7000 रू की नौकरी कर रहा युवक, परिवार से दूर रहकर कोविड मरीजों की कर रहा सेवा
Advertisement

7000 रू की नौकरी कर रहा युवक, परिवार से दूर रहकर कोविड मरीजों की कर रहा सेवा

Sriganganagar News: पवन ने कहा कि बेटा उनके पास आने की जिद करता है लेकिन उसे चॉकलेट टॉफी का लालच देकर बहलाया जाता है. 

पवन परिवार से दूर रहकर कोविड मरीजों की कर रहे सेवा.

Sriganganagar: कोरोना महामारी से जंग में सबसे अहम भूमिका डॉक्टर्स और दूसरे मेडिकल स्टाफ निभा रहे हैं. आमजन जहां इस महामारी के चलते एक-दूसरे से दूरी बना रहे हैं वहीं, मेडिकल स्टाफ कोरोना संक्रमण से जूझ रहे हमारे समाज को स्वस्थ रखने में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है.

चौबीसों घंटे, सातों दिन अविराम चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ सहित पूरा चिकित्सा अमला अपनी सेवाएं दे रहा है. एक ऐसे ही नर्सिंगकर्मी पवन कुमार सैनी से जो कोरोना महामारी के इस कठिन समय में अपने परिवार के पास होते हुए भी दूर रह कर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.

ये भी पढ़ें-Covid की तीसरी लहर की रोकथाम के लिए सर्वदलीय बैठक आयोजित, Task फोर्स बनाने के निर्देश

 

4 माह से लगातार कर रहे कोरोना के अंतर्गत ड्यूटी
चूरू जिले के साहवा कस्बा निवासी पवन कुमार सैनी फरवरी माह से लगातार कोरोना के अंतर्गत ड्यूटी कर रहे हैं. पवन सैनी ने बताया कि उनकी ड्यूटी कोरोना संक्रमण के चलते मरीजों के सैंपल लेने की रहती है. दिन में राजकीय चिकित्सालय में सैंपल एकत्रित किए जाते हैं और उसके बाद 24 घंटे आन-कॉल सादुलशहर ब्लाक में कोरोना का मामला सामने आने पर सैंपल लेने के लिए जाना पड़ता है.

पत्नी-बच्चे से रहते हैं अलग
पवन सैनी ने बताया कि उनके परिवार में माता पिता के अलावा पत्नी, चार साल की बेटी और दो साल का बेटा है. परिवार के सभी सदस्य ठीक से रहें इस लिए वह दूरी बनाकर रखते हैं. माता पिता और बेटी चूरू में रहते हैं और खुद अपनी पत्नी और बेटे के साथ कस्बे में रहते हैं. लेकिन पत्नी और बेटे से मुलाकात दूर से ही होती है.

ये भी पढ़ें-Jaipur Greater मेयर सौम्या गुर्जर का ग्रेट वर्क, जीवन रथ देगा Covid मरीजों को Oxygen

 

पवन सैनी खुद ऊपर कमरे में रहते हैं और बेटी और पत्नी से फोन पर ही बात करते हैं. बेटा अपने पिता के पास आने की जिद करता है लेकिन उसे चॉकलेट टॉफी का लालच देकर बहलाया जाता है. वहीं, घर का सामान लाने के लिए पड़ोसी की मदद ली जाती है.

PPE किट पहनने में होती है मुश्किल
उन्होंने बताया कि रोजाना तीन से चार घंटे पीपीई किट पहनने की आदत पड़ गई है. पहले अस्पताल में सैंपल के समय और उसके बाद ब्लाक में सैंपल लेने के समय, मरीजों को क्वांरटाइन करने के समय पीपीई किट पहननी पड़ती है. इस किट को पहनने से चक्कर आते हैं और डिहायड्रेशन कि समस्या सामने आती है. लेकिन अब धीरे-धीरे इसे पहनने की आदत हो रही है.  

मन मारकर नहीं, खुले मन से करते हैं ड्यूटी
NHM के तहत कार्यरत नर्सिंगकर्मी पवन सैनी के अनुसार, उन्हें करीब सात हजार रुपए प्रतिमाह वेतन मिलता है. वर्तमान समय में दूसरे जिले में किराए का घर लेकर मात्र सात हजार रुपए में गुजारा करना कितना मुश्किल है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. पवन सैनी के अनुसार उन्हें हर महीने अपने माता पिता से रुपए मंगवाना पड़ता है. लेकिन फिर भी मरीजों की सेवा खुले मन से कर रहे हैं. उनका कहना है कि हर किसी को ये सेवा करने का मौका नहीं मिलता है.

(इनपुट-कुलदीप गोयल)

Trending news