भारत में भोजन की कमी से होने वाली मौतों में इस नीति से आ सकती है कमी
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भारत में भोजन की कमी से होने वाली मौतों में इस नीति से आ सकती है कमी

अप्रैल में लॉंसेट पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, खराब आहार से भारत में सालाना सैकड़ों मौतें होती हैं.

अध्ययन में 195 देशों में 1990 से 2017 तक 15 आहार कारकों की खपत के रुझान पर नज़र रखी गई, जिसमें दिखाया गया कि भारत प्रति एक लाख लोगों में 310 मौतों के साथ 118 वें स्थान पर है.

नई दिल्ली: पिछले साल विश्व भूख सूचकांक में भारत की खराब रैंकिंग के बाद, विशेषज्ञों ने सरकार से देश में भोजन की कमी से होने वाली मौतों को कम करने के लिए एक व्यापक पोषण नीति बनाने का आग्रह किया है. वाशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवेल्यूएशन (आईएचएमई) द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि वैश्विक स्तर पर सिर्फ खराब आहार के कारण 1.1 करोड़ से अधिक मौतें होती हैं. अप्रैल में लॉंसेट पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, खराब आहार से भारत में सालाना सैकड़ों मौतें होती हैं.

अध्ययन में 195 देशों में 1990 से 2017 तक 15 आहार कारकों की खपत के रुझान पर नज़र रखी गई, जिसमें दिखाया गया कि भारत प्रति एक लाख लोगों में 310 मौतों के साथ 118 वें स्थान पर है. विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को पौष्टिक भोजन तक पहुंच सुनिश्चित करनी होगी.

 

पारस अस्पताल, गुरुग्राम के एक वरिष्ठ विशेषज्ञ राजेश कुमार ने कहा, ‘‘हम एक उचित पोषण खाद्य नीति के मामले में विफल रहे हैं. खराब आहार में विटामिन, प्रोटीन, वसा, खनिज और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है, जिसके कारण आवश्यक पोषण नहीं मिल पाता है.’’

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