पानी ढोते-ढोते निकल गई जिंदगी, लेकिन जिम्मेदारों ने नहीं समझा इनका दर्द
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पानी ढोते-ढोते निकल गई जिंदगी, लेकिन जिम्मेदारों ने नहीं समझा इनका दर्द

ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी की समस्या इन दिनों प्रमुख रूप से देखी जा रही है. ऐसा ही एक गांव धौलपुर उपखंड क्षेत्र में भैसना गांव हैं, जहां ग्रामीण अभी भी पानी के लिए खासे परेशान होते कई पिछले समय से आ रहे हैं.

पानी ढोते-ढोते निकल गई जिंदगी

Dholpur: जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे ही आमजन के लिए परेशानी बनती जा रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी की समस्या इन दिनों प्रमुख रूप से देखी जा रही है. ऐसा ही एक गांव धौलपुर उपखंड क्षेत्र में भैसना गांव हैं, जहां ग्रामीण अभी भी पानी के लिए खासे परेशान होते कई पिछले समय से आ रहे हैं.

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शादी को 35 साल से अधिक हो गए लेकिन भैसेना गांव की रहने वाली 55 वर्षीय रामवती को आज भी पानी के लिए 3 किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता है. पानी का बोझा ढोते हुए रामवती के साथ ससुर स्वर्ग चले गए और खुद रामवती का सिर भी पानी का बोझा ढोते-ढोते घायल हो चुका है, लेकिन उसे जीना है तो उसे 3 किलोमीटर दूर से पीने के लिए पानी लाना होगा. यह दर्द भैसेना गांव की रामवती का ही नहीं बल्कि उन तमाम लोगों का है, जो चुनाव के समय नेताओं द्वारा किए गए वादे के ना निभा पाने की वजह से आज भी प्यासे हैं. 

धौलपुर जिला मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर के अंदर मौजूद भैंसेना, समोला, राजघाट, भैंसाख, फूंसपुरा सहित दर्जनभर गांव के लोगों को आज भी पीने के लिए पानी या तो चंबल नदी से लाना पड़ता है या फिर गांव से दूर 3 किलोमीटर तक साइकिल और सिर पर रखकर पानी का बोझा होना पड़ता है. पानी की समस्या गांव के लोगों के लिए नई नहीं है.

गांव के 150 से 250 लोग पानी की समस्या को छोड़कर पहले ही गांव छोड़कर जा चुके हैं. बाकि गांव के लोग कई बार चुनावों में मतदान का बहिष्कार कर चुके हैं. हर बार उन्हें प्रशासन द्वारा सिर्फ वायदा मिला है, जो आज तक पूरा नहीं हुआ.

भरतपुर, अलवर तक जा रहा है चंबल का पानी
बारहमासी चंबल नदी का पानी धौलपुर से भरतपुर और अलवर के लोगों की प्यास बुझा रहा है. जिले के सैकड़ों गांव आज भी ऐसे मौजूद हैं, जिनमें चंबल का पानी लोगों को नसीब नहीं है. सरकार की कई योजनाओं की हकीकत इन गांव में पहुंचकर दम तोड़ देती है.

भैंसेना गांव के ग्रामीण बताते हैं कि उनके गांव में कई कुए मौजूद हैं जो या तो सूखे हैं या फिर उन में खारा पानी है, जिस वजह से गांव के कई लोगों की जिंदगी सिर्फ पानी भरने में ही निकल गई. चंबल किनारे बीहड़ में बसे इन गांवों में पीने को पानी भले ही नहीं है, लेकिन इन गांवो के क्षेत्र में प बॉलीवुड फिल्मो की शूटिंग होती रही है. चंबल किनारे बसे इन गांवो में बॉलीवुड की कई नामी-गिरामी फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है. बैंडिट क्वीन, पान सिंह तोमर, सोन चिरैया, मोक्ष सहित कई फिल्मों के निर्माता और अभिनेताओं ने अपनी फिल्मों के सीन इन गांव क्षेत्र इलाके में फिल्माए हैं. बॉलीवुड में खासी पहचान रखने वाले इन गांव इलाको में आज भी लोगों की प्यास 3 किलोमीटर दूर से पानी लाकर बुझानी पड़ती है.

Reporter- Bhanu Sharma

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