ये है बेहद अनोखा मंदिर, जहां भक्त चढ़ाते हैं भगवान पर बीड़ी, नहीं तो हो जाता है अमंगल
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ये है बेहद अनोखा मंदिर, जहां भक्त चढ़ाते हैं भगवान पर बीड़ी, नहीं तो हो जाता है अमंगल

आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां भगवान पर प्रसाद नहीं बल्कि बीड़ी चढ़ाई जाती है. आइए इस मंदिर के बारे में विस्तार से बताते है.

ये है बेहद अनोखा मंदिर, जहां भक्त चढ़ाते हैं भगवान पर बीड़ी, नहीं तो हो जाता है अमंगल

नई दिल्ली: भारत में लोगों की मंदिरों के प्रति काफी आस्था है. यहां करोड़ों मंदिर हैं. शायद ही कोई ऐसा गांव होगा जहां मंदिर न हो. कई मंदिर तो ऐसे हैं जो किसी खास वजह से मशहूर हैं. भक्त भगवान को खुश करने के लिए मंदिरों में पूजा करते हैं और प्रसाद जैसी चीजों को चढ़ाते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां भगवान पर प्रसाद नहीं बल्कि बीड़ी चढ़ाई जाती है. ये बात सुनने में अजीब लग रही होगी लेकिन बिल्कुल सच है. आइए इस मंदिर के बारे में विस्तार से बताते है.

  1. बिहार के कैमूर जिले में है मुसहरवा मंदिर
  2. 1400 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है मंदिर
  3. रास्ते से गुजरने वाले लोग चढ़ाते हैं बीड़ी

1400 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है मंदिर

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मंदिर का नाम है मुसहरवा मंदिर. ये बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर प्रखंड के 1400 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है. यहां यूपी, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से लोग अपनी फरियाद लेकर आते हैं. भक्त अपने कुशल मंगल यात्रा को लेकर मुसहरवा बाबा को बीड़ी चढ़ाते हैं, फिर अपने मंजिल तक जाते हैं. बता दें कि ये इलाका नक्सल ग्रस्त इलाका माना जाता है. जहां अधौरा पहाड़ी पर नक्सलियों का राज हुआ करता था और तभी से इस मंदिर में बीड़ी चढ़ाने का प्रचलन है.

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पहाड़ी पर चढ़ने से पहले और बाद में चढ़ाई जाती है बीड़ी

यहां ये मान्यता है कि पहाड़ी घाटी चढ़ने से पहले और चढ़ने के बाद मुसहरवा बाबा को बीड़ी चढ़ाना जरूरी है. इससे उनके रास्ता में आने वाले हर प्रकार के विघ्न बाधा दूर हो जाता है और लोग सुरक्षित यात्रा करते हैं. जिनके पास बीड़ी चढ़ाने के लिए नहीं होता है वो मुसहरवा बाबा के दान पेटी में बीड़ी चढ़ाने के लिए पैसा डालते हैं फिर आगे बढ़ते हैं. 

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जो करते हैं अवहेलना उनके साथ होता है अनिष्ठ

मंदिर के पुजारी गोपाल बाबा बताते हैं कि मुसहरवा बाबा के मंदिर में 22 सालों से लोग पूजा-अर्चना कर रहे हैं. कोई भी राहगीर या अघौरा जाने वाला यात्री इस रास्ते से होकर गुजरता है. उसे बीड़ी का भोग लगाना जरूरी होता है. कई ऐसे यात्री हैं जिन्होंने बाबा के मान्यता की अवहेलना कि और उनके साथ अनिष्ठ हो गया. कोई पहाड़ से फिसल गया और किसी को चोट लग गई. यदि पहाड़ी का सफर आसानी से तय करना है, तो आपके साथ यात्रा के लिए सावधानी की सामग्री के साथ एक बंडल बीड़ी लेकर आना होगा. उसके बाद ही आपकी यात्रा पूरी होगी.

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