Chittorgarh Fort History: राजपूतों के त्याग, शौर्य, बलिदान और महिलाओं के अदम्य साहस की कई कहानियों को प्रदर्शित करने वाला चित्तौड़गढ़ दुर्ग जिसके 7 दरवाजे हैं और यह किला 7वीं से 16 वीं शताब्दी तक सत्ता का खास केंद्र रहा है.
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Chittorgarh Fort: राजस्थान भारत का ऐसा राज्य है, जिसने आज भी अपनी विरासत और संस्कृति को बखूबी तरीके से संभाल कर रखा है. इस राज्य का इतिहास बेहद गहरा और बहादुरी से भरा हुआ है. राजे-रजवाड़ों और पुराने किलो की जब बात आती है तो राजाओं की वीरता ही नहीं बल्कि रानियों के बलिदान भी यहां की दीवारों पर स्वर्ण अक्षरों में लिखे हुए देखे जाते हैं.
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किले के है 7 दरवाजे
इतना ही नहीं यहां कि वीरांगनाओं को याद कर के हर एक महिला अपने अंदर एक साहस को महसूस करती है और इसीलिए इस राज्य को देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां आते हैं और लोगों में यह एक अलग आकर्षण का केंद्र रहता है. राजस्थान का चित्तौड़गढ़ दुर्ग जिसके 7 द्वार हैं और और उनके नाम भी हिंदू देवताओं के नाम पर रखे गए हैं. माना जाता है कि यह एकमात्र ऐसा किला है, जिसके 7 दरवाजे हैं और यह किला 7वीं से 16 वीं शताब्दी तक सत्ता का खास केंद्र रहा है.
राजपूत वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना
चित्तौड़गढ़ दुर्ग में मजबूत प्रवेश द्वार, बुर्ज, महल, मंदिर और जलाशय है, जो राजपूत वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने हैं और इसके अलावा किले में शानदार स्विमिंग पूल भी है. चित्तौड़गढ़ दुर्ग में मौजूद 7 दरवाजों के नाम है पैदल पोल, भैरव पोल, हनुमान पोल, गणेश पोल, जोली पोल, लक्ष्मण पोल और अंत में राम पोल.
भारत का सबसे लंबा किला
इन सभी 7 दरवाजों से किले के अंदर जाया जा सकता है. यह किला लगभग 700 एकड़ में फैला हुआ है और 500 फुट की ऊंचाई वाली पहाड़ी पर स्थित है. किले की बनावट बहुत ही शानदार है और इसे भारत का सबसे लंबा किला भी कहा जाता है. इतना ही नहीं बल्कि चित्तौड़गढ़ दुर्ग को 21 जून 2013 में यूनेस्को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था और यह राजस्थान का गौरव है और इसे राजस्थान के सभी दुर्गों का सिरमौर भी कहते हैं.
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