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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शराब की सभी प्राइवेट दुकानें (Private Liquor Shops) अगले महीने बंद हो जाएंगी और केवल सरकारी स्टोर ही खोले जाएंगे. दिल्ली में 17 नवंबर से नई आबकारी नीति (New Excise Policy) के तहत नई दुकानें खोली जाएंगी, तब तक सिर्फ सरकारी दुकानों पर ही शराब की बिक्री होगी.
वर्तमान में दिल्ली में अभी 720 से ज्यादा शराब की दुकानें चलती हैं, जिसमें 260 प्राइवेट दुकानें हैं. नई आबकारी नीति के अनुसार सभी 32 जोन में लाइसेंस के आवंटन के बाद सरकार ने निजी शराब की दुकानों का लाइसेंस 30 सितंबर तक के लिए बढ़ाया था, उसे अब आगे जारी नहीं किया जाएगा. इस वजह से एक अक्टूबर से सभी 260 प्राइवेट दुकानें बंद हो जाएंगी.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने बताया है कि नई आबकारी नीति तहत दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया है, जिनमें से 20 जोन में लाइसेंस आवंटन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और बाकी 12 जोन की फाइनेंसियल बिड्स जल्द जारी हो जाएगी. 17 नवंबर से नई आबकारी नीति के तहत दुकानें खोली जाएंगी. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नई आबकारी नीति से इस पूरी प्रणाली में भी काफी बदलाव आएंगे. किसी भी शराब की दुकान के लिए कम से कम 500 वर्ग फीट की दुकान होना जरूरी होगा.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से दिल्ली के राजस्व प्राप्ति में भारी कमी आई है. साल 2020-21 में दिल्ली को अनुमान से 41 प्रतिशत कम राजस्व की प्राप्ति हुई, जबकि 2021-22 में भी अबतक अनुमानित राजस्व से 23 प्रतिशत कम राजस्व मिला है. साथ ही केंद्र सरकार के जीएसटी कंपनसेशन देना बंद करने से दिल्ली सरकार के राजस्व में अगले साल से 8000 करोड़ रुपये की कमी आएगी. उन्होंने बताया कि वर्तमान में दिल्ली सरकार के जीएसटी कलेक्शन में 23 प्रतिशत, वैट कलेक्शन 25 प्रतिशत, एक्साइज कलेक्शन 30 प्रतिशत, स्टाम्प कलेक्शन 16 प्रतिशत और मोटर व्हीकल टैक्स कलेक्शन में 19 प्रतिशत की कमी आई है.
बता दें कि दिल्ली को केंद्रीय करों में केवल 325 करोड़ रुपये मिलते हैं, जबकि केंद्रीय करों में दिल्ली सरकार की भागीदारी 1 लाख 40 हजार करोड़ रुपये की होती है. अब तक शराब के दुकान की लाइसेंस फीस 8-10 लाख रुपये और एक्साइज ड्यूटी 300 प्रतिशत हुआ करती थी. नई आबकारी नीति से दिल्ली सरकार को नवंबर 2021 के बाद से हर साल लगभग 3500 करोड़ रुपये के राजस्व की प्राप्ति होगी और सरकार को एक्साइज से लगभग 10000 करोड़ के कुल राजस्व की प्राप्ति होगी.
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