टूटता नजर आ रहा अजमेर सवाई माधोपुर रेल परियोजना का सपना
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टूटता नजर आ रहा अजमेर सवाई माधोपुर रेल परियोजना का सपना

केकड़ी के रास्ते अजमेर जिले के नसीराबाद और सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा तक प्रस्तावित 165 किमी नई रेल लाइन की योजना का ख्वाब टूटता नजर आ रहा है. राज्य सरकार की ओर से निशुल्क भूमि उपलब्ध नहीं कराने और लागत की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी वहन नहीं करने के कारण रेलवे इस योजना का क्रियान्वयन नहीं कर रहा है. 

 165 किमी नई रेल लाइन की योजना का ख्वाब टूटता नजर आ रहा है

kekri : केकड़ी के रास्ते अजमेर जिले के नसीराबाद और सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा तक प्रस्तावित 165 किमी नई रेल लाइन की योजना का ख्वाब टूटता नजर आ रहा है. राज्य सरकार की ओर से निशुल्क भूमि उपलब्ध नहीं कराने और लागत की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी वहन नहीं करने के कारण रेलवे इस योजना का क्रियान्वयन नहीं कर रहा है. इसकी जानकारी हाल ही में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Railway Minister Ashwini Vaishnav) ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में दी है. लोकसभा सदस्य भागीरथ चौधरी ने यह सवाल पूछा था. रेल मंत्री ने बताया कि केन्द्र सरकार की ओर से राज्य सरकार को राशि जमा कराने और नि:शुल्क भूमि उपलब्ध कराने का अनुरोध भेजा था, लेकिन राज्य सरकार ने स्वीकार नहीं किया. इस कारण रेलवे इस योजना पर कार्य शुरू नहीं कर रहा है. इस योजना की घोषणा रेल बजट में की गई थी. उस समय योजना इसी शर्त पर स्वीकृत की गई थी कि निशुल्क भूमि उपलब्ध कराने के साथ लागत की आधी हिस्सेदारी का खर्चा राजस्थान सरकार उठाएगी. 

तीन करोड़ खर्च हो चुके
इस 165 किमी रेल लाइन योजना की तैयारी पर मार्च 2020 तक करीब 3 करोड़ 13 लाख 52 हजार रुपए खर्च हो चुके हैं. इसका उल्लेख वर्ष 2021-21 के बजट के साथ जारी पिंक बुक में किया गया है. जब योजना स्वीकृत की गई थी जब इसकी लागत 436 करोड़ 85 लाख रुपए आंकी गई थी.

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165 किलोमीटर है लम्बाई, 23 बनेंगे स्टेशन
अजमेर-टोंक-सवाई माधोपुर रेल परियोजना की कुल लम्बाई 165 किलोमीटर है. इसके लिए अनुमानित 873.71 करोड़ रुपए खर्च होने थे. इसकी स्वीकृति बजट में जारी की जा चुकी है. रेल का कार्य सवाई माधोपुर के चौथ का बरवाड़ा से शुरू होकर टोंक और अजमेर जिले के कई गांवों को जोड़ेगा. अजमेर के नसीराबाद से सवाई माधोपुर के चौथ का बरवाड़ा तक 23 स्टेशन बनाए जाएंगे. इसमें चौथ का बरवाड़ा, टोंक के टोडारायसिंह का दाबडदूम्बा, बनसेरा, बरवास, टोंक का डारदाहिंद, बमोर, खेड़ा, बनेठा, सेदरी, अजमेर के नसीराबाद, लोहरवाड़ा, जसवंतपुरा, सराना, गोयला, सरवाड़, सूरजपुरा, केकड़ी, मेवदा कला, नया गांव और बघेरा शामिल हैं.

रेल विभाग ने सर्वे की निविदा 4 फरवरी 2016 को जारी की थी. इसके बाद से अब तक सर्वे टीम ने रेल लाइन बिछाने के लिए जमीन, रेलवे स्टेशन, ब्रिज समेत अन्य की सर्वे रिपोर्ट तैयार कर ली है. सर्वे टीम के मुताबिक टोंक में सवाई माधोपुर चौराहे के समीप स्टेशन बनाया जाएगा. रेल नहीं होने से टोंक जिला आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है. रेल होने पर जिला विकास के पथ पर तेजी से बढ़ेगा. सबसे अधिक औद्योगिक क्षेत्र को फायदा होगा, लेकिन रेल की कमी के चलते ऐसा नहीं हो रहा है.

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सालों से है इंतजार
रेल लाओ संघर्ष समिति ने मांग की कि केन्द्र और राज्य सरकार चौथ का बरवाड़ा-अजमेर रेल लाइन वाया टोंक के कार्य शुरू होने में आ रही अड़चनों को दूर करें और जल्द कार्य का शिलान्यास करवाए. केकड़ी के लोग रेल का इंतजार सालों से कर रहे हैं. करीब 7 दशक पहले पूर्व सांसद कवि केसरलाल ने रेल की मांग उठाई थी. इसके बाद कई सांसदों ने भी इसके बारे में सोचा, लेकिन इसे बुनियाद तक भी नहीं ले पाए. पूर्व केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री नमोनारायण मीणा और पूर्व मुख्य सचेतक और केकड़ी विधायक डॉ रघु शर्मा ने जनता की आवाज सुनी और वर्ष 2012 के पूरक बजट में केकड़ी और टोंक के लिए रेल स्वीकृत कराई. इसके बाद सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया ने भी इसके लिए संसद में आवाज उठाई, लेकिन ये आवाज सरकार की कानो तक नहीं पहुंची. इसके चलते रेल के आगे की कार्यवाही नहीं हो सकी और सर्वे के आगे रेल का कार्य आगे नहीं बढ़ पाया.

Reporter- Manveer Singh

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