Bhilwara: संघर्षों से भरी है जिंदगी, भामाशाह, समाजसेवी और सरकार से मदद की उम्मीद
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Bhilwara: संघर्षों से भरी है जिंदगी, भामाशाह, समाजसेवी और सरकार से मदद की उम्मीद

आसींद उपखंड के भीलों का झोपड़िया राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में छात्र-छात्राओं के बीच दिनेश भील हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच लेता है. 

संघर्षों से भरी है जिंदगी

Bhilwara: राजस्थान के भीलवाड़ा (Bhilwara News) जिले में भीलो का झोपड़िया गांव में जन्मे दिनेश भील की जिंदगी काफी संघर्षों भरी है. जन्म के कुछ साल बाद ही दोनों आंखो से दिखना कम हो गया और आर्थिक तंगी से मजबूर माता-पिता ने कई हॉस्पिटलों के चक्कर लगाए लेकिन पैसों की कमी के चलते बेहतर इलाज नहीं मिल पाया और वक्त के साथ-साथ हालत और बिगड़ते गए. 10वीं कक्षा में पढ़ने वाले दिनेश के हौंसले गरीबी नहीं तोड़ पाई और उसने बंद आंखों से ही हर कक्षा में बेहतर परिणाम दिए. अब उसे उम्मीद है समाज के उन भामाशाहों, सरकार और समाज सेवियों से जिनके सहयोग से वह अपना इलाज करवाकर देश और राष्ट्र के निर्माण में अपनी भूमिका निभा सकता है.

इस बीमारी से गुजर रहा है दिनेश
आसींद उपखंड के भीलों का झोपड़िया राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय (Government Higher Secondary School) में छात्र-छात्राओं के बीच दिनेश भील हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच लेता है. 17 साल पहले अचानक दिनेश की आंखों की रोशनी चली गयी और काफी इलाज के बाद भी उनके सामने अंधेरा ही रहा. दरअसल, उनकी रेटिना की नस सूख जाने से रेटिनाइट्रिक्स पिग्मेंट तोसा यानी काला पानी बीमारी हो गई है और इस वजह से आंख की रोशनी लौट पाना संभव नहीं है. इसके बावजूद दिनेश ने कभी हार नहीं मानी और उन्होंने अपने अंदर की स्किल और कला को निखारा, जिसका नतीजा है कि वह अब दूसरों के लिए एक सहारा बन गया है.

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पढ़ाई में काफी होनहार है दिनेश
दिनेश भील कक्षा 10 का नियमित छात्र है और दिनेश पढ़ाई में काफी होनहार है और पढ़ाई के प्रति अच्छी लग्न भी रखता है. दिनेश पढ़ना चाहता है, लिखना चाहता है और दोस्तों के साथ अपनी जिंदगी जीना चाहता है. वह चाहता है कि अपनी कला के दम पर देश, समाज और राष्ट्र का नाम रोशन करें और उसके इस सपने को साकार करने में भामाशाह, समाजसेवी और सरकार उसकी मदद कर सकती है. जी मीडिया की मुहिम के बाद कई भामाशाह आगे आए है और दिनेश की आंखों का इलाज भी करवाना चाहते है.

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क्या कहना है दिनेश के अध्यापक का
दिनेश के अध्यापक बताते है कि दिनेश को पढ़ने के लिए किताब को बहुत ही नजदीक से देखना पड़ता है और ब्लैक बोर्ड पर लिखे हुए प्रश्न उत्तर सही से दिखाई ना देने के कारण नजदीक में बैठे छात्रों का सहारा लेना पड़ता है. दिनेश पढ़ाई में काफी होनहार है और पढ़ाई में काफी रुचि भी रखता है. दसवीं कक्षा में आंखों से कम दिखने के बावजूद भी काफी अच्छे नंबर लाता है. दिनेश कमजोर आंखों के कारण पढ़ाई में काफी दिक्कतें झेलता है लेकिन अगर कोई सामाजिक संस्था और भामाशाह आगे आए और उच्च स्तरीय इलाज मिलता है तो दिनेश का इलाज होने की अब भी संभावना है जिससे वह पढ़-लिखकर कुछ बन सकता है. अध्यापक ने बताया कि दिनेश के इलाज को लेकर विद्यालय प्रशासन द्वारा आंखों के डॉक्टर को बताया गया और विभाग द्वारा मिलने वाली छात्रवृत्ति के लिए भी आवेदन किया गया है. दिनेश भील के पिता शंकर लाल भील कृषि कार्य कर परिवार का जीवन-यापन करते है और माता कमला देवी ग्रहणी है. शंकरलाल की आस टिकी है कि यदि कोई भामाशाह और संगठन आगे आए तो दिनेश का इलाज हो सकता है.

Reporter: DILSHAD KHAN

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