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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने मंगलवार को 4 सांसदों की विदाई पर राज्य सभा (Rajya Sabha) को संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी भावुक हो गए और सांसदों की तारीफ की. इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद का किस्सा सुनाया, जब उन्होंने रोते हुए पीएम मोदी को फोन किया था. बता दें कि गुलाम नबी आजाद, शमशेर सिंह, मीर मोहम्मद फैयाज और नादिर अहमद का राज्य सभा में कार्यकाल पूरा हो रहा है.
पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने राज्य सभा में कहा, 'मुझे चिंता इस बात की है कि गुलाम नबी जी के बाद जो भी इस पद को संभालेंगे, उनको गुलाम नबी जी से मैच करने में बहुत दिक्कत पड़ेगी. क्योंकि गुलाम नबी जी अपने दल की चिंता करते थे, लेकिन देश और सदन की भी उतनी ही चिंता करते थे.'
पीएम मोदी ने गुलाम नबी आजाद की तारीफ करते हुए कहा, 'मैं अपने अनुभवों और स्थितियों के आधार पर गुलाम नबी आजाद जी का सम्मान करता हूं. मुझे यकीन है कि उनकी दया, शांति और राष्ट्र के लिए काम करने का उनका अभियान हमेशा चलता रहेगा. वह हमेशा जो कुछ भी करते हैं, उनके मूल्यों में वह जुड़ जाता है.'
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पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान एक पुराना किस्सा सुनाया और कहा, 'गुलाम नबी जी जब मुख्यमंत्री थे, तो मैं भी एक राज्य का मुख्यमंत्री था. हमारी बहुत गहरी निकटता रही. एक बार गुजरात के कुछ यात्रियों पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया, 8 लोग उसमें मारे गए. सबसे पहले गुलाम नबी जी का मुझे फोन आया और उनके आंसू रुक नहीं रहे थे.'
पीएम मोदी ने कहा, 'गुलाम नबी आजाद जी, शमशेर सिंह जी, मीर मोहम्मद फैयाज जी और नादिर अहमद जी. मैं आप चारों महानुभावों को इस सदन की शोभा बढ़ाने के लिए, आपके अनुभव, आपके ज्ञान का सदन को और देश को लाभ देने के लिए और आपने क्षेत्र की समस्याओं का समाधान के लिए आपके योगदान का धन्यवाद करता हूं.'
पीएम मोदी ने कहा, 'शमशेर सिंह मन्हास के बारे में.... मैं कहां से शुरू करूं. मैंने उनके साथ सालों तक काम किया है. हमने अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए काम करते हुए स्कूटर पर यात्रा की है. सदन में उनकी उपस्थिति का रिकॉर्ड सराहनीय है. वह सांसद थे, जब जम्मू-कश्मीर से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे.
मैं गुलाम नबी आजाद को वर्षों से जानता हूं. हम एक साथ मुख्यमंत्री थे. मैंने सीएम बनने से पहले भी बातचीत की थी, जब आजाद साहब सक्रिय राजनीति में थे. उनके एक जुनून के बारे में बहुत से लोग नहीं जानते हैं, वो है बागवानी.' उन्होंने आगे कहा, 'मैं आजाद के प्रयासों और प्रणब मुखर्जी के प्रयासों को कभी नहीं भूलूंगा, जब गुजरात के लोग कश्मीर में हुए आतंकी हमले के कारण फंस गए. गुलाम नबी जी लगातार इसकी निगरानी कर रहे थे. वे उन्हें लेकर इस तरह से चिंतित थे जैसे वे उनके परिवार के सदस्य हों.'