बून्दी: छोटी काशी में बदहाली का शिकार 700 साल पुराना इतिहास, जानिए क्यों...
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1306773

बून्दी: छोटी काशी में बदहाली का शिकार 700 साल पुराना इतिहास, जानिए क्यों...

नवल सागर झील में आबादी क्षेत्र के गंदे नाले का पानी झील में गिरता है और इसके साफ पानी को प्रदूषित कर रहा है. बूंदी तारागढ़ का प्रतिबिंध दिखाने वाली नवल सागर झील का स्वरूप देखते ही बनता है, लेकिन इससे निकलने वाले पानी को आज भी जिला प्रशासन संग्रह नहीं कर पाया.

नवल सागर झील

Bundi: प्रदेश में प्राकृतिक धरोहर से परिपूर्ण छोटी काशी के रूप में विस्थापित बूंदी शहर आज भी देसी विदेशी पर्यटकों आकर्षित करता है. वहीं शहर में स्थित जेत सागर और नवल सागर झील की पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित तो करती है लेकिन उसका रखरखाव नहीं होने से लोग उसकी बदहाली को देख मायूस हो जाते हैं. 700 साल से अधिक वर्ष पुराने बूंदी की बसावट एक नाले में हुई थी, यहां के राजा रजवाड़े के समय पर पानी के रखरखाव के लिए स्टेप वेल बावरियों व झीलों का निर्माण करवाया गया था. शहर के सौंदर्य को चार चांद लगाने वाली नवल सागर झील और जेत सागर झील हेरिटेज का बड़ा उदाहरण है. लेकिन इन झीलों से जो नुकसान आमजन को हो रहा है, उससे आज भी लोग काफी परेशान है.

नवल सागर झील में आबादी क्षेत्र के गंदे नाले का पानी झील में गिरता है और इसके साफ पानी को प्रदूषित कर रहा है. बूंदी तारागढ़ का प्रतिबिंध दिखाने वाली नवल सागर झील का स्वरूप देखते ही बनता है, लेकिन इससे निकलने वाले पानी को आज भी जिला प्रशासन संग्रह नहीं कर पाया, बारिश के समय इन झीलों के पानी से शहर के मुख्य बाजार दरिया का रूप ले लेते हैं, वहीं निचली बस्तियों में पानी एक एक मंजिल तक पहुंच जाता है. हालात यह है कि बाजार के दुकानदार अपनी दुकानों को बंद कर बैठे रहते हैं, क्योंकि सड़कों पर लगातार पानी बहता है और सड़कों की बदहाली हो जाती है. इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा आज तक कोई भी कार्य परियोजना नहीं बनाई गई है.

छोटी काशी में पानी की बर्बादी  

छोटी काशी के रूप में बूंदी की पहचान आज भी देश विदेश में है यहां मंदिरों के साथ साथ जो कुएं बावड़ी और तालाब है उसका सौंदर्य देखते ही बनता है, लेकिन जिस तरह से पानी की बर्बादी होती है, उसे संग्रह किया जाना अति आवश्यक है. बरसात के समय यहां सड़कें दरिया बन जाती है और निचली बस्तियों में पानी भरा रहता है. नवल सागर से निकलने वाले पानी के संग्रहण के लिए जिला प्रशासन ने आज तक कोई बड़ी परियोजना नहीं बनाई. शहर के मध्य निकलने वाले इस पानी की वजह से दुकानदार अपनी रोजी-रोटी का संकट दो 2 महीने तक देखते रहते है.

काजी काउंसिल प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल शकूर कादरी कहते हैं कि प्रकृति ने बूंदी को वह खूबसूरती दी है, जिसका कोई तोड़ नहीं है. यहां हर खूबसूरत पल को निहारने के लिए देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं. मात्र दोनों झीलों में यदि सफाई का ध्यान रखा जाए तो यह किसी बड़े पर्यटक स्थल से कम नहीं है. इस खूबसूरत बूंदी शहर को जिला प्रशासन यदि साफ सफाई पर ध्यान दें और कुछ रखरखाव कर दे तो यहां की सुंदरता और बढ़ सकती है.

ये भी पढ़ें- Janmashtami 2022 Date: जानें कब है जन्माष्टमी 18 या 19 अगस्त? क्या है शुभ मुहूर्त

जैत सागर नाला विकास समिति से जुड़े रुपेश शर्मा ने कहा कि बूंदी पर्यटन नगरी है यहां झीलें हैं, इनका रखरखाव करना जिला प्रशासन की प्रथम प्राथमिकता है. सरकार द्वारा समय-समय पर जो भी बजट दिया जाता है, उससे यहां विकास नहीं हो रहा उन्होंने कहा कि जो नदी नाले हैं उनका स्वरूप बिगड़ रहा है, जो अतिक्रमण हो रहें हैं उन्हें रोका जाए. पूर्व प्रशासनिक अधिकारी अशोक जैन ने कहा कि शहर का सौंदर्य इतना मजबूत है कि यहां तीनों महत्वपूर्ण हेरिटेज मौजूद है, मंदिरों की बड़ी संख्या है जिससे शहर को छोटी काशी का जाता है, झीलों एवं बावरियों का शहर है जिसे यहां बून्दी शहर के नाम से पुकारा जाता है और जो यहां का है पौराणिक धरोहर को देखते ही लोग बूंदी की ओर खींचे चले आते हैं. ऐसे में प्रशासन को भी शहर की साफ सफाई को लेकर सजग होना चाहिए.

Reporter - Sandeep Vyas

बूंदी की खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें

यह भी पढे़ं- एक्स के साथ 'पैचअप' करवा सकती हैं ये बातें, फिर मिल जाएगा आपका पुराना प्यार!

यह भी पढे़ं- आपकी ये आदतें ही बनाती हैं आपको कंगाल, गरुड़ पुराण में किया गया है जिक्र

 

Trending news