लाख दावों के बाद भी भरतपुर में नहीं रुक रहा है अवैध खनन -जानिए क्या है वजह
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लाख दावों के बाद भी भरतपुर में नहीं रुक रहा है अवैध खनन -जानिए क्या है वजह

सरकार के लाख दावे के बाद भी भरतपुर के साथ प्रदेश में अवैध खनन पर लगाम नहीं लग पा रहा है  विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में अवैध खनन के मामले में भीलवाड़ा नंबर 1 पर है तो भरतपुर छठवें नंबर पर आता है 

अवैध खनन में भरतपुर छठवें नंबर पर आता है

देवेन्द्र सिंह, भरतपुर: सरकार के लाख दावे के बाद भी भरतपुर के साथ प्रदेश में अवैध खनन पर लगाम नहीं लग पा रहा है  विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में अवैध खनन के मामले में भीलवाड़ा नंबर 1 पर है तो भरतपुर छठवें नंबर पर आता है हालांकि विभाग के अधिकारियों का दावा है कि वह अवैध खनन पर लगाम लगाने के लिए समय-समय पर कार्रवाई करते हैं लेकिन सवाल ये है अगर इतनी ही सख्ती से कार्रवाई हो रही है तो फिर माफिया दिखते ही क्यों हैं.भरतपुर के बृज चौरासी कोस में अवैध खनन को लेकर लंबे समय तक आंदोलन चला और डीग-कामां क्षेत्र की 288 खानों को तत्कालीन वसुंधरा सरकार में बंद कर 5 हजार 88 हेक्टयर खनन क्षेत्र को रातों रात वन विभाग को लैंड बैंक के रूप में दर्ज कर वन विभाग को सौंप दिया गया लेकिन इसके बावजूद भी इन क्षेत्रो के कुछ इलाकों में अब भी अवैध खनन हो रहा है  जिसके लिए बृज के संत हरिबोल दास लगातर आंदोलन करते रहते हैं अवैध बजरी खनन रोकने के लिए  SIT टीम भी बनाई गई अलग से फोर्स को भी डिप्लॉय किया गया लेकिन, अवैध खनन अब भी जारी है आलम ये है कि भरतपुर जिले में होने वाले अवैध खनन को रोकने के लिए हर महीने जिला कलक्टर और डिवीजनल कमिश्नर के कार्यालय में मीटिंग होती है जिसमें प्लान बनाया जाता है कि कैसे अवैध बजरी खनन को रोका जाए लेकिन यकीन मानिए सिर्फ प्लान ही बनता है.
भरतपुर जिले में खनिज विभाग ने करीब 675 खान वैध रूप से आवंटित कर रखी है  लेकिन भरतपुर में वैध की आड़ में अवैध खनन धड़ल्ले से होता है भरतपुर के पहाड़ी में नांगल क्रेशर जोन, विजासना जोन, छपरा जोन, गांधानेर जोन, धोलेट, डाथेट समेत दो दर्जन जगहों पर धड़ल्ले से अवैध खनन होता है । अवैध खनन के लिए एक्सप्लोसिव की भी भरतपुर में बिक्री होती है.बीजेपी नेता जवाहर सिंह बेढंम का आरोप है कि राजनीतिक सरक्षंण में पहाड़ी में अवैध खनन हो रहा है खनन लीज धारक ही अवैध खनन कर रहे हैं, क्योंकि पहाड़ी इलाके में कहीं पर आवंटित लीज ईयर मार्क नहीं है इसलिए जब भी प्रशासन कोई अधिकारी कार्रवाई करने जाता है, तो वैध अवैध की गफलत में कोई कार्रवाई नहीं होती है 

 

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