विवादित AFSPA कानून को हटाने की तैयारी? अगले 45 दिनों में रिपोर्ट सौंपेगी कमेटी
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विवादित AFSPA कानून को हटाने की तैयारी? अगले 45 दिनों में रिपोर्ट सौंपेगी कमेटी

नागालैंड में गोलीबारी में 14 लोगों की मौत के बाद बढ़े तनाव को कम करने के मकसद से केंद्र ने दशकों से नागालैंड में लागू विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (AFSPA) को हटाने की संभावना पर गौर करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है.

विवादित AFSPA कानून को हटाने की तैयारी? अगले 45 दिनों में रिपोर्ट सौंपेगी कमेटी

नई दिल्ली: नागालैंड में गोलीबारी में 14 लोगों की मौत के बाद बढ़े तनाव को कम करने के मकसद से केंद्र ने दशकों से नागालैंड में लागू विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (AFSPA) को हटाने की संभावना पर गौर करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है.

  1. विवादास्पद AFSPA कानून पर गंभीर दिखी केंद्र सरकार
  2. जांच के लिए बनाई जाएगी एक स्पेशल समिति
  3. अफस्पा को हटाने की संभावना पर गौर करेगी समिति

यह दिग्गज संभालेंगे समिति की कमान

भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त विवेक जोशी पांच सदस्यीय समिति का नेतृत्व करेंगे, जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल समिति के सदस्य सचिव होंगे. एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि समिति के अन्य सदस्य नगालैंड के मुख्य सचिव और डीजीपी और असम राइफल्स के डीजीपी हैं.

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अमित शाह ने शीर्ष नेताओं से की मुलाकात 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा क्रमशः नगालैंड और असम के मुख्यमंत्रियों नेफ्यू रियो (Neiphiu Rio) और हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) के साथ बैठक करने के 3 दिन बाद समिति का गठन किया गया है. दिल्ली में 23 दिसंबर को हुई बैठक में नागालैंड के उप मुख्यमंत्री वाई पैटन और नागालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री टी आर जेलियांग (T. R. Zeliang) भी शामिल थे.

इसी समिति की रिपोर्ट के आधार पर होगा फैसला

आपको बता दें कि यह समिति 45 दिन में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. समिति नागालैंड में अफस्पा को हटाने की संभावना पर गौर करेगी, जहां यह कानून दशकों से लागू है. समिति की सिफारिशों के आधार पर निर्णय लिया जाएगा.

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नागालैंड में हो रहे विरोध प्रदर्शन 

अधिकारियों ने बताया कि दिसंबर की शुरुआत में नागालैंड के मोन जिले में उग्रवाद विरोधी अभियान में सीधे तौर पर शामिल रहे सैन्यकर्मियों के खिलाफ भी निष्पक्ष जांच के बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने की संभावना है. जांच लंबित रहने तक सेना के जवानों को निलंबित किया जा सकता है. गौरतलब है कि सेना की एक टुकड़ी द्वारा मोन जिले में की गई गोलीबारी में 14 लोगों की मौत के बाद आफस्पा को वापस लेने के लिए नागालैंड के कई जिलों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.

अमित शाह का जताया आभार

एक अधिकारी ने बताया कि उच्च स्तरीय समिति के गठन का फैसला 23 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया. इससे पहले, नागालैंड के मुख्यमंत्री ने रविवार को ट्वीट किया, ‘केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में 23 दिसंबर को नई दिल्ली में बैठक हुई. मामले को गंभीरता से लेने के लिए अमित शाह जी का आभारी हूं. राज्य सरकार सभी वर्गों से शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने की अपील करती है.’

नागालैंड सरकार देगी इन लोगों को नौकरी

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि मोन जिले की घटना में सीधे तौर पर शामिल सैन्य इकाई और कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही, संभवत: ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ शुरू की जाएगी और निष्पक्ष जांच के आधार पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी. नागालैंड सरकार घटना में मारे गए 14 लोगों के परिजनों को सरकारी नौकरी देगी. केंद्रीय गृह मंत्री ने नागालैंड में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 14 लोगों की मौत की घटना पर खेद प्रकट करते हुए 6 दिसंबर को संसद को बताया था कि इसकी विस्तृत जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है जिसे 1 महीने के अंदर जांच पूरी करने को कहा गया है.

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अमित शाह ने दिया घटना का ब्योरा  

अमित शाह ने घटना का ब्योरा देते हुए कहा था कि 4 दिसंबर को नगालैंड के मोन जिले में भारतीय सेना को उग्रवादियों की आवाजाही की सूचना मिली और उसके 21 पैरा कमांडो के दल ने इंतजार किया. उन्होंने कहा कि शाम को एक वाहन उस जगह पर पहुंचा और सशस्त्र बलों ने उसे रुकने का संकेत दिया, लेकिन वह नहीं रुका और आगे निकलने लगा. शाह ने कहा कि इस वाहन में उग्रवादियों के होने के संदेह में इस पर गोलियां चलाई गईं. शाह ने कहा था कि बाद में इसे गलत पहचान का मामला पाया गया.

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