किशनगंज: वन्यजीवों को रास आने लगा शाहाबाद का जंगल, नजर आया दुर्लभ गिद्धों का झुंड
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किशनगंज: वन्यजीवों को रास आने लगा शाहाबाद का जंगल, नजर आया दुर्लभ गिद्धों का झुंड

कस्बे के नजदीक सफेद रिंग वाला गिद्ध ज्यादा दिखाई दे रहा है. इन गिद्धों को व्हाइट बैकड गिद्ध के नाम से जाना जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम जाएपस अफ्रीकन है. इसकी संख्या दिनों दिन कम हो रही है.

किशनगंज: वन्यजीवों को रास आने लगा शाहाबाद का जंगल, नजर आया दुर्लभ गिद्धों का झुंड

Kishanganj: बारां के कस्बाथाना कस्बे सहित शाहाबाद क्षेत्र में इन दिनों बरसात के बाद जंगल हरा-भरा हो जाने के साथ घना जंगल हो गया है. यहां वानस्पतिक विविधता के साथ जैव विविधता को लेकर अनुकूल परिस्थितियां बनी हुई हैं.

विभिन्न प्रजातियों के वन्यजीवों, पक्षियों को शाहाबाद का जंगल भाने लगा है, जिसके चलते विभिन्न प्रजाति के पक्षी और वन्यजीवों की संख्या क्षेत्र में लगातार बढ़ रही है. विलुप्त हुए दुर्लभ प्रजाति के गिद्धों के कुनबे में भी लगातार वृद्धि हो रही है. जंगलों में इन दिनों दो प्रजाति के गिद्ध दिखाई दे रहे हैं.

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बसे अधिक मध्य प्रदेश से सटे कस्बाथाना के जंगलों में दिखाई दे रहे हैं. यह खबर वन विभाग को खुशखबरी लेकर आई है. दो प्रजाति के गिद्ध इन दिनों जंगल में दो प्रजाति के गिद्ध दिखाई दे रहा है हालांकि अभी करीब 4 दर्जन गिद्धों के नव वयस्क चूजे भी दिखाई दे रहे हैं. चूजों के दिखाई देने से वन विभाग भी खुश नजर आ रहा है. वनकर्मी भी गिद्धों के नव वयस्क चूजों को देखकर इनके कुनबे में बढ़ोतरी मान रहा है.

सफेद रिंग वाला गिद्ध ज्यादा दिखाई दे रहा
कस्बाथाना पर्यावरण प्रेमी वृंदावन सेन, जावेद आलम ने बताया कि कस्बे के बाईपास पर घूमने गए थे तो दो प्रकार के गिद्धों के नव वयस्क चूजों का झुंड दिखाई दिया गिद्धों की गर्दन मे सफेद रंग की रिंग होने के साथ-साथ कुछ की गर्दन काली तो कुछ की गर्दन लंबी लाल दिखाई दे रही थी. इनकी सोच पैनी नजर आ रही थी. इनके पास पहुंचने पर यह उड़कर एक पेड़ पर जा बैठे. इनकी संख्या करीब चार दर्जन थी. बहुत दिनों बाद गिद्धों के नव वयस्क चूजे इन जंगलों में दिखाई दिए हैं. इन नामों से जाना जाता है.

कस्बे के नजदीक सफेद रिंग वाला गिद्ध ज्यादा दिखाई दे रहा है. इन गिद्धों को व्हाइट बैकड गिद्ध के नाम से जाना जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम जाएपस अफ्रीकन है. इसकी संख्या दिनों दिन कम हो रही है. फिलहाल यह दिनों दिन लुप्त होते जा रहे हैं. यूरोपीय ग्रिफ्रोन गिद्ध के नाम से भी जाना जाता है. देखने की विलक्षण शक्ति इन गिद्धों में देखने और सूंघने की विलक्षण शक्ति होती है. यह लगभग 8 से 10 कोश तक गंध और पानी का पता कर लेते हैं. मृत पशु खाने के लिए आता है.

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फसलों में पेस्टिसाइड के अधिक उपयोग से घरेलू जानवरों के माध्यम से इनके शरीर में पहुंचने से इनकी संख्या में कमी आई है. अब यह दिखाई देने से इनके कुनबे में बढ़ोतरी होना माना जा रहा है.

दीपक गुप्ता, उप वन संरक्षक, वन विभाग बारां का कहना है कि क्षेत्र के जंगल में गिद्धों का आना एक सुकून भरा है. यह वन विभाग के लिए खुशखबरी है. शाहबाद के जंगल में फिलहाल नव वयस्क गिद्ध दिखाई दे रहे हैं, जो जंगल में पड़े मृत मवेशियों को खाने आ रहे हैं. जंगल हरा-भरा होने के साथ ही यह आ रहे हैं.

Reporter- Ram Mehta

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