राजस्थान के चुनावी महासमर में चर्चा सिर्फ एक बात को नहीं लेकर रही कि आखिर राज बदलेगा या रिवाज. दरअसल अगर कांग्रेस रिवाज बदलने में कामयाब रही तो यह एक नया इतिहास रचेगी, क्योंकि राजस्थान में पिछले तीन दशकों से कोई भी सरकार रिपीट नहीं हो पाई है.
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Rajasthan Election 2023: राजस्थान के चुनावी महासमर में चर्चा सिर्फ एक बात को नहीं लेकर रही कि आखिर राज बदलेगा या रिवाज. दरअसल अगर कांग्रेस रिवाज बदलने में कामयाब रही तो यह एक नया इतिहास रचेगी, क्योंकि राजस्थान में पिछले तीन दशकों से कोई भी सरकार रिपीट नहीं हो पाई है. यूं तो कांग्रेस ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की योजनाओं के बलबूते ही पूरा चुनाव लड़ा लेकिन कांग्रेस ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री फेस डिक्लेअर नहीं किया. ऐसे में सवाल है कि अगर कांग्रेस रिपीट होती है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा? हम आपको ऐसे ही पांच संभावित नाम के बारे में बता रहे हैं।
अगर कांग्रेस रिपीट होती है तो सबसे प्रबल दावेदार एक बार फिर अशोक गहलोत ही होंगे. क्योंकि उनकी योजनाओं के बलबूते ही कांग्रेस चुनावी मैदान में उतरी और मजबूती से लड़ाई लड़ी. अशोक गहलोत 1998 से साल 2003, 2008 से 2013 और 2018 से 2023 तक मुख्यमंत्री रह चुके हैं. साथ ही उन्होंने केंद्रिय मंत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राष्ट्रीय महासचिव जैसे पदों का भी दायित्व संभाला है. उन्हें सियासत का जादूगर कहा जाता है और गहलोत के करीबी कहते हैं कि वह बाएं हाथ से अगला दांव कौनसा चलेंगे यह दाएं हाथ को भी नहीं पता होता है.
राजस्थान कांग्रेस में दूसरा सबसे बड़ा नाम सचिन पायलट का है, सचिन पायलट साल 2018 में भी मुख्यमंत्री पद के एक मजबूत दावेदार थे, हालांकि उन्हें उपमुख्यमंत्री बनकर ही संतोष करना पड़ा था. पायलट के नाम सबसे कम उम्र में सांसद बनने का भी रिकॉर्ड है. साथ ही 2013 में कांग्रेस की शर्मनाक हार के बाद पार्टी और संगठन को मजबूती से खड़ा भी सचिन पायलट ने ही किया था. पायलट को प्रियंका गांधी और राहुल गांधी का भी बेहद विश्वसनीय माना जाता है.
गोविंद सिंह डोटासरा शिक्षा मंत्री रहते हुए भी जमकर सुर्खियों में रहे और उसके बाद उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद की भूमिका भी बखूबी निभाई. उन्हें साल 20220 में गहलोत-पायलट के बीच हुई सियासी उठापटक के बाद प्रदेश अध्यक्ष पद का दायित्व दिया गया था. जाट समुदाय से आने वाले डोटासरा भी एक प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं.
राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी भी प्रदेश की सियासत के में एक खास भूमिका निभाते हैं, साल 2008 के विधानसभा चुनाव में जोशी को मुख्यमंत्री पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन वह महज एक वोट से चुनाव हार गए थे, अब एक बार फिर प्रदेश में अगर कांग्रेस रिपीट होती है तो सीपी जोशी भी एक मजबूत मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं.
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार में मंत्री गोविंद राम मेघवाल को कांग्रेस ने कैंपेन कमिटी का अध्यक्ष बनाकर सबको चौंका दिया था. दलित समुदाय से आने वाले मेघवाल को पिछले दिनों पार्टी और संगठन में कई अहम जिम्मेदारियां दी गई है. कुछ सियासी पंडितों का मानना है कि पंजाब की तर्ज पर कांग्रेस के पास गोविंद राम मेघवाल के तौर पर एक बड़ा दलित कार्ड है जिस पर पार्टी दांव खेल सकती है.
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