Chaitra Navratri 9th Day 2023, Maha navami Pujan, Maa Siddhidatri: आज नवरात्रि की नवमी तिथि को मां दुर्गा के 9वें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है. जिन्हें मोक्ष की देवी कहा गया है. जानतें है आज का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि के साथ ही शुभ भोग और रंग भी.
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Chaitra Navratri 2023, Maa Siddhidatri : आज नवरात्रि की नवमी तिथि को मां दुर्गा के 9वें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है. जिन्हें मोक्ष की देवी कहा गया है. जो भक्तों को मोक्ष के साथ ही यश-बल और धन भी प्रदान करती है. मां सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान है. मां के चार हाथों में शंख. गदा, कमल और चक्र है.
मां सिद्धिदात्री को माता सरस्वती का रूप भी माना जाता है. नवमी तिथि पर कन्या पूजन का भी किया जाता है. मान्यता है कि नवमी के दिन कन्या पूजन से जातक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. तो चलिए आपको बताते हैं कि आज का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है .
नवमी तिथि पूजाविधि (Maha Navami Pujan)
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करके. मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करा लें और फिर पुष्प अर्पित करें. अब मां को रोली कुमकुम लगाकर.
मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगा लें. आरती कर मां से मनोकामना करें.
आज नवमी के दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त(Auspicious Times Of Navami Poojan)
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:41 से 05:28 तक
अभिजित मुहूर्त- दोपहर में 12:01 बजे से 12:51 बजे तक
विजय मुहूर्त- दोपहर में 02:30 से 03:19
गोधूलि मुहूर्त- शाम को 06:36 से 07:00 तक
अमृत काल- शाम को 08:18 से 10:06 रात तक
निशिता मुहूर्त- रात 12:02 से मार्च 31 से 12:48 दिन तक
गुरु पुष्य योग- रात 10:59 से 06:13 सुबह मार्च 31 तक
सर्वार्थ सिद्धि योग- पूरे दिन
अमृत सिद्धि योग- रात 10:59 पी एम से 06:13 सुबह मार्च 31 तक
रवि योग- पूरे दिन
मां सिद्धिदात्री का क्या लगाये भोग( Maa Siddhidatri Bhoog)
नवरात्रि की नवमी को मां सिद्धिदात्री को मौसमी फलों के साथ ही चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवे का भोग लगाना चाहिए. ऐसा करने से मां सिद्धिदात्री प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर असीम कृपा बरसाती है.
पूजा मंत्र(Maa Siddhidatri Pooja Mantra)
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि, सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
मां सिद्धिदात्री आरती (Maa Siddhidatri Arati)
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता। तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि। तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि। कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम। तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है। तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो। तू सब काज उसके करती है पूरे। कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया। रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली। जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा। महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता। भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।
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