ट्रेडर को तब मुनाफा होता है जब उनके खरीदे स्टॉक की कीमत में इजाफा होता है. उनकी तय की हुई कीमत से बाजार अगर विपरीत चला जाए तो उन्हें घाटा भी उठाना पड़ सकता है.
Written by Web Desk Team | Published :January 10, 2023 , 2:36 pm IST
फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग क्या होती है? ये स्टॉक मार्केट से जुड़े दो टर्म्स हैं. जिसके तहत ट्रेडर पहले से तय की हुई कीमत पर ही, फ्यूचर में अपने शेयर्स बेचता या खरीदता है. ट्रेडर को तब मुनाफा होता है जब उनके खरीदे स्टॉक की कीमत में इजाफा होता है. उनकी तय की हुई कीमत से बाजार अगर विपरीत चला जाए तो उन्हें घाटा भी उठाना पड़ सकता है. दोनों ही तरह के ट्रेड एक तरह के एसेट ही हैं जिनमें शेयर, कमोडिटी, एक्सचेंज–ट्रेडेड फंड और इंडेक्स शामिल हो सकते हैं. दोनों ही टर्म्स स्टॉक से संबंधित हैं जिनमें कुछ समानता और कुछ डिफरेंस भी हैं.
फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग में अंतर
फ्यूचर ट्रेडिंग में अलग-अलग तरीकों को आप एक्सपायरी डेट तक आजमा सकते हैं. जबकि ऑप्शन ट्रेडिंग में ये तरीका ज्यादा कारगर नहीं है. उदाहरण के लिए इंडेक्स ऑप्शन को आप एक्सपायरी के नजदीक ही आजमा सकते हैं. जबकि स्टॉक ऑप्शन एक्सपायरी डेट से पहले ही आजमाया जा सकता है.
दोनों के बीच एक और बड़ा अंतर है. फ्यूचर ट्रेडिंग करने वालों को कोई अग्रिम भुगतान करने की जरूरत नहीं होती. सिर्फ मार्जिन की जरूरत होती है जो ट्रेड की कीमत का एक प्रतिशत हिस्सा ही होता है. इसके उलट ऑप्शन के लिए ट्रेडिंग करने वालों को प्रीमियम की राशि अदा करनी होती है.
कॉल ऑप्शन में फ्यूचर ट्रेडिंग में ट्रेडर को अपने एसेट की खरीदारी एक नियत तिथि तक करनी होती है. जबकि पुट ऑप्शन के तहत स्पेसिफिक डेट तक बिक्री करनी होती है. दोनों ही केस में ट्रेडर के पास विकल्प होता है कि वो कॉल या पुट ऑप्शन चूज करे या न करे. जबकि ऑप्शन में ट्रेडिंग करने वालों को प्रीमियम अर्न करना पड़ता है.
फ्यूचर या ऑप्शन में ट्रेड करने के लिए डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट होना जरूरी है. दोनों ही ट्रेडिंग मार्जिन पर निर्भर करती हैं. इनमें ट्रेड करने के लिए ट्रेडर को ट्रेड वैल्यू का मार्जिन अमाउंट पे करना होता है. उदाहरण के लिए अगर ट्रेडर एक लाख की वैल्यू से शुरुआत कर रहा है तो उसे उसका बीस परसेंट मार्जिन देना होगा.
फ्यूचर और ऑप्शन दोनों तरीकों में ट्रेडिंग के लिए ट्रेडर्स को मार्केट की अच्छी समझ और पकड़ होना जरूरी है. नए नए ट्रेडर्स को दोनों तरीकों को समझने के बाद ही दांव खेलना चाहिए. मार्केट और आने वाले इवेंट्स की गहरी रिसर्च के बाद ही ट्रेडर ज्यादा मुनाफा हासिल कर सकते हैं.
एक अच्छा जानकार शॉर्ट टर्म पर कम रेट के शेयर खरीदता है ये मानकर कि वो लॉन्ग रन में ज्यादा रिटर्न देगा. फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करने से पहले इन्वेस्टर्स उससे होने वाले रिस्क को पूरी तरह समझ लेते हैं. ये दोनों ही तरीके फास्ट मूविंग ट्रेड्स हैं जिसमें मार्जिन में रोज बदलाव देखने को मिल सकता है. जो ट्रेडर्स मार्केट की समझ के साथ क्विक रिटर्न चाहते हैं, ये तरीके उनके लिए बेस्ट हैं.