Chittorgarh News: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में पानी माफियाओं की कारगुजारी यहां एक बड़े जल संकट को आमंत्रण देती दिखाई दे रही है. अवैध भू-जल दोहन की शिकायतों के बाद जिला कलेक्टर आलोक रंजन की ओर से गठित टीम की ओर से अवैध भू-जल दोहन के मामलों में हुई कार्रवाइयों के बाद अब पानी माफिया दिन की बजाय रात में अवैध तरीके से भू-जल दोहन की कारगुजारियों को अंजाम दे रहे हैं.
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Chittorgarh News: चित्तौड़गढ़ के बोजून्दा, सेहनवा रोड व गंगरार जीएसएस के आसपास करीब एक दर्जन से ज्यादा ऐसे नलकूंप है, जहां से पानी माफिया आधी रात को चोरी छुपे जमीन से करोडों लीटर पानी खींचकर औद्योगिक इकाईयों को सप्लाई कर रहे हैं. आधी रात में सड़कों पर पानी से भरे सैंकडों बलकर दौड़ते देखे जा सकते हैं. वहीं इन बलकरों से गिरते पानी से तर बतर भीगी सड़कें पानी माफियाओं के रात में हुए काले कारनामों को उजागर कर रही हैं.
पिछले दिनों हुई लागातर कार्रवाई के बाद पानी माफियाओं का तंत्र दिन की बजाय रात में एक्टिव हो गया है, जिसके पश्चात अब पहले की बजाय और भी अधिक मात्रा में भूजल दोहन कर मानों सिस्टम को सीधी चुनौती देकर कह रहा हो दम हो तो हमें रोक कर दिखाओ. वहीं सबसे बड़ी बात ये है कि पानी माफियाओं की ओर से भू-जल दोहन के बाद जिन औद्योगिक इकाई में करोडों लीटर पानी पहुंचाया जा रहा है.
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उन औद्योगिक इकाई की ओर से पानी माफियाओं को ये कह कर शय दी जा रही है कि अवैध भू-जल दोहन पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी प्रशासन की बनती है. ऐसे में सवाल उठता है कि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर करोडों रुपए की चांदी कूटने वाली इन औद्योगिक इकाईयों की पर्यावरण के प्रति कोई जिम्मेदारी बनती है या नहीं बनती है.