Jaipur News: राजस्थान के जल जीवन मिशन में गड़बड़ी थमने का नाम नहीं ले रही. ऐसे में अब सरकार ने इसके लिए जांच दलों का गठन किया है . जिसके बाद इंजीनियर्स की मुश्किलें बढ़ने वाली है.
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Jaipur News: राजस्थान के जल जीवन मिशन में गड़बड़ी थमने का नाम नहीं ले रही. राज्य के कई डिवीजन, प्रोजेक्ट में इंजीनियर्स ने मनमर्जी से फर्मों को भुगतान कर किया है. जिसके कारण तय अनुपात में बजट का आवंटन नहीं किया गया. ऐसे में अब सरकार ने इसके लिए जांच दलों का गठन किया है . जिसके बाद इंजीनियर्स की मुश्किलें बढ़ने वाली है.
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कब तक जेजेएम में गड़बड़ी?
राजस्थान के जल जीवन मिशन में गड़बड़ी थमने का नाम नहीं ले रही. भ्रष्टाचार-घोटाले और कमीशनखोरी के बाद इंजीनियर्स अब मनमानी पर उतर आए है. जिसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इंजीनियर्स ने डिवीजन और प्रोजेक्ट्स में मनमाने तरीके से बजट फर्मों को बांटा था. जिसमें उन्होंने जल जीवन मिशन के सारे नियमों को दरकिनार करते हुए फर्मों को बजट आवंटित किया था.
बता दें कि इस फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद राज्य सरकार ने इस पर जांच कमेटी का गठन किया है. जिसके कारण जल जीवन मिशन के वित्तीय सलाहकार रमेश सांखला ने इस संबंध में आदेश जारी किए.
गौरतलब है कि थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन के बिना इंजीनियर्स ने फर्मों का भुगतान किया था. रमेश सांखला के दौसा और राजगढ़ की जांच में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है. जिसमें सामने आया है की बिना थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन के इंजीनियर्स ने फर्मों को भुगतान किया था. उच्च अधिकारियों के निर्देशों को ताक पर रखते हुए राशि आवंटित कर दी.
इन डिवीजन-प्रोजेक्ट्स की जांच करेगा विभाग-
अधिकारी का नाम पद | खंड, | प्रोजेक्ट |
रमेश सांखला | जेजेएम वित्तीय सलाहकार | बस्सी,दौसा,राजगढ,अलवर |
दीपक,प्रमोद तिवारी,प्रभुलाल मीणा | सहायक लेखाधिकारी.. | भरतपुर क्षेत्र |
सुनीता विजय | .वित्तीय सलाहकार | उदयपुर क्षेत्र |
राज किशोर मीणा | मुख्य लेखाधिकारी | अजमेर क्षेत्र |
धारू सिंह चौहान | वरि.लेखाधिकारी | अजमेर प्रोजेक्ट |
प्रेम सिंह | मुख्य लेखाधिकारी | जोधपुर क्षेत्र |
ओम प्रकाश. | वरिष्ठ लेखाधिकारी | जोधपुर प्रोजेक्ट |
नवरंग लाल | मुख्य लेखाधिकारी | जयपुर 1,2 |
भुगताराम मीणा | वरि.लेखाधिकारी | सीकर |
रामधन | वरिष्ठ लेखाधिकारी | बीकानेर क्षेत्र |
क्या कमिश्नर खोरी का चल रहा खेल?
अब इस आदेश के बाद से जलदाय विभाग के डिवीजनों और प्रोजेक्ट्स में खलबली मच गई. जलदाय विभाग की जांच टीमें इन डिवीजनों में जाकर जांच करेगी. जांच के बाद सामने आएगा कि आखिरकार इंजीनियर्स ने मनमानी करते हुए कैसे फर्मों को राशि आवंटित दी. क्या इसमें कमिश्नरखोरी का खेल भी चल रहा है?
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