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नई दिल्ली: पांच राज्यों में विधान सभा चुनावों के नतीजे न सिर्फ ये तय करेंगे कि इन राज्यों के अगले मुख्यमंत्री कौन होंगे, इनका सीधा असर इस साल होने राष्ट्रपति पद के चुनाव पर भी पड़ेगा. दरअसल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त होगा और 10 मार्च को उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा विधानसभाओं के चुनाव परिणाम फैसला करेंगे कि 2022 में राष्ट्रपति पद के चुनाव (President Election 2022) में किस पार्टी या गठबंधन की निर्णायक भूमिका होगी.
अगर एग्जिट पोल भविष्यवाणी के अनुसार ही नतीजे आते हैं तो राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी (BJP) के लिए मुश्किल हो जाएगी. यूपी पर किए गए कई एग्जिट पोल (UP Exit Poll) की अगर विश्लेषण करें तो बीजेपी को औसत 240 सीटें मिल रही हैं. यानी 2017 के चुनाव की तुलना में 72 सीटें कम होंगी. ऐसे में एनडीए खासकर बीजेपी को अपने पसंदीदा उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनवाने के लिए कुछ और सहयोगी ढूंढने होंगे.
इस समय भारतीय जनता पार्टी (BJP) देश के शीर्ष पद के लिए अपने उम्मीदवार का आसानी से चयन करने की स्थिति में है, लेकिन उत्तर प्रदेश में प्रतिकूल परिणाम इस स्थिति में बदलाव कर सकते हैं और ऐसा होने पर राष्ट्रपति चुनाव में बीजू जनता दल (BJD), तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) जैसी क्षेत्रीय पार्टियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी. हालांकि, अगर एग्जिट पोल (UP Exit Poll 2022) की बात करें तो ज्यादातर पोल में UP में बीजेपी की सरकार बनने की भविष्यवाणी की गई है.
राष्ट्रपति चुनाव में उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का मूल्य सबसे अधिक यानी 208 है, जबकि सिक्किम के एक विधायक के वोट का मूल्य सबसे कम यानी सात है. जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, उनमें से पंजाब के एक विधायक के वोट का मूल्य 116, उत्तराखंड के विधायक के वोट का मूल्य 64, गोवा के एक विधायक के वोट का मूल्य 20 और मणिपुर के एक विधायक के वोट का मूल्य 18 है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि राज्य के 403 विधायकों में से प्रत्येक के वोट का मूल्य सबसे अधिक यानी 208 है. उत्तर प्रदेश विधानसभा के वोट का कुल मूल्य 83,824, पंजाब का 13,572, उत्तराखंड का 4,480, गोवा का 800 और मणिपुर का कुल मूल्य 1,080 है.
अलग-अलग समीकरण के अनुसार, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के निर्वाचित प्रतिनिधियों के मतों का मूल्य कुल संख्या के 50% से कम है और इस साल राष्ट्रपति भवन में अपने उम्मीदवार की जीत का रास्ता साफ करने के लिए उसे गठबंधन से अलग कुछ मित्र दलों के समर्थन पर निर्भर रहना होगा. यही वजह है कि तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव (K Chandrashekhar Rao) राष्ट्रपति चुनाव में अहम भूमिका निभाने के स्पष्ट इरादे से विपक्षी दलों से मुलाकात कर रहे हैं.