सब ने बना दी जोड़ी! यहां इंसान नहीं बल्कि गांव हैं पार्टनर, कभी नहीं हुए जुदा
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सब ने बना दी जोड़ी! यहां इंसान नहीं बल्कि गांव हैं पार्टनर, कभी नहीं हुए जुदा

आज हम आपको एक जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां इंसान नहीं बल्कि कई गांव एक दूसरे के पार्टनर हैं. इन गांवों को जोड़ों के रूप में जाना जाता है. 

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली: आज यानी 14 फरवरी को दुनिया भर में वेलेंनटाइन डे मनाया जा रहा है. आज के दिन को लोग प्यार का दिन मानते हैं. इस दिन तमाम लोग अपने पार्टनर से प्यार भरे वादे करेंगे. आपने कई अमर प्रेम कहानियां सुनी होंगी. लेकिन आज हम आपको एक जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां इंसान नहीं बल्कि कई गांव एक दूसरे के पार्टनर हैं. इन गांवों को जोड़ों के रूप में जाना जाता है. यानी अगर एक गांव का नाम स्त्रीलिंग है तो इसी नाम के साथ दूसरे गांव का नाम पुल्लिंग है. आइए इन गांवों के बारे में विस्तार से बताते हैं.

  1. राजस्थान के झालावाड़ा जिले में हैं ये 44 गांव
  2. एक दूसरे के जोड़े माने जाते हैं
  3. एक का नाम है मेल तो पड़ोसी का फीमेल

जिले के 44 गांव जाने जाते हैं जोड़े के रूप में 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये गांव राजस्थान के झालावाड़ा जिले में हैं. झालावाड़ जिला केवल संतरा उत्पादन के लिए नहीं जाना जाता, बल्कि इस जिले के 44 गांवों की भी एक अलग पहचान हैं. ये 44 गांव जोड़ों के रूप में जाने जाते हैं. यहां के बुजुर्गों का कहना है कि प्राचीन काल में जब एक बड़ा गांव बसता था तो उसको पुल्लिंग के नाम से पहचाना जाता था. ऐसे में उसी गांव के पास कोई छोटा गांव और आबाद होता तो बड़े बुजुर्गों ने दोनों गांव के लोगों में आपसी सौहार्द और भाई चारा बनाने के लिए उसे स्त्रीलिंग के नाम से पहचान दी. 

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एक का नाम है मेल तो दूसरा फीमेल

राजस्थान के झालावाड़ जिले के गांव के नामों में यही सौहार्द देखने को मिलता है. जिले की 8 पंचायत समितियों में 610 गांव हैं. इनमें से 44 गांव को जोड़ों के रूप में पहचाना जाता है. आइए इन गांवों के नाम बताते हैं.

बड़बेला- बड़बेली
धानोदा- धनोदी
रलायता- रलायती
भीलवाड़ा- भीलवाड़ी
कनवाड़ा- कनवाड़ी
खेरखेड़ा- खेरखेड़ी
उचावदा- उचावदी
उचावदा- उचावदी
भूमाडा-  भूमाडी
देवर- देवरी
पथरिया- पथरी
बरखेड़ा- बरखेड़ी
चाडा- चीडी
हतोला- हतोली
अलोदा- अलोदी
बांसखेड़ा- बांसखेड़ी
चछलाव- चछलाई
सोयला- सोयली
सेमला- सेमली
दोबड़ा- दोबड़ी

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गांव वालों में नहीं होता झगड़ा और मनमुटाव

गांववालों का कहना है कि जिन गांव को जोड़ों के रूप में पहचाना जाता है उन गांव के लोगों के बीच ना तो कभी झगड़ा हुआ है और ना ही कोई मनमुटाव. सभी गांव के लोग एक दूसरे के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं. सुख-दुख में हमेशा साथ ही रहे हैं.

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