Rajasthan: काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में रहता है अनोखा गैंडा, जानिए खासियत
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan2065791

Rajasthan: काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में रहता है अनोखा गैंडा, जानिए खासियत

Kaziranga National Park: 1400 वर्ग किमी. में फैले काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में 3 हजार से अधिक गैंडे,104 टाइगर,भारतीय भैंसा,जंगली सूअर और बारहसिंगा के लिए जाता है. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की सुरक्षा में 3 हजार वनरक्षक जिसमें 300 महिला वनरक्षक भी शामिल है.

rhinoceros

Kaziranga National Park: 1400 वर्ग किमी. में फैले काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में 3 हजार से अधिक गैंडे,104 टाइगर,भारतीय भैंसा,जंगली सूअर और बारहसिंगा के लिए जाता है. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की सुरक्षा में 3 हजार वनरक्षक जिसमें 300 महिला वनरक्षक भी शामिल है. शिकारियों पर निगरानी के लिए लगे वनरक्षकों की तैनाती से शिकार शून्य हो गया है. राष्ट्रीय उद्यान की निदेशक आईएफएस सुष्मिता घोष ने पीआईबी गुवाहाटी की ओर से आयोजित टूर पर राजस्थान के मीडिया दल को यह जानकारी दी.

काजीरंगा एक सींग गैंडा के लिए प्रसिद्ध

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की निदेशक सुष्मिता घोष बताया कि काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भारत के असम राज्य का प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान है. एक सींग का गैंडा (भारतीय गैंडा) के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है. असम में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एक सींग वाले गैंडों को दुनिया को सबसे बड़ी आबादी निवास करती है . यह पूर्वी हिमालयी जैव विविधता हॉटस्पॉट-गोलाघाट और नागांव जिलों के किनारे पर स्थित हैकाजीरंगा को वर्ष 1905 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था .  काजीरंगा को 2006-07 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था .काजीरंगा में टाइगर की संख्या 100 अधिक हो गई है . इसे वर्ष 1985 में यूनेस्कों की विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया था. स्टेट ऑफ राइनो रिपोर्ट के अनुसार, इस राष्ट्रीय उद्यान में 3000 गैंडों की आबादी है .इस उद्यान में सौ से अधिक टाइगर भी है जिनकी संख्या लगातार बढ़ रही है . सका कारण टाइगर के लिए यहां पर्याप्त मात्रा में पानी और उसका पसंदीदा शिकार के साथ हिरण, जंगली सूअर, भारतीय भैसा, बाघ और बारहसिंगा के लिए जाना जाता है.  इसके अलावा हिरण, सांभर, भालू, बाघ, चीते, सूअर, बिल्ली, जंगली बिल्ली, हॉग बैजर, लंगूर, हुलॉक गिब्द्धन, भेड़िया, साही, अजगर और अनेक प्रकार की चिड़िया, बत्तख, कलहंस, हॉर्नबिल, आइबिस, जलकाक, अगरेट, बगुला, काली गर्दन वाले स्टॉर्क, लेसर एडजुलेट, रिंगटेल फिशिंग इंगल आदि बड़ी संख्या में पाए जाते हैं.

गैंडा के सींग को जलाकर संदेश दिया

राष्ट्रीय उद्यान की निदेशक आईएफएस सुष्मिता घोष ने बताया कि असम के मुख्यमंत्री हिमन्त बिस्वा शर्मा इन सीगों को जलाकर यह संदेश देना चाहते थे कि राइनो हार्न (गैंडे के सींग) का उपयोग हमारे लिए कुछ भी नहीं है . इन सीगों के बारे में भ्रांति है कि ये सींग ताकत की दवाईयों में उपयोग होने के कारण कई लाखों रुपए में बिकते हैं. खासकर चीन, जापान में इनको खासी डिमांड है .ऐसे में सीगों के जलाने से शिकारियों और अंतरराष्ट्री मार्केट में यह संदेश दिया है कि इन सीगों का हमारे लिए कोई उपयोग नहीं है .इन सींगों से एकत्रित राख से बने असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में किया गया है . इस स्मारक में तीन गैड़े को मूर्तियां है, जिसका नाम यूनिकॉन्सं का निवास रखा गया है .इसमें एक नर गैडा, एक मादा गैंडा और एक बछड़ा गैंडा है .

इसमें वन रक्षकों को तीन मूर्तियां भी हैं, जिन्हें विभिन्न सामग्रियों का उपयोग करके बनाया गया है . काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में ड्रोन का उपयोग करके दूर से 2500 राइनो हॉर्न को जला दिया गया था . जिससे प्राप्त लगभग 128 किलोग्राम राख का उपयोग करके गैड़े की मूर्तियों को बनाया गया है गैंडे की मूर्तियां मूर्तिकार बीजू दास ने बनाई गई हैं और वन रक्षकों की मूर्तियों को बीरेन सिंथा ने तराशा है.  इन मूर्तियों को बनाने में चार महीने का समय लगा था .

यह भी पढ़ें:राजस्थान का यह सिटी है100 टापूओं का शहर, खूबसूरती में है नंबर 1

Trending news