Para National Archery: बीकानेर की बेटी ने किया साबित, जिनके हौसले बुलंद हो उनकी उड़ान कम नहीं होती
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Para National Archery: बीकानेर की बेटी ने किया साबित, जिनके हौसले बुलंद हो उनकी उड़ान कम नहीं होती

अगर इंसान में कुछ कर गुजरने की हिम्मत हो तो वो बड़ी से बड़ी चट्टान को हिला सकता है. कुछ ऐसा ही हौसले की उड़ान भरने वाली बीकानेर की रहने वाली नगमा की कहानी है, जिसने कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को ही मात नहीं दी है. बल्कि अपने हौसले से खेल के मैदान को भी फतह करते हुए देश का नाम रोशन किया है.

Para National Archery: बीकानेर की बेटी ने किया साबित, जिनके हौसले बुलंद हो उनकी उड़ान कम नहीं होती

Bikaner: अगर इंसान में कुछ कर गुजरने की हिम्मत हो तो वो बड़ी से बड़ी चट्टान को हिला सकता है. कुछ ऐसा ही हौसले की उड़ान भरने वाली बीकानेर की रहने वाली नगमा की कहानी है, जिसने कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को ही मात नहीं दी है. बल्कि अपने हौसले से खेल के मैदान को भी फतह करते हुए देश का नाम रोशन किया है.

बीकानेर की नगमा ने कैंसर जैसी बीमारी के आगे अपने हौंसलों को पस्त नहीं होने दिया. नेशनल पैरा तीरंदाजी प्रतियोगिता में दो सिल्वर मेडल जीत कर जिले के नाम रोशन किया नगमा को ब्रेस्ट कैंसर हुआ. ऐसे खतरनाक बीमारी से लड़कर हाथों में धनुष लेकर मैदान में निकल पड़ी और अपने नाम एक नहीं बल्कि दो सिल्वर मेडल भी जीते.

वहीं इन परिस्थिति में नगमा ने हार नहीं मानी और उसने लगातार अपने खेल को जारी रखा. वहीं प्रशासन द्वारा नगमा का सम्मान समारोह भी रखा गया. संभागीय आयुक्त नीरज के पवन ने उनका स्वागत किया तो वही कैंसर प्रीवेन्शन को लेकर बड़ा काम करने वाले विजय खत्री ने 11 हजार की प्रोत्साहन के तौर पर राशि दी और आगे भी मदद की बात कही.

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नगमा नगर निगम के हेल्पलाइन डेस्क पर काम करती है और बीकानेर की मेयर सुशीला कंवर भी अपने निगम में काम करने वाली नगमा पर नाज़ करती है. उनका कहना है कि हमारे नगर निगम में नगमा जी हेल्पलाइन पर काम करती है, नगमा कैंसर से पीड़ित भी थी, लेकिन फिर भी कहते हैं कि जिनके हौसले बुलंद हो उनकी उड़ान कम नहीं होती. उसका उदाहरण देते हुए उन्होंने तीरंदाजी में 2 सिल्वर मेडल जीते हैं पूरे नगर निगम की ओर से बीकानेर की ओर से मुझे नाज़ है ओर मैं बहुत बहुत बधाई देती हूं और हमारा सहयोग उनके साथ पहले भी रहा और आगे भी रहेगा. भगवान से प्रार्थना करती हूं कि वह ओर अच्छा खेले और बीकानेर का नाम रोशन करें.

वहीं नगमा खुद कहती हैं कि उनके घर वालों की मदद और कोच द्वारा दिए गए हौसले से वो हारी नहीं. खेली और जीती भी, नगमा मंगलिया का कहना है कि अभी मैंने फोर्स नेशनल खेला और जिसमें मुझे 2 सिल्वर जीते हैं. मेरे नेशनल जीतने का जो सफर शुरू किया तो मुझे कैंसर हो गया, जैसे इस बीमारी से उठी, फिर जैसे ही मैंने अपना ऑफिस ज्वाइन किया मेरे साथ वाले मिथुन ने मुझे इस बात के लिए बोला और मुझे प्रेरणा दी. जिसके बाद मैं मैदान में उतर गयी.

इस अवसर पर संभागीय आयुक्त ने कहा कि नगमा ने जिस दृढ़ निश्चय और कठिन परिश्रम से यह सफलता हासिल की है वह एक मिसाल है, दूसरे खिलाड़ियों और विशेषकर बालिकाओं के लिए वे एक प्ररेणास्रोत बन सकेगी. पवन ने कहा कि महज कुछ महीनों के प्रशिक्षण से ही नगमा यह सफलता हासिल की है और कैंसर जैसी बीमारी से झूझने के बावजूद नगमा ने अपना लक्ष्य ऊंचा रखा और लक्ष्य को पाने के लिए कड़ी मेहनत की.

ऐसे उदाहरण कम ही मिलते हैं, जब कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने के बावजूद व्यक्ति अपने हौंसलों को टूटने नहीं दें. उन्होंने नगमा को अपनी क्षमता का पूरा इस्तेमाल करते हुए और मेहनत कर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया. संभागीय आयुक्त ने कहा कि प्रशासन नगमा की हर संभव मदद के लिए तत्पर है. नगमा ने हरियाणा के जींद में आयोजित नेशनल पैरा तीरंदाजी प्रतियोगिता में दो सिल्वर मेडल अपनी झोली में डाले थे.

Reporter- Rounak vyas

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