Delhi Govt Crisis: राज कुमार आनंद का इस्तीफा मंजूर नहीं हो पाने की वजह से वह अभी तक मंत्री बने हुए हैं. लेकिन दफ्तर में जाकर वह किसी फाइल पर साइन नहीं कर सकते हैं. कोई फैसला नहीं ले सकते हैं.
Trending Photos
Raaj Kumar Anand Resignation: दिल्ली के पटेल नगर से विधायक राज कुमार आनंद (Raaj Kumar Anand) ने मंत्री पद और आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा तो दे दिया है लेकिन टेक्निकली जब तक इस्तीफा मंजूर नहीं होता है तब तक वह मंत्री बने रहेंगे. राज कुमार आनंद के इस्तीफे की वजह से दिल्ली में शासन संकट पैदा हो गया है. अरविंद केजरीवाल के कस्टडी में होने की वजह से इस्तीफा मंजूर होने में देरी हो रही है. विभाग के रूटीन फैसलों और पोर्टफोलियो को बांटने में देरी हो रही है.
कैसे मंजूर हो सकता है राज कुमार आनंद का इस्तीफा?
ऐसे हालात में लग रहा है कि कानूनी हस्तक्षेप की जरूरत पड़ सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि हालात सामान्य होते तो राज कुमार आनंद के मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री इस्तीफा मंजूर करते और उसके बाद वह एलजी के पास फॉरवर्ड किया जाता. वहां से इस्तीफा अप्रूवल के लिए राष्ट्रपति के पास चला जाता है. राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद दिल्ली विधानसभा से एक गजट नोटिफिकेशन जारी होता और इस्तीफे की वजह से राज कुमार आनंद सदन के सदस्य नहीं रहते.
ये भी पढ़ें- अब्दुल पढ़ने गया था US, 25 साल के युवा का कत्ल; परिवार कैसे भरेगा 43 लाख का लोन?
क्यों नहीं मंजूर हुआ राज कुमार आनंद का त्यागपत्र?
लेकिन अब हालात अलग हैं. राज कुमार आनंद ने अपना इस्तीफा सीएम दफ्तर को भेजा है. लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल अभी न्यायिक हिरासत में हैं. मंजूरी के लिए इस्तीफे का अरविंद केजरीवाल तक पहुंचना अभी नामुमकिन जैसा है. वहीं, दिल्ली विधानसभा के स्पीकर के दफ्तर ने कहा कि उनको राज कुमार आनंद का इस्तीफा नहीं मिला है. लोग तो ये तक कहने लगे हैं कि ऐसा लगता है कि राज कुमार आनंद का इस्तीफा तो लगता है जैसे बरमूडा ट्रायंगल में खो गया है.
अभी भी मंत्री हैं राज कुमार आनंद
गौरतलब है कि अगर हालात सामान्य होते तो मंत्री पद से इस्तीफे के बाद राज कुमार आनंद के पोर्टफोलियो अन्य मंत्रियों में बांट दिए जाते. राज कुमार आनंद की जगह उनके विभाग को कोई और मंत्री संभाल लेता या किसी नए विधायक को मंत्री बनाकर ये जिम्मेदारी दे दी जाती. अब हालात ये हैं कि राज कुमार आनंद इस्तीफा मंजूर नहीं होने की वजह से मंत्री भी हैं कि लेकिन वह दफ्तर जाकर रूटीन कामकाज नहीं कर सकते हैं. कोई फैसला नहीं कर सकते हैं. किसी फाइल पर साइन नहीं कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें- 8500 रुपये खटाखट खटाखट... तब इंदिरा, अब राहुल गांधी ने दिया गरीबी हटाने का फॉर्मूला
बरमूडा ट्रायंगल क्या है?
दरअसल, अटलांटिक सागर में करीब 5 लाख स्क्वायर किलोमीटर का एक बड़ा सा तिकोने आकार का हिस्सा है, जिसको बरमूडा ट्रायंगल कहते हैं. हालांकि, किसी को पुख्ता कारण तो नहीं पता लेकिन पिछले 100 साल में बरमूडा ट्रायंगल में 75 एयरोप्लेन और 100 से ज्यादा छोटे-बड़े समुद्री जहाज समा चुके हैं. इन हादसों में 1,000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. यही वजह है कि यह एक डरावना रहस्य बना हुआ है. इसको डेविल ट्रायंगल भी कहा जाता है.