क्या दादी इंदिरा के रास्ते पर चलेंगी प्रियंका? लोकसभा चुनाव में साउथ से डेब्यू करने के कितने फायदे कितने नुकसान
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क्या दादी इंदिरा के रास्ते पर चलेंगी प्रियंका? लोकसभा चुनाव में साउथ से डेब्यू करने के कितने फायदे कितने नुकसान

Loksabha Elections 2024: चर्चा है कि प्रियंका गांधी आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाएंगी. दावा यह भी किया जा रहा है कि प्रियंका गांधी अपनी चुनावी शुरुआत दक्षिण भारत से कर सकती हैं.

क्या दादी इंदिरा के रास्ते पर चलेंगी प्रियंका? लोकसभा चुनाव में साउथ से डेब्यू करने के कितने फायदे कितने नुकसान

Loksabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के दिन नजदीक आ रहे हैं. पक्ष और विपक्ष एक दूसरे के लिए सियासी बिसात बिछाने में जुट गया है. हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल कहा गया था. इसमें भाजपा ने कांग्रेस के छक्के छुड़ा दिए और तीन राज्यों में दमदारी से जीत हासिल की. कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को इन नतीजों से बड़ा झटका लगा है. जिसके बाद से विपक्षी खेमे में उधेड़बुन का माहौल है. इस बीच कांग्रेस में बड़ी फेरबदल भी देखने को मिली है. पार्टी के पदों पर कई नए नेता नियुक्त किए गए हैं. लेकिन प्रियंका गांधी से यूपी प्रभार हट गया है. अब चर्चा है कि वे लोकसभा चुनाव से सियासी डेब्यू करने वाली हैं और अपनी दादी इंदिरा की तरह ये शुरुआत दक्षिण भारत से कर सकती हैं. आइये जानते हैं कांग्रेस और प्रियंका के लिए यह कदम फायदे का सौदा होगा या नुकसान का?

प्रियंका अब यूपी की प्रभारी नहीं..

INDIA गठबंधन की बैठक 19 दिसंबर को हुई थी. इसमें कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कई अहम फैसले लिए गए. इसमें सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन सकी. सभी विपक्षी दलों ने सीट शेयरिंग पर अंतिम निर्णय जल्द लेने की बात कही. इस बैठक के कुछ ही दिनों बाद कांग्रेस में फेरबदल देखने को मिली. इस फेरबदल में सबकी नजर उत्तर प्रदेश को लेकर थी. अभी तक यूपी का प्रभार प्रियंका गांधी के पास था. लेकिन बैठक के बाद यह प्रभार प्रियंका गांधी से हटकर अविनाश पांडे के पास पहुंच गया. 

दक्षिण भारत जाएंगी प्रियंका?

जिसके बाद से चर्चा है कि प्रियंका गांधी आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाएंगी. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व प्रियंका गांधी को ट्रंप कार्ड के रूप में देखता है. पार्टी आगामी आम चुनाव में पीएम मोदी के खिलाफ किसी भी मौके को नहीं गंवाना चाहती. दावा यह भी किया जा रहा है कि प्रियंका गांधी अपनी चुनावी शुरुआत दक्षिण भारत से कर सकती हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान तेलंगाना और कर्नाटक में प्रियंका गांधी सबसे अधिक आक्रामक थीं. ये एक कारण हो सकता है कि प्रियंका गांधी दक्षिण भारत की किसी सीट से चुनाव लड़ें.

यूपी में कांग्रेस के लिए हालात ठीक नहीं?

कहा यह भी जा रहा था कि प्रियंका गांधी पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से चुनाव लड़ सकती हैं. लेकिन कांग्रेस को पता है कि यह बेहद रिस्की कदम होगा. टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भी सुझाव दिया था कि प्रियंका गांधी को वाराणसी में पीएम मोदी के खिलाफ उतारा जाए. कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों की मानें तो पार्टी अन्य दलों और यहां तक कि सहयोगियों के ऐसे सुझावों के साथ नहीं जाएगी. प्रियंका के मामले में तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा. कांग्रेस को पता है कि उत्तर प्रदेश में पार्टी मुश्किल हालात में है. यहां तक कि अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस की पकड़ छूटती जा रही है.

प्रियंका के लिए दक्षिण ही सेफ क्यों?

ऐसे में लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी के लिए सबसे सेफ जगह दक्षिण ही है. इतिहास में झांक कर देखें तो दक्षिण भारत हमेशा से कांग्रेस के लिए लकी साबित हुआ है. प्रियंका गांधी की दादी इंदिरा गांधी अविभाजित आंध्र प्रदेश में मेडक और कर्नाटक में चिक्कमंगलुर और सोनिया गांधी कर्नाटक में बेल्लारी से लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर चुकी है. इन सीटों पर कांग्रेस का होल्ड तगड़ा रहा है. प्रियंका गांधी अगर यहां से चुनाव लड़ती हैं तो उनके लिए मुकाबला आसान हो सकता है. वहीं, कांग्रेस की तेलंगाना इकाई चाहती है कि प्रियंका गांधी तेलंगा से चुनाव लड़ें. क्योंकि इससे पार्टी को आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी मदद मिलेगी.

कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत नहीं..

अब इसके नुकसान के बारे में बात करते हैं. अगर प्रियंका गांधी दक्षिण भारत से चुनाव लड़ती हैं तो इससे पूरे देश में साफ संकेत जाएगा कि हिंदी भाषी राज्यों में कांग्रेस सियासी वजूद खो चुकी है. क्योंकि राहुल गांधी भी अब अमेठी से नहीं बल्कि केरल के वायनाड से सांसद हैं. अगर प्रियंका भी यही राह अपनाती हैं तो भाजपा को इससे मजबूती मिलेगी. क्योंकि जब कांग्रेस के प्रथम परिवार के दोनों उत्तराधिकारी दक्षिण से संसद में प्रवेश करेंगे तो इससे यह आभास होगा कि पार्टी सिर्फ दक्षिण में सिमट कर रह गई है और भाजपा एक राष्ट्रीय पार्टी है जो दक्षिण में भी अपना आधार मजबूत कर रही है. इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि दक्षिण कांग्रेस और प्रियंका गांधी के लिए आसान फैसला नहीं होगा.

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