उपखण्ड के बड़ोदिया ग्राम पंचायत में स्थित राजकीय स्कूल की दशा काफी बदत्तर है. यहां स्कूल के मेन दरवाजे नहीं है. दीवारे भी टूटी हुई हैं.
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Jaipur: राज्य सरकार शिक्षा के नाम पर बड़े-बड़े दावे करती है, बजट में भी शिक्षा महकमे को अच्छी खासी राशि स्वीकृत की जाती है, लेकिन यह बजट कागजों में सिमट कर रह जाता है. या फिर ऊपर के लेवल से निचले स्तर तक बंदरबाट हो जाती है. जिसके चलते आज के वक्त सरकारी स्कूलों की बड़ी खराब दशा है. उपखण्ड के बडोदिया ग्राम पंचायत में स्थित राजकीय स्कूल की दशा काफी बदत्तर है. यहां स्कूल के मेन दरवाजे नहीं है. दीवारे भी टूटी हुई हैं. जिससे आवारा जानवरो का यहा पर जमावड़ा रहता है, जिससे यह स्कूल तो कम लेकिन गो शाला की तरह नजर आता है. स्कूल में जानवरों द्वारा मल-मूत्र करने से जगह- जगह गोबर के ढेर नजर आते हैं.
इस गंदगी में जहां मच्छर-मक्खी पनप रही है, बदबू आती रहती है, जिससे छात्र- छात्राओं में कई तरह की बीमारियों की फैलने की आशंका है. वहीं, दूसरी ओर इस बदबू के बीच विद्यार्थियों का पढ़ना मुश्किल हो रहा है. गौरतलब है कि यह समस्या क्षेत्र के बडोदिया विद्यालय की नहीं होकर करीब-करीब उपखण्ड के कई सरकारी स्कूलों में सरे आम देखी जा सकती है. गंदगी के अलावा कई स्कूलों की छतें पानी से टपक रही है, तो कई में प्लास्टर गिर रहा है. तो कई स्कूलो के प्रांगण में पानी भरा देखा जा सकता है.
सरकारी स्कूलों के रखरखाव, विकास और आवश्यक सुविधाओं के लिए अध्यापक-अभिभावकों द्वारा गठित शाला विकास समितियों का गठन भी राजनेताओं के लिए चाय-पानी करने और अध्यापक-अध्यापिकाओं को रोब बताने तक ही सिमट कर रह गया है. सरकारी स्कूलों में जनप्रतिनिधियों, सरकारी अधिकारियों और जिम्मेदार नागरिकों के साप्ताहिक दौरे होना जरूरी हो. सरकारी कर्मचारियों के बालकों के लिए सरकारी विद्यालयों में अध्ययन करना जरूरी होना चाहिए. तब ही सुधार संभव हो सकता है.
Reporter- Amit Yadav
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