Rajasthan News: भारत की सनातन वैदिक हिंदू परंपराओं के अनुसार, मकर संक्रांति का पर्व अपना विशेष महत्व रखता है. शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण में आ जाते है. इसके साथ ही एक माह से चल रहे मल मास का समापन और शुभ कार्य की शुरुआत भी हो जाती है.
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Ajmer News: तीर्थ नगरी पुष्कर में मकर संक्रांति के पर्व से पूर्व ही कस्बे भर में विशेष धार्मिक अनुष्ठान और तिल से बनी वस्तुओं के दान का सिलसिला शुरू हो जाता है. कस्बे के प्रसिद्ध ज्योतिषविद पंडित कैलाश नाथ दाधीच ने बताया कि मकर संक्रांति पर्व 15 जनवरी सन 2024 पौष शुक्ला प्रतिपदा को रात्रि 2:44 से सूर्य ग्रह धनु राशि से मकर में प्रवेश करेंगे. इस दिन दान पुण्य हवन का श्रेष्ठ योग वर्षों के बाद बन रहा है. इस बार पंचांग एवं ज्योतिष गणित के आधार पर मकर संक्रांति का दान पुण्य हवन पूजन 15 जनवरी सन 2024 प्रातः से ही प्रारंभ हो गया. इस दिन सूर्य भगवान शनि की राशि मकर पर प्रवेश करते हैं.
दान-पुण्य के लिए सबसे शुभ दिन
शास्त्रों में वर्णित है कि पिता पुत्र यानी सूर्य शनि 1 महीने तक साथ में रहते हैं, इसलिए इस अवधि में सूर्य ग्रह और शनि ग्रह को प्रसन्न करने के लिए तेल की वस्तुएं, तिलपट्टी, गजक, मीठे नमकीन पकोड़े, गर्म वस्त्र, गरम भोजन, पुस्तक के दान पुण्य का विशेष महत्व है . इस दिन धर्मराज जी का पूजन उद्यापन हवन पूजन दान पुण्य का भी विशेष महत्व रहता है. वर्ष में एक बार इस विशेष पूजा से मनुष्य कर्म बंधन से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्ति को अग्रसर होता है.
तीर्थ पुरोहित दिलीप शास्त्री ने बताया कि तीर्थ नगरी पुष्कर में सरोवर किनारे मकर संक्रांति के अवसर पर तर्पण, श्राद्ध, उपनयन संस्कार, दान पुण्य, पूजा अर्चना, का कोटि गुना फल प्राप्त होता है.
मकर संक्रांति से जुड़े कई पौराणिक किस्से
गौरतलब है कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन का ही चयन किया था. इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे−पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं. साथ ही महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए इस दिन तर्पण किया था. इन्हीं मान्यताओं के अनुसार हजारों लोग आस्था का दामन थाम मकर संक्रांति के अवसर पर धार्मिक नगरी पुष्कर पहुंचते है.
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