरता से क्यों लेना चाहिए और अगर ये घटना परम्परा बन गई तो ये भारत के संवैधानिक ढांचे को ख़तरे में डाल सकती है. इस घटना के तुरंत बाद खालिस्तान के समर्थकों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया और कहा कि तिरंगा थामने वाले लोगों को पंजाब से वापस जाना पड़ेगा. इनमें सबसे पहला वीडियो गुरपतवंत सिंह पन्नू का है, जो Sikhs For Justice नाम के एक खालिस्तानी संगठन का नेता है. जब फिरोज़पुर से ये ख़बर आई कि प्रधानमंत्री का काफिला वहां खुली सड़क पर 20 मिनट तक ट्रैफिक के बीच फंसा रहा, तब इस व्यक्ति ने अपने एक वीडियो में कहा कि ये घटना पंजाब को भारत से तोड़कर खालिस्तान बनाने की एक नई शुरुआत का हिस्सा है. और पंजाब के लोगों ने इस पर अपना जनमत दे दिया है.
गुरपतवंत सिंह पन्नू वही खालिस्तानी नेता है, जिसने किसान आन्दोलन के दौरान पंजाब के अलावा पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों को भारत से अलग होने के लिए आन्दोलन शुरू करने को कहा था. यही नहीं, जिस खालिस्तानी संगठन Sikhs For Justice का वो नेता है, उसने 26 जनवरी 2021 को लाल किले पर हुई हिंसा से पहले ये ऐलान किया था कि जो व्यक्ति लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराएगा, उसे ये संगठन दो करोड़ रुपये का इनाम देगा. और अब ये व्यक्ति कह रहा है कि तिरंगा थामने वाले लोगों को पंजाब से वापस जाना पड़ेगा. गुरपतवंत सिंह पन्नू पर भारत में देशद्रोह के कई मामले दर्ज हैं. और वो अमेरिका से इस खालिस्तानी संगठन को ऑपरेट करता है. इसलिए हम ये मांग करते हैं कि गुरपतवंत सिंह पन्नू की तुरंत गिरफ़्तारी होनी चाहिए. इसके लिए भारत सरकार को अमेरिका से बात करनी चाहिए. अमेरिका, जो खुद को लोकतंत्र का चैम्पियन मानता है.. उसे भी ये सोचना चाहिए कि उसकी ज़मीन से भारत को तोड़ने की साज़िशें रची जा रही हैं. और अगर इन साज़िशों को रोकना है तो.. इसके लिए पन्नू का गिरफ़्तार होना बहुत ही ज़रूरी है. वर्ष 2018 में हुई भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच के दौरान सुरक्षा एजेंसियों को एक चिट्ठी मिली थी, जिसमें लिखा था कि प्रधानमंत्री मोदी को उसी तरह से मारा जा सकता है, जैसे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को मारा गया था. और उनकी हत्या के लिए उनके Road Show को अटैक करना एक प्रभावी योजना हो सकती है. और संयोग देखिए कि फिरोज़पुर में जो घटना हुई, वो एक रोड इवेंट जैसी ही थी.
कहा जा रहा है कि.. प्रधानमंत्री मोदी सड़क मार्ग से फिरोज़पुर जा सकते हैं, इसकी जानकारी पंजाब सरकार और पंजाब पुलिस को पहले नहीं दी गई थी. ये जानकारी पूरी तरह गलत है. प्रधानमंत्री की सुरक्षा SPG करती है. लेकिन SPG से पहले एक और सुरक्षा घेरा होता है, जिसे ASL यानी Advance Security Liaison टीम कहते हैं. इस टीम ने एक और दो जनवरी को पंजाब सरकार और पुलिस के साथ ये चर्चा की थी कि अगर प्रधानमंत्री को सड़क मार्ग से फिरोज़पुर जाना पड़ा तो वो रूट क्या होगा. ASL की टीम ने इस दौरान पूरे रूट का सर्वे भी किया था. इसके अलावा खुफिया जानकारी थी कि प्रधानमंत्री के पंजाब दौरे के समय गतिरोध हो सकता है. इसलिए इस रूट पर भारी सुरक्षा बल की तैनाती होनी चाहिए. ये बात इस टीम ने अपनी रिपोर्ट में कही थी. इस टीम ने 4 जनवरी को इस रूट पर Rehearsal भी की थी, जिसमें ये टीम सड़क मार्ग से बठिंडा से फिरोज़पुर गई थी. यानी प्रधानमंत्री का सड़क मार्ग से फिरोज़पुर जाना, पहले से तैयार वैकल्पिक प्लान का हिस्सा था. और इसका ज़िक्र पंजाब के Additional Director General of Police कई बार कर चुके थे.
उन्होंने प्रधानमंत्री के दौरे को लेकर पंजाब पुलिस के बड़े अफसरों को एक नहीं, बल्कि तीन तीन चिट्ठियां लिखी थीं. इनमें पहली चिट्ठी उन्होंने 2 जनवरी को लिखी थी. इसमें वो लिखते हैं कि पांच जनवरी को प्रधानमंत्री की रैली और VVIP Movement की वजह से सड़क पर काफ़ी ट्रैफिक हो सकता है. किसान संगठन इस दिन धरना प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं, इसलिए सड़के ब्लॉक हो सकती हैं. और पुलिस को Traffic Diversion रूट पहले से तैयार करके रखने चाहिए. ये भी इसमें लिखा है. पंजाब के ADGP ने दो जनवरी को ही बता दिया था कि रैली वाले दिन यानी 5 जनवरी को बारिश हो सकती है. और इस दौरान सड़क मार्ग से VVIP Movement हो सकता है, इसलिए पुलिस पहले से सारे इंतज़ाम करके रखे.
यही बातें, ADGP ने 3 जनवरी की एक और चिट्ठी में लिखीं और फिर 4 जनवरी को भी उन्होंने पूरे पुलिस विभाग और अफसरों को सावधान किया. लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की सड़क मार्ग से फिरोज़पुर जाने की योजना अचानक से बनी. हमारा सवाल है कि अगर योजना अचानक बनी तो फिर ADGP दो जनवरी से इसके बारे में चिट्ठी क्यों लिख रहे थे? ये बात भी पूरी तरह झूठ है कि देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा का ज़िम्मा केवल SPG का होता है. SPG Act 1988 के तहत, प्रधानमंत्री के इर्द गिर्द सुरक्षा का जो पहला और दूसरा घेरा होता है, उसकी ज़िम्मेदारी SPG की होती है. लेकिन बाद में सुरक्षा का पूरा ज़िम्मा पुलिस का होता है. पुलिस की ये ज़िम्मेदारी है कि वो प्रधानमंत्री के काफिले को रुकने नहीं दे और अगर कोई सड़क ब्लॉक है तो उसे समय रहते खाली कराए. या प्रधानमंत्री को जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग दे.
पंजाब सरकार का कहना है कि उससे प्रधानमंत्री की सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई. लेकिन सच ये है कि इस घटना के दौरान पंजाब पुलिस का पूरा सुरक्षा तंत्र फेल हो गया था. पुलिस कंट्रोल रूम प्रधानमंत्री के काफिले को ये बताने में नाकाम रहा कि जिस सड़क मार्ग से वो फिरोज़पुर जा रहे हैं, वहां प्रदर्शनकारियों ने रास्ता बन्द कर दिया है. अगर ये जानकारी पुलिस कंट्रोल रूम ने समय पर दे दी होती तो प्रधानमंत्री को खुली सड़क पर ट्रैफिक के बीच फंसने से बचाया जा सकता था.
हमारी टीम ने ग्राउंड ज़ीरो से पूरी स्थिति को समझने के लिए बठिंडा एयरपोर्ट से फिरोज़पुर के इस Flyover तक सड़क मार्ग से सफ़र किया. इतिहास ऐसी घटनाओं से भरा पड़ा है, जब दुनिया के बड़े नेताओं को उनकी गाड़ी में ही मार दिया गया. वर्ष 1963 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति John f. Kennedy की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. इस दौरान वो अपनी पत्नी के साथ अपनी गाड़ी में थे. वर्ष 1978 में इटली के पूर्व प्रधानमंत्री Aldo Moro को भी उनकी गाड़ी से ही अगवा कर लिया गया था. और इसके 55 दिन के बाद उनकी हत्या कर दी गई थी. वर्ष 1995 में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह को भी चंडीगढ़ में एक कार बम धमाके में मार दिया गया था. वर्ष 2020 में जब ईरान के सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या एक ड्रोन हमले में की गई, तब वो अपनी गाड़ी में ही थे. और इस घटना के दौरान भी प्रधानमंत्री अपनी गाड़ी में ही थे.