bharat bandh on 21 august 2024: उदयपुर या बंगाल घटना के विरोध में नहीं लेकर नहीं बल्कि इस कारण कल है भारत बंद, जानिए पूरा मामला
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bharat bandh on 21 august 2024: उदयपुर या बंगाल घटना के विरोध में नहीं लेकर नहीं बल्कि इस कारण कल है भारत बंद, जानिए पूरा मामला

bharat bandh on 21 august 2024: उदयपुर या बंगाल घटना के विरोध में कल 21 अगस्त को भारत बंद नहीं है. बल्कि भारत बंद का कारण कुछ और ही है. जानिए क्या है पूरा मामला?

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bharat bandh on 21 august 2024: कल (21 अगस्त, बुधवार) भारत बंद रहेगा. दलित संगठनों ने  अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले (Supreme Court Decision on Reservation) के विरोध में मोर्चा खोल दिया है. आपको बताते हैं ये पूरा मामला क्या है?

भारत बंद को लेकर बहुजन समाज पार्टी ने भी समर्थन दिया है. पार्टी ने भारत बंद को लेकर छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं को इसका हिस्सा बनने को कहा है. सोशल मीडिया पर भी भारत बंद ट्रेंड कर रहा है. सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने भारत बंद को लेकर बयान दिया कि उनकी मुख्यमंत्री से बातचीत हुई है. एसटी एससी संगठनों से भी बात की है. केंद्र सरकार का जो निर्णय होगा हम उसके साथ रहेंगे. संविधान किसी भी वर्ग के अंदर वर्गीकरण के लिए नहीं कहता. हम एसटी एससी वर्ग के लोगों के साथ उनकी भावनाओं  की कदर करते हैं. हमारी सरकार संविधान की अवधारणा के खिलाफ कोई काम नहीं करेगी. 

गौरतलब है कि  सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 1 अगस्त को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण पर पर बड़ा फैसला दिया था. इस फैसले में सर्वोच्‍च अदालत ने कहा कि राज्यों को आरक्षण के लिए कोटा के भीतर कोटा (Quota within Quota Judgement) बनाने का अधिकार है. यानी राज्य सरकारें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के लिए सब कैटेगरी बना सकती हैं. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि क्रीमी लेयर का सिद्धांत अनुसूचित जातियों पर भी उसी तरह लागू होता है, जैसे यह ओबीसी पर लागू होता है. कोर्ट के इस फैसले का बसपा सुप्रीमो मायावती समेत तमाम नेता विरोध कर रहे हैं.

क्या है कोटा के भीतर कोटा

कोटा के भीतर कोटा होने का अर्थ है कि आरक्षण के पहले से आवंटित प्रतिशत के भीतर ही अलग से एक आरक्षण व्‍यवस्‍था लागू कर देना, ताकि आरक्षण का लाभ उन जरूरतमंदों तक भी पहुंचे जो अक्‍सर इसमें उपेक्षित रह जाते हैं. 

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश सरकार से जुड़े मामले में साल 2004 में जो फैसला दिया था वो इसका बिल्‍कुल उलट था. तब सर्वोच्‍च अदालत ने कहा था कि राज्य सरकारें नौकरी में आरक्षण के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जातियों की सब कैटेगरी नहीं बना सकतीं.सर्वोच्‍च अदालन ने 2004 के अपने पुराने फैसले को इस फैसले के साथ पलट दिया है. 

बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद ने X पर लिखा,''आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ SC/ST समाज में काफी गुस्सा है.फैसले के विरोध में हमारे समाज ने 21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया है. हमारा समाज शांतिप्रिय समाज है. हम सबका सहयोग करते हैं. सबके सुख-दुख में हमारा समाज शामिल होता है,लेकिन आज हमारी आजादी पर हमला किया जा रहा है. 21 अगस्त को इसका शांतिपूर्ण तरीके से करारा जवाब देना है.''

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