CM Gehlot ने GST को लेकर प्रस्ताव को दी मंजूरी, उठाए कई अहम कदम
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CM Gehlot ने GST को लेकर प्रस्ताव को दी मंजूरी, उठाए कई अहम कदम

त्रिस्तरीय ऑडिट स्ट्रक्चर बनेगा और साइबर सेल गठित होगी और एंटी इवेजन विंग का नाम बदलकर एन्फोर्समेंट विंग किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत.

Jaipur: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने गुड्स और सर्विस टैक्स यानी जीएसटी के लागू होने के बाद बदले हुए परिदृश्य में राज्य में इसके बेहतर प्रभावी क्रियान्वयन के लिए वाणिज्यिक कर विभाग के पुनर्गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इसके तहत बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था के लिए जोन, नियमित सर्किल और वार्डो की संख्या बढ़ाई जा रही है. साथ ही करदाताओं की सुविधा के लिए अपीलीय प्राधिकारी कार्यालय भी स्वीकृत किए गए हैं. कर अपवंचन रोकने के लिए एन्फोर्समेंट विंग को मजबूत किया जा रहा है. 

सीएम अशोक गहलोत प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों को पटरी पर लाने के मकसद से लगातार नई पहल और नए कदम उठा रहे हैं. इसी सिलसिले में सीएम ने प्रदेश में जीएसटी (GST) के बेहतर और प्रभावी क्रियान्वयन के लिए वाणिज्य कर विभाग के पुनर्गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. सीएम ने प्रभावी प्रशासनिक व्यवस्था के लिए कई अहम और जरूरी कदम भी उठाए हैं. गहलोत ने राजस्थान वाणिज्यिक कर सेवा और राजस्थान वाणिज्यिक कर अधीनस्थ सेवा के 15 अतिरिक्त पद सृजित करने की स्वीकृति दी है. मुख्यमंत्री के इस निर्णय से विभाग के कैडर की संख्या बढ़कर 1,833 हो जाएगी. 

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राज्य में जीएसटी के प्रभावी कियान्वयन के लिए भिवाड़ी में नया जोन बनाया जाएगा. इससे प्रशासनिक जोन की संख्या 16 हो जाएगी. जोन जयपुर-4 और जोधपुर-2 को कार्यात्मक बनाया जाएगा. नियमित सर्किल की संख्या डेढ़ गुना तक बढ़ाकर 82 से 135 की जाएगी. नियमित वाडों की संख्या भी 296 से 320 की जाएगी. इससे डीलर्स की शिकायतों के पंजीकरण और मूल्यांकन के साथ ही राजस से जुड़े कार्यो में भी सुगमता आएगी.  

करदाताओं की सुविधा के लिए कोटा में अपीलीय प्राधिकारी कार्यालय करदाताओं की सुविधा के लिए कोटा जोन में अपीलीय प्राधिकारी का कार्यालय स्वीकृत किया गया है. इससे करदाताओं को कर मूल्यांकन अधिकारियों द्वारा पारित आदेशों के विरूद्ध स्थानीय स्तर पर ही अपील करने की सुविधा मिल सकेगी. ऑडिट एवं एंटी इवेजन कार्य के सुदृढीकरण के लिए बिजनेस इंटेलीजेंस यूनिट का गठन किया जा रहा है. तकनीक रूप से सक्षम इस यूनिट में विभागीय अधिकारी भी शामिल होंगे और यह यूनिट जीएसटीएन डेटाबेस और  ई-वे बिल पोर्टल के डेटा का प्रभावी विश्लेषण करेगी.

त्रिस्तरीय ऑडिट स्ट्रक्चर बनेगा और साइबर सेल गठित होगी और एंटी इवेजन विंग का नाम बदलकर एन्फोर्समेंट विंग किया जा रहा है. साथ हीं, कर धोखाधडी गतिविधियों में लिप्त वास्तविक व्यक्तियों की पहचान करने के लिए एक साइबर सेल गठित की जा रही है. साथ हीं, राज्य जोन और नियमित वृत्त स्तर पर त्रिस्तरीय ऑडिट स्ट्रक्चर बनाया जाएगा. राज्य और जोनल स्तर पर बड़े और जटिल मामलों की ऑडिट सुनिश्चित होगी. 

करदाताओं की शिकायतों के समाधान के लिए टैक्सपेयर केयर यूनिट ईमानदारी से अपने कर दायित्व का निर्वहन करने वाले करदाताओं की शिकायतों के समाधान के लिए टैक्सपेयर केयर यूनिट गठित की जा रही है. इसमें योग्य सीए और कर व्यवसायी शामिल होंगे. साथ हीं, डीलरों के लिए सरल, आसान और त्वरित पंजीकरण सुनिश्चित करने के लिए सेंट्रल रजिस्ट्रेशन यूनिट बनाई जाएगी. 

राजस्थान राज्य कर अकादमी स्टार को अत्याधुनिक प्रशिक्षण संस्थान बनाने के लिए इसमें वर्तमान में हो रहे बदलाव को शामिल करते हुए अद्यतन किया जाएगा. साथ हीं, ऑथोरिटी फॉर एडवांस रूलिंग और जीएसटी अपीलीय ट्रिब्यूनल की जयपुर में स्टेट बेंच और जोधपुर में एरिया बेंच के लिए आवश्यक पदों को सृजित करने की मंजूरी दी गई है. 

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दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के यह कदम इसलिए आज से महत्वपूर्ण है कि राज्य सरकार के कर राजस्व संग्रहण में वाणिज्यिक कर विभाग महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. राज्य के कर राजस्व में इसका योगदान लगभग 50 प्रतिशत तक है. वित्त वर्ष 2021-22 में कर राजस्व लक्ष्य 60 हजार करोड़ रूपये से अधिक का है. वर्तमान में इस विभाग की ओर से राज्य में आरजीएसटी एक्ट 2017 राजस्थान बैट एक्ट-2003 और राजस्थान इलेक्ट्रिसिटी (ड्यूटी) एक्ट 1962 का क्रियान्वयन किया जाता है. निश्चित तौर पर इस बदलाव से ना केवल राज्य सरकार संग्रहण के लिए व्यवस्था को प्रभावी बना सकेगी बल्कि नागरिकों और करदाताओं को भी इन सुविधाओं का बेहतर लाभ मिल पाएगा.

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