डूंगरपुर का आपणो संस्थान (AAPNO Institute) दिव्यांगों को बड़ी लगन से काम सिखा रहा है और उनको आत्मनिर्भर बना रहा है. दिव्यांग राकेश गमेती ने बताया कि 2017 में सिलाई सिखाने आई महिला लीला के मिले और उनसे दोस्ती हुई. धीरे-धीरे ये दोस्ती प्यार में बदल गई.
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Dungarpur News: अक्सर हम देखते हैं कि दिव्यांग व्यक्ति को बोझ समझा जाता है. सबको यही लगता है कि वह आरक्षित है. वहीं, अब राजस्थान के डूंगरपुर में दिव्यांग सिलाई सिखकर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. इसके लिए डूंगरपुर का आपणो संस्थान (AAPNO Institute Dungarpur) दिव्यांगों की सहायता कर रहा है.
राजस्थान राज्य के डूंगरपुर का आपणो संस्थान (AAPNO Institute) दिव्यांगों को बड़ी लगन से काम सिखा रहा है और उनको आत्मनिर्भर बना रहा है. ये संस्थान दिव्यांगों को सिलाई सिखाने के लिए ट्रेनिंग दे रहा है और जब कोई दिव्यांग सिलाई सिख जाता है, तो उसे सिलाई मशीन दी जाती है, जिससे वह कपड़ों की सिलाई करके आत्मनिर्भर बन सके. फिलहाल आपणो संस्थान में करीब 15 दिव्यांग पुरुषों को सलाई सिखाई जा रही है और अब तक ये संस्थान 700 दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बना चुका है.
दिव्यांग राकेश को संस्थान में मिली दुल्हन
आपणो संस्थान में सिलाई की ट्रेनिंग लेने वाले दिव्यांग राकेश गमेती ने बताया कि 2017 में सिलाई सिखाने आई महिला लीला के मिले और उनसे दोस्ती हुई. धीरे-धीरे ये दोस्ती प्यार में बदल गई और 2021 में राकेश और लीला ने शादी कर ली. बता दें कि लीला भी एक दिव्यांग हैं और वह भी कपड़ों की सिलाई करती है. साथ ही, उनके पति राकेश भी सिलाई सिख रहे हैं. इसके बाद दोनों सिलाई का काम करेंगे.
बता दें कि डूंगरपुर के आपणो संस्थान के सचिव संतोष कटारा भी एक दिव्यांग हैं और उनका बताया कि अब तक उनका ये संस्थान 700 दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बना चुका है. वहीं, फिलहाल में संस्थान में 15 दिव्यांग पुरुष सिलाई सिख रहे हैं और जब वे काम सिख जाएंगे तो उनको 2000 रुपये दिए जाएंगे. इसके साथ ही एक सिलाई मशीन भी दी जाएगी, ताकि वह अपनी एक दुकान खोल जीवनयापन कर सकें.