Rajasthan: गणगौर उत्सव में हास्य और श्रंगार की कविताओं ने खूब गुदगुदाया, बूंदी के लाखेरी में हुआ आयोजन
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Rajasthan: गणगौर उत्सव में हास्य और श्रंगार की कविताओं ने खूब गुदगुदाया, बूंदी के लाखेरी में हुआ आयोजन

Bundi: बूंदी के लाखेरी मे नगर पालिका के तत्वावधान मे आयोजित गणगौर,उत्सव के दौरान आखिरी दिन काव्य की रसधारा जमकर बरसी.कवियों ने वीर हास्य ओर मस्ती भरे गीतों से श्रोताओं का खूब मनोरंजन किया.

Rajasthan: गणगौर उत्सव में हास्य और श्रंगार की कविताओं ने खूब गुदगुदाया, बूंदी के लाखेरी में हुआ आयोजन

Bundi: बूंदी के लाखेरी में नगर पालिका के तत्वावधान में आयोजित गणगौर उत्सव काफी खास रहा. साथ ही छ दिवसीय गणगौर महोत्सव का समापन हो गया.कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि लाखेरी के सिविल जज श्रवण कुमार थे. गणगौर महोत्सव के कार्यक्रमो की श्रृंखला के आखिरी दिन बुधवार रात रंगमंच पर कविताओं ने शमां बाध दिया.कवि सम्मेलन मे वीर हास्य ओर श्रृंगार के गीतों ने श्रोताओं को खुब गुदगुदाया.

शुरूआत कवयित्री मुमताज नसीम ने सरस्वती वंदना से की।इसके बाद हास्य के दौर मे दुर्गा शंकर धाँसू ने हाडोति भाषा मे अपने शब्दो से लोगों को खुब हंसाया.

उन्होंने अल्हड़ युवाओं से लेकर राजनीति मे नेताओ पर हास्य के माध्यम से कटाक्ष किए.कवयित्री प्रेरणा ठाकरे ने झुमे झुमे रे दीवाने मस्ती मे ओर मोबाइल की गिरफ्त मे आज की पीढी पर काव्य पाठ किया.हास्य की पैरोडी लेकर आए दिनेश देसी घी ने राजनीति ओर भ्रष्टाचार पर अपने चुटीली शब्दो से कटाक्ष किया.

उन्होंने माँ पर भाव विभोर करने वाली कविता रिश्तो की सारी हदे तोड आया सुनाई तो खुब तालियां बजी.दिनेश ने एक घंटे तक हास्य रस से भरी बातो से लोगो को खुब हंसाया.

वीर रस के कवि गौरव चौहान ने जोश भरी कविताओ मे देशभक्ति की अलख जगाने का प्रयास किया।कौमी एकता पर उन्होंने अजाने मुस्कराती है भजन की बागवानी मे ओर जब तक जश्न होली ओर ईदो के है सुनाई. उन्होंने समाज के बिगडते सांप्रदायिक माहोल को सुधारने की पहल पर कब तक इसके उसके गम की बात करे कविता सुनाकर कौमी एकता का संदेश दिया.पूरे कवि सम्मेलन की सबसे सशक्त हस्ताक्षर कवयित्री मुमताज नसीम रही.

उन्होंने अपने मुक्तको से श्रोताओ को खुब गुदगुदाया.उनकी कविता प्यार की खुशबुओं का समंदर हु मे सुनाई तो लोग वाह वाह करने लगे.उनकी कविता बनकर बादल जो मुझ पर बरस जाओगे, क्या खबर थी कि नस नस मे बस जाओगे सुनाई तो खुब दाद मिली.नसीम की कविता वहां जा कर बरसो जहां मोरे साँवरिया पर श्रोताओं की खुब दाद मिली.कवि सम्मेलन के आखिरी पड़ाव पर हास्य के हस्ताक्षर प्रताप फौजदार ने अपनी व्यंग भरी बातो से लोगो को खुब हँसाया.कवि सम्मेलन अल सुब चार बजे तक चला.

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