Bhilwara News Today: राजस्थान के भीलवाड़ा में भगवान की सवारी के दौरान डीजे साउंड बंद करने को लेकर दो समुदायों में विवाद हो गया और दोनों समुदाय के लोग आमने-सामने हो गए, जिससे तनाव की स्थिति बन गई. पुलिस ने क़ानून व्यवस्था क़ायम रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किया गया है.
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Bhilwara News: ज़िले के मांडल थाना क्षेत्र में भगवान की सवारी के दौरान डीजे साउंड बंद करने को लेकर दो समुदायों में विवाद हो गया और दोनों समुदाय के लोग आमने-सामने हो गए, जिससे तनाव की स्थिति बन गई. पुलिस ने क़ानून व्यवस्था क़ायम रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किया गया है.
भीलवाड़ा के मांडल कस्बे में एकादश्मी से पूर्व दशमी को परंपरागत तरीके से शेषशहाय धाम बड़ा मंदिर से भगवान चारभुजा नाथ का बेवाण निकलता है, जो की भजन कीर्तन के साथ नियत मार्ग से होते हुए पुनः बड़ा मंदिर पहुंचता है.
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कस्बे में हसन हुसैन के ताजिया भी निकलने वाले थे. वहीं, दशमी पर भगवान चारभुजा का बेवाण भी निकाला जा रहा था. दोनों समुदाय अपने अपने धर्म के अनुसार, परंपरागत तौर तरीके से आयोजन कर रहे थे. इसी दौरान लखारा चोक में बेवाण के पहुंचने और वहां संगीतमय कीर्तन करने के लिए एक समुदाय के लोगो से साउंड बंद करने के लिए बोला लेकिन साउंड बंद नहीं किया गया, जिससे गहमागहमी हो गई और दोनों समुदाय आमने-सामने हो गये थे.
एक समुदाय ने लगाया यह आरोप
एक समुदाय का आरोप था कि ताजिया से पहले दो दिन पूर्व छड़ी निकालने का रिवाज है. इस दौरान दूसरे समाज द्वारा उसके रास्ते में तेलियो के मोहल्ले में भजन कीर्तन रख दिए और जब छड़ी उस स्थान के पास निकली तो तेज आवाज में कीर्तन करना प्रारंभ कर दिया था, जिससे छड़ी निकालने में दिक्कत आई थी. ये कार्य केवल मात्र सौहार्द बिगाड़ने के लिए किया गया था.
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तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई
उसी तर्ज पर लखारा चोक में भी जब बेवाण पहुंचा तो एक समुदाय के लोगों ने साउंड बंद नहीं किया, जिससे विवाद बढ़ गया और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई. हंगामे की सूचना पर मौक़े पर पहुंचे पुलिस प्रशासन द्वारा बड़ी मशक्कत से समझाइश कर मामले को शांत करने का प्रयास किया गया.
2005 में भी हुआ था ऐसा वाकया
आपको बता दें कि ये वही मांडल का लखारा चौक है, जहां 8 अप्रैल 2005 को चारभुजा नाथ का बेवाण निकाला जा रहा था जो कि लखारा चौक पहुंचा ही था कि अचानक अंसारी मोहल्ले से एक पक्ष के लोग आ गए और गुलाल फेंकने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी कर पथराव कर दिया, जिससे कई पुलिस कर्मी और अधिकारी चोटिल हो गए, उसके बाद माण्डल में दंगा भड़क गया. कई दुकानें आग के हवाले कर दी गईं. वहीं, पुलिस की गोली लगने से कन्हैया लाल दास की मौत हो गई थी. एक बार फिर इस क्षेत्र में माहौल बिगाड़ना प्रशासन के सूचना तंत्र की पोल खोल रहा है.