देरी से भुगतान : 1st अप्रैल 2023 से विक्रेता को कई फायदे तो क्रेता पर अतिरिक्त कर और ब्याज का प्रावधान
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देरी से भुगतान : 1st अप्रैल 2023 से विक्रेता को कई फायदे तो क्रेता पर अतिरिक्त कर और ब्याज का प्रावधान

MSME Tax on CA Abhishek Jain : छोटे पर लघु उद्योगों (MSME) से जुड़े टैक्स बेनिफिट और ब्याज के प्रावधान को चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) अभिषेक जैन से समझिए.

देरी से भुगतान : 1st अप्रैल 2023 से विक्रेता को कई फायदे तो क्रेता पर अतिरिक्त कर और ब्याज का प्रावधान

CA Abhishek Jain : जैसा कि हम सभी जानते हैं micro (सूक्ष्म) और small (लघु) उद्यमों को देरी से भुगतान करने की स्थिति में क्रेता को बैंक रेट से 3 गुना ब्याज देना पड़ता हैं. साथ ही Budget 2023 में Micro और small उद्यमों को और मजबूत करने के लिए 1st April 2023 से उनको देरी से भुगतान करने की स्थिति में क्रेता की खर्चो/खरीद को Income Tax के अनुसार आय की गणना हेतु खर्चों में शामिल नहीं किया जाएगा - (धारा 43B of Income Tax Act.)

MSMED अधिनियम - 2006 की धारा 15 , सूक्ष्म (micro) और लघु (small) उद्यमों को क्रेता और विक्रेता के मध्य लिखित समझौते के अनुसार तय समय के भीतर भुगतान करने का प्रावधान करती है लेकिन यह तय अवधि कभी भी 45 दिनों से अधिक नहीं हो सकती चाहे समझौते में यह अवधि ज्यादा ही क्यों ना हो.  

समझौते के अभाव में यह अवधि 15 दिन से ज्यादा नहीं हो सकती . अगर भुगतान में देरी होती है तो ब्याज की राशि बैंक रेट से 3 गुना करके निकाली  जाएगी वो भी हर महीने के बकाया शेष पर (ब्याज को शामिल करते हुए).

उदाहरणार्थ अगर अजय ₹ 10,00,000 का कपड़ा सूक्ष्म या लघु उद्यम यानी अजमेरा फैशन से 1st Feb 2024 को खरीदता हैं परंतु उसका भुगतान 31st March 2024 तक नहीं करता मतलब 45 दिन के अंदर भुगतान नहीं हुआ (agreement बनने की स्थिति में) तो इस स्थिति में अजय को इस देरी के लिए निम्न स्थितियों का सामना करना पड़ेगा:-

1. उसको 18th मार्च से 19.50 %(6.50% का 3 गुना) से 13 दिन का provision बनाना होगा और विक्रेता को भुगतान करना होगा, जो की Rs. 6945 होगा. अगले साल में भी अगर भुगतान नहीं करता तो interest की गणना चालू रहेगी.  

2. 1st अप्रैल 2023 से जो एक और महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ, उसके अनुसार अगर दिए गए केस में अजय मार्च 2024 तक भुगतान नहीं करता तो यह 10,00,000 की खरीद का खर्चा नहीं मिलेगा और उसके प्रॉफिट में 10,00,000 जोड़ दिए जाएंगे और अगर वह 30% की tax स्लैब में आता है तो Rs. 3,00,000 का टैक्स (surcharge एवं cess को छोड़ते हुए) और उस पर ब्याज, दोनों उसको भुगतान करने होंगे. अगर वह यह भुगतान वित्तीय वर्ष 2024-25 में करता हैं तो उसको 10 लाख का खर्चा 24-25 में मिलेगा. हाँ, अगर वह 31st मार्च 24 तक यानी जिस साल का खर्चा है उसी में भुगतान कर देता हैं तो उसको 23-24 में यह टैक्स व ब्याज नहीं देना होगा .

दूसरा उदाहरण:

यदि अजय ने माइक्रो या स्माल इंटरप्राइजेज से माल ₹ 10 लाख में 1st April 2023 को खरीदा हैं तो 45 दिन के हिसाब से भी इसका भुगतान 16 मई 2023 को हो जाना चाहिए अब अगर इसका भुगतान 16 मई 2023 तक नहीं होता है तो अब इस खरीद का खर्चा भुगतान के आधार (Cash Accounting method) से होगा. अगर इसका भुगतान 31 मार्च 2024 तक भी हो जाता है तो भी भुगतान के आधार पर यह खर्च  वित्तीय वर्ष 2023-24 में मिल जाएगा .

देरी से भुगतान करने पर खरीद या खर्च की छूट नहीं मिलने से करदाता की आय उतनी ही रकम से बढ़ जाएगी और फलस्वरूप टैक्स का दायित्व आ जाएगा. क्रेता करदाता के पास इस अतिरिक्त कर भार से बचने का उपाय यही है कि अब सक्ष्म और छोटे उद्यमों से खरीद का भुगतान समय पर ही करे..और MSMED Act के प्रावधानों का पालन करे और Section 43B के प्रभाव से बचे. ध्यान रहे यह changes और provision केवल तभी लागू होंगे जब विक्रेता सूक्ष्म (Micro) & लघु (Small) उद्यम की श्रेणी में आता हैं.

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम कौन है, यह टेबल हमें समझने में मदद करेगी:

Revised MSME Classification

Composite Criteria : Investment & Turnover

Classification

Micro

Small

Medium

Manufacturing or Service or both

Investment in Plant & Machinery is Upto Rs. 1 Crore

&

Turnover is upto Rs. 5  Crores

Investment in Plant & Machinery is Upto Rs. 10 Crore

&

Turnover is upto Rs. 50  Crores

Investment in Plant & Machinery is Upto Rs. 50 Crore

&

Turnover is upto Rs. 250  Crores

 

नोट: यह आर्टिकल CA अभिषेक जैन ने लिखा है. आर्टिकल में दिए तथ्य और विचारों के प्रति लेखक स्वयं उत्तरदायी है.

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