खुद को जिंदा करने की आस में दर-दर भटक रहा 'मुर्दा', बोला- साहब, पेंशन दिलवा दो
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खुद को जिंदा करने की आस में दर-दर भटक रहा 'मुर्दा', बोला- साहब, पेंशन दिलवा दो

प्रशासनिक लापरवाही ने एक गरीब गाड़िया लुहार को 6 माह पूर्व मृत घोषित कर दिया और सामाजिक सुरक्षा के तहत मिलने वाली पेंशन बंद कर दी. 

पंचायत क्षेत्र में रामफूल योगी की मृत्यु हो गई थी. गलती से रामफूल गाड़िया लुहार का नाम चला गया.

Tonk: जिले में निवाई (Niwai) के बरोनी गांव में 66 वर्षीय जिंदा व्यक्ति को मृत घोषित करने के बाद से वह अपने आप को जिंदा घोषित करने के लिए छह माह से ग्राम पंचायत बरोनी के दरवाजे खटखटा रहा, लेकिन उसके जिंदा होने के प्रमाण कोई नहीं मान रहा है. 

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आखिर परेशान वह होकर जिंदा खाने कमाने निवाई उपखंड मुख्यालय पर आ पहुंचा है. ग्राम पंचायत बरोनी की एक लापरवाही के चलते पीड़ित हो अपना गांव तक छोड़ना पड़ा है, जिसमें एक गरीब गाड़िया लुहार को 6 माह पूर्व मृत घोषित कर दिया और सामाजिक सुरक्षा के तहत मिलने वाली पेंशन बंद कर दी. 

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पीड़ित रामफूल पुत्र नारायण गाड़िया लुहार निवासी बरोनी ने बताया कि सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत 6 जुलाई 2020 को ग्राम पंचायत बरोनी में आवेदन किया था और 10 अगस्त 2020 को सामाजिक सुरक्षा योजना पेंशन स्वीकृत हो गई थी और 750 रुपये प्रतिमाह मिलने लगे.

नहीं हो रही पीड़ित की सुनवाई
लगातार पांच माह तक पेंशन मिलती रही. दिसम्बर माह के बाद पेंशन नहीं मिलने पर वह करीब चार माह से ग्राम पंचायत बरोनी कार्यालय पर सैकड़ों चक्कर लगा चुका है, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई. पीड़ित रामफूल ने बताया कि पंचायत प्रशासन ने यह कहकर लौटा दिया कि तुम्हें पेंशन नहीं मिलेगी, क्योंकि उसे मृत घोषित कर रखा है.

इसलिए पेंशन बंद हो गई. इसके बाद भी रामफूल ने बार-बार ग्राम पंचायत कार्यालय पर जाकर गुहार लगाता रहा, लेकिन किसी ने सुनी. उसने यह भी बताया कि जन सुनवाई और अन्य कार्यक्रमों में आए अधिकारियों को भी अपनी समस्या से अवगत कराया था, लेकिन किसी ने नहीं सुनी, जिसके बाद गांव छोड़कर खाने कमाने के लिए निवाई आ गया.

तीन पुत्र और तीन पुत्रियां
रामफूल ने बताया कि उसके 3 पुत्र और 3 पुत्रियां हैं. एक पुत्र की शादी हो गई, वह खाने कमाने निकला हुआ है. परिवार बड़ा है और आमदनी बहुत कम होने से परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. कोरोना के चलते रोजगार ही नहीं मिल रहा है. ऐसे में निवाई आया हुआ है. यहां भी कोई रोजगार नहीं है.

एक मात्र सहारा थी पेंशन
रोजी-रोजी का एक मात्र सहारा पेंशन भी पंचायत प्रशासन की लापरवाही के चलते बंद होने पर उसके सामने दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल हो गया. पीड़ित ने बताया कि इस मामले को लेकर ग्राम पंचायत के अधिकारियों के समक्ष स्वयं का आधार कार्ड लेकर पहुंचा और बताया वह जिंदा है, लेकिन लापरवाह अधिकारियों ने कोरोना काल हवाला देकर वापस भेज दिया गया.

यूं हुआ खुलासा
मामले का खुलासा उस वक्त हुआ, जब वह बैंक में पेंशन लेने गया और बैंक ने पेंशन बंद होने की जानकारी दी. इसके बाद वह ई मित्र पर पहुंचकर अपनी पेंशन की स्थिति को देखा तो उसके होश उड़ गए क्योंकि 25 जनवरी 2021 को मृत घोषित कर पेंशन बंद कर दी.

ग्राम विकास अधिकारी ने दिया मदद का आश्वासन
पंचायत क्षेत्र में रामफूल योगी की मृत्यु हो गई थी, जिसकी जगह गलती से रामफूल गाड़िया लुहार का नाम चला गया होगा और ग्राम विकास अधिकारी ने पीड़ित से प्रार्थना पत्र लेकर पेंशन पुन: शुरू करने के लिए भिजवा दिया है.
यह मामला उसके आने से पूर्व का है. सत्यापन के दौरान त्रुटिवश गलत नाम चला गया. एक माह पूर्व पीड़ित रामफूल ने उससे मिलकर प्रार्थना पत्र दिया था. जिसके बाद उसकी पेंशन पुन: शुरू करवाने के आगे कार्यवाही कर दी गई, लेकिन कोरोना के चलते सब काम रूके हुए.

Reporter- Purushottam Joshi

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