डॉ. महेश जोशी ने बताया कि पेयजल व्यवस्था के लिए राज्य आपदा मोचन निधि (एसडीआरएफ) से 1963.59 लाख रूपए की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई. विभाग के प्रयासों से जोधपुर जिले के भगत की कोठी रेलवे स्टेशन से रेलवे वैगन में पेयजल भरवाने और पाली रेलवे स्टेशन पर वैगन खाली करवाने की व्यवस्था की गई.
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Jaipur : पेयजल संकट का सामना कर रहे पाली जिले के लिए राज्य सरकार ने गर्मियों की शुरूआत के साथ ही पर्याप्त पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाए हैं. पाली जिले में साल 2021 में मानसून के दौरान पर्याप्त बारिश नहीं होने के चलते ज्यादातर बांध खाली है. जवाई-हेमावास बांध में पानी की नगण्य आवक होने के चलते ये परेशानी और बढ़ी है.
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. महेश जोशी ने बताया कि पाली जिले के 260 गांवों और 140 ढाणियों में जल स्रोत विकसित करके और 221 टैंकरों के जरिए हर दिन कुल 950 ट्रिप कर जलापूर्ति की जा रही है. पाली शहर की पेयजल मांग 45 एमएलडी है. वर्तमान में पाली शहर के लिए जोधपुर से रेल मार्ग की तरफ से 6 एमएलडी, भूजल स्रोतों से 3 एमएलडी, बाणियावास के डेड स्टोरेज से 6 एमएलडी और पाली के आसपास स्थित माइन्स से 6 एमएलडी सहित कुल 21-22 एमएलडी पेयजल की व्यवस्था की जा रही है.
डॉ. महेश जोशी ने बताया कि पेयजल व्यवस्था के लिए राज्य आपदा मोचन निधि (एसडीआरएफ) से 1963.59 लाख रूपए की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई. विभाग के प्रयासों से जोधपुर जिले के भगत की कोठी रेलवे स्टेशन से रेलवे वैगन में पेयजल भरवाने और पाली रेलवे स्टेशन पर वैगन खाली करवाने की व्यवस्था की गई.
17 अप्रैल, 2022 से रेलमार्ग के जरिए पाली के लिए पेयजल परिवहन शुरू कर हर दिन दो फेरे और उसके बाद में इसे बढ़ाकर तीन फेरे प्रतिदिन कर पेयजल उपलब्ध करवाया गया. उन्होंने बताया कि कुल 161 फेरों से 32 करोड़ लीटर पेयजल का परिवहन पाली के लिए किया जा रहा. जलदाय मंत्री ने कहा कि मैं, केन्द्रीय रेल मंत्री को पत्र लिखकर जोधपुर से पाली तक रेलमार्ग से पेयजल परिवहन को निःशुल्क करने का आग्रह कर चुका हूं, लेकिन केंद्रीय रेल मंत्रालय द्वारा निशुल्क परिवहन उपलब्ध नहीं कराए जाने से इसका भुगतान नियमित रूप से राज्य सरकार कर रही है.
जलदाय मंत्री ने बताया कि पाली जिले में पेयजल व्यवस्था बनाए रखने के लिए जवाई बांध के विकल्प के रूप में उपलब्ध सभी स्रोतों से, जिनमें पाली शहर के नजदीक स्थित बाणियावास, खारडा, कन्टालिया आदि बांधों से पानी लेकर और भूजल स्रोतों का निर्माण करवाकर पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था की गई थी, लेकिन वर्तमान में समस्त सतही जल स्रोतों में पेयजल की उपलब्धता नगणय होने पर इन सतही स्रोतों के स्थान पर वैकल्पिक व्यवस्था कर जलापूर्ति की जा रही है.
डॉ. महेश जोशी ने बताया कि कुडी रोहट के बीच बिछी पाइप लाइन की मरम्मत का काम भी तेजी से किया जा रहा है. पेयजल व्यवस्था सुचारू बनाए रखने के लिए कुल 281 प्रस्ताव स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें 78 हैण्ड पम्प, 305 नलकूप, 43 खुले कुएं, 488 किमी पाइप लाइन, 738 पम्प मशीनरी और 508 अन्य कार्य स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 90-95 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुके हैं और शेष प्रगति पर हैं. ये सभी स्वीकृतियां राज्यमद से जारी की गई हैं.
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